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ऐसा ही रहा तो यूपी वालों की पौने छह व अन्य भारतीयों की साढ़े तीन साल कम हो जायेगी उम्र

-‘अंतर्राष्ट्रीय स्वच्छ वायु दिवस (7 सितम्बर)’ पर डॉ सूर्यकान्त ने बतायीं वायु प्रदूषण रोकने वाली तरकीबें

प्रो सूर्यकांत

सेहत टाइम्स

लखनऊ। संयुक्त राष्ट्र हर साल 7 सितंबर को ‘स्वच्छ वायु के अंतर्राष्ट्रीय दिवस’ के रूप में मनाता है ताकि स्वच्छ वायु के लिए जागरूकता बढ़ाई जा सके। इस वर्ष का विषय “अब #स्वच्छवायु में निवेश करें“ वायु प्रदूषण से निपटने के लिए मजबूत साझेदारी, निवेश और साझा जिम्मेदारी की तत्काल आवश्यकता को उजागर करता है।

केजीएमयू के रेस्पिरेट्री मेडिसिन विभाग के विभागाध्यक्ष और नेशनल कोर कमेटी, डॉक्टर फॉर क्लीन एयर एंड क्लाइमेट एक्शन (डी.एफ.सी.ए) की नेशनल कोर कमेटी के सदस्य डॉ0 सूर्यकान्त ने बताया कि ऊर्जा नीति संस्थान की नवीनतम रिपोर्ट के अनुसार, अगर वर्तमान वायु प्रदूषण स्तर बने रहते हैं, तो भारत की औसत जीवन प्रत्याशा 3.6 साल तक घट सकती है। विशेष रूप से उत्तर प्रदेश में, अत्यधिक पीएम 2.5 के संपर्क में आने से निवासियों की औसत जीवन प्रत्याशा 5.9 वर्ष कम हो सकती है।

भारत में वायु प्रदूषण एक गंभीर सार्वजनिक स्वास्थ्य संकट है, जिससे हर साल लगभग 21 लाख लोगों की जान चली जाती है, जिनमें से अधिकांश लोग तीव्र श्वसन संक्रमण, स्ट्रोक, हृदय रोग और फेफड़ों के कैंसर जैसी बीमारियों से पीड़ित होते हैं। डा0 सूर्यकान्त ने बताया कि वायु प्रदूषण से स्वास्थ्य पर पड़ने वाले अन्य दुष्प्रभाव हैं – दमा, गले में दर्द, निमोनिया, एम्फायासीमा, ब्रोंकाइटिस आदि। हृदय पर प्रभाव से लोगों में ब्लड़ प्रेशर तथा हार्ट अटैक के खतरे बढ़ना। फैक्टरी के पास/ज्यादा प्रदूषण वाले इलाके में रहने वालों में आंखे लाल होना, जलन होना, पानी ज्यादा आने व ड्राईनेस होना। मस्तिष्क पर प्रभाव से मानसिक स्थितियों में भी बदलाव, चिड़चिड़ापन, बेचैनी और घबराहट जैसी दिकक्तें। लिवर व पेट पर असर से लिवर में दिक्कत होना, गैस बनना, पेट में जलन जैसी परेशानी होना। बालों व त्वचा पर प्रभाव से बालों का टैक्सचर खराब होना, बाल गिरना और डैन्ड्रफ की समस्या, त्वचा पर झुर्रियां, एग्जिमा, स्किन एलर्जी, रैशेज व कैंसर की संभावना अधिक होना। पुरुष व महिला की प्रजनन क्षमता प्रभावित होती है। मिस कैरिज प्री मेच्योर डिलिवरी और बच्चों का वजन कम होने की संभावना बढ़ जाती है। बच्चों में फेफडे़ की कार्य क्षमता और मस्तिष्क के विकास में बाधा, अस्थमा ब्रोंकाईटिस, सांस की तकलीफ हो जाती है। प्रदूषित वायु से कैंसर की संभावना बढ़ जाती है।

पूर्व अध्यक्ष, इंडियन कॉलेज ऑफ एलर्जी एण्ड एप्लाइड इम्यूनोलॉजी डॉ सूर्यकान्त ने बताया कि वायु प्रदूषण के प्रमुख स्त्रोत परिवहन, उद्योग, अत्याधिक जंगलों का कटाव, कम वृक्षारोपड, बायोमास ईधन एवं धूम्रपान है।

पूर्व अध्यक्ष, इंडियन चेस्ट सोसाइटी डॉ0 सूर्यकान्त ने वायु प्रदूषण की रोकथाम के लिए अपने सुझाव दिये –

• फूलों के गुलदस्ते की जगह पौधे भेंट करें।
• जन्मदिन, शादी की सालगिरह, सगाई जैसे हर समारोह में पौधे लगाने की रस्म को शामिल करें।
• सार्वजनिक परिवहन का इस्तेमाल बढ़ाएँ एवं सीएनजी वाहनों एवं इलेक्ट्रिक वाहन को बढ़ावा दे।
• धूम्रपान न करें और धूम्रपान निषेध अभियान के समर्थक बनें एवं धूम्रपान करने वाले व्यक्तियों में जागरूकता पैदा करें।
• ग्रामीण इलाको में एलपीजी गैस को बढ़ावा देना एवं उज्ज्वला योजना का लाभ उठाएँ।
• पैदल चलने और साइकिल चलाने का इस्तेमाल बढ़ाएँ।
• हर दिन के अंत में खुद से सवाल करें, क्या मैं वायु प्रदूषण के लिए जिम्मेदार हूँ?
• सौर ऊर्जा तकनीक को प्रोत्साहन।
• ओजोन को नष्ट करने वाले रसायनों का प्रयोग सभी देशो में बंद करना।

सदस्य, नेशनल कोर कमिटी, डॉक्टर्स फॉर क्लीन एयर एंड क्लाइमेट एक्शन, इंडिया डा0 सूर्यकान्त ने बताया कि डॉक्टर्स फॉर क्लीन एयर एंड क्लाइमेट एक्शन (डी.एफ.सी.ए) भारतीयों के दिल, दिमाग और फेफड़ों पर वायु प्रदूषण के विनाशकारी प्रभाव की ओर ध्यान आकर्षित कर रहा है। डॉक्टर्स फॉर क्लीन एयर एंड क्लाइमेट एक्शन ने वायु प्रदूषण के खिलाफ एक जन आंदोलन खड़ा करने के लिए ’वायुमित्र’ अभियान की शुरुआत की है।

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