-किशोर उम्र में बड़ों से ज्यादा पोषण वाले भोजन की जरूरत : डॉ निर्मला जोशी

सेहत टाइम्स ब्यूरो
लखनऊ। किशोरावस्था में बच्चों को बड़ों से ज्यादा पोषण की जरूरत पड़ती है क्योंकि उनके शरीर में तेजी से विकास होता है, उन्हें अतिरिक्त कैल्शियम, आयरन, विटामिन की जरूरत होती है। किशोरावस्था में बच्चों की फिजिकली, बायोलॉजिकली ग्रोथ रेट ज्यादा होती है इसलिए इन पर ध्यान दिये जाने की जरूरत है वर्ना बच्चा कुपोषण का शिकार हो जाता है। इन बच्चों के खाने में दो तिहाई फाइबर यानी फ्रूट, सलाद और सब्जी होनी चाहिये तथा एक तिहाई मे रोटी, दाल जैसी चीजें होनी चाहिये।
यह बात बाल रोग विशेषज्ञ डॉ निर्मला जोशी ने रविवार को हजरतगंज स्थित एक होटल में एडोल्सेंट हेल्थ एकेडमी के तत्वावधान में आयोजित सतत चिकित्सा शिक्षा (सीएमई) में अपनी प्रस्तुति में कही। उन्होंने कहा कि देखा जा रहा है कि आजकल बच्चे जंक फूड जैसे पिज्जा, बर्गर, चाउमिन जैसी चीजें ज्यादा खाते हैं जिससे उनके अंदर आवश्यक पोषण नहीं जा पाता है, ये लोग ओवरवेटेड हो जाते है तथा (Bulemia and binge-eating disorder) कुपोषण के शिकार हो जाते हैं।
इसके अलावा दूसरे वे बच्चे होते हैं जो एक साइकोजेनिक प्रॉब्लम Anorexia nervosa के शिकार होते हैं उन्हें हर समय यह तनाव रहता है कि अमुक चीज खायी तो मोटे हो जायेंगे, इस चक्कर में खाते ही नहीं हैं जिससे वे भी कुपोषित हो जाते हैं।
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डॉ जोशी ने बताया कि इस कारण ऐसे बच्चे गैर संक्रामक रोगों के शिकार हो जाते हैं। मोटापे के कारण बच्चे डायबिटीज, कार्डियो वेस्कुलर डिजीज के शिकार हो जाते हैं। उन्होंने बताया कि इसके बाद जब उन्हें मोटे होने का अहसास होता है तो वह अपना वजन कम करने के लिए खाते ही नहीं हैं, जिससे वे स्ट्रोक, अस्थमा, कैंसर आदि के शिकार हो जाते हैं।

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