एक दिवसीय कार्यशाला में दी गयीं घुटने की खराबी पर अनेक जानकारियां

लखनऊ। आजकल घुटनों में दर्द की समस्या आम हो चुकी है। बेहतर तो यही है कि खानपान, नियमित व्यायाम, अपने वजन पर नियंत्रण रखें जिससे घुटनों के खराब होने की नौबत न आये। लेकिन यदि किसी कारणवश एक या दोनों घुटनों में एक तरफ अंदर की ओर दर्द होना शुरू हुआ है तो हड्डी रोग विशेषज्ञ से मिलें, हो सकता है यह घुटना खराब होने की शुरुआत हो, और इसी स्टेज पर आप आधा घुटना भी बदलवा सकते हैं।
यह जानकारी शनिवार को यहां होटल क्लार्क्स अवध में आयोजित एक दिवसीय ऑक्सफोर्ड पार्शियल घुटना प्रत्यारोपण विषयक कार्यशाला में केजीएमयू के डॉ.आशीष कुमार और लोहिया इंस्टीट्यूट के डॉ सचिन अवस्थी ने दी। आपको बता दें कि आधा घुटने का प्रत्यारोपण केजीएमयू में अभी शुरू हुआ है।
ज्ञात हो वर्तमान में गठिया रोग आम हो चुका है, महिला हो या पुरुष, अधेड़ उम्र हो या बुजुर्ग, अधिकांश लोग घुटने के दर्द से पीडि़त हैं। जब दर्द असहनीय हो जाता है लोग घुटना प्रत्यारोपण कराते हैं, ऐसे लोगों के लिए डॉक्टरों की यह सलाह है कि दर्द शुरू होते ही सिर्फ कार्टिलेज, हड्डी के ऊपर की कैपिंग को बदलवाने भर से ही समस्या ठीक हो जाती है। यानी केवल आधे घुटने के प्रत्यारोपण से ही आप हमेशा के लिए गठिया की संभावनाओं से फुर्सत पा जायेंगे।
डॉ सचिन अवस्थी ने बताया कि शुरूआत में घुटने के जोड़ में हड्डी के ऊपर एक परत कार्टिलेज (कैपिंग)होती है। जोड़ में अंदर की तरफ वाली कार्टिलेज घीरे-घीरे घिस जाती है। कार्टिलेज घिसने के बाद जोड़ की दो हड्डियों के बीच दूरी निर्धारित करने वाली मुलायम गद्दी भी एक तरफ से घिसने लगती है, इससे पैर एक तरफ टेढ़ा होने लगता है, एक समय आता है ऊपर-नीचे की दोनों हड्डियां आपस में रगडऩे लगती है और दर्द असहनीय हो चुका होता है।

डॉ आशीष ने कहा कि अगर व्यक्ति घुटने में दर्द शुरू होते ही शुरूआती चरण में ही विशेषज्ञ चिकित्सक से संपर्क कर ले तो, शुरूआती दिनों में ही आधा घुटना प्रत्यारोपित कर, शेष जीवन भर गठिया रोग से मुक्ति दिलाई जा सकती है। डॉ.आशीष ने बताया कि आधा घुटना प्रत्यारोपित होता है इसलिए हमेशा की तरह 10 से 15 सेमी का चीरा नहीं बल्कि 6 से 8 सेमी चीरा से ही प्रत्यारोपण सफल हो जाता है।
लोहिया इंस्टीट्यूट के डॉ.सचिन अवस्थी ने बताया कि आधा घुटना प्रत्यारोपण में इंप्लांट भी आधा ही पड़ता है, इसलिए इस पर पूरे घुटने बदलने वाले खर्च से कम खर्च में काम चल जाता है। उन्होंने बताया कि छोटा चीरा लगाने से मरीज अतिशीघ्र ही अपनी दैनिक दिनचर्या में लौट सकता है। उन्होंने बताया कि भारत में अमूमन, घुटना पूरी तरह से खराब करने के बाद ही लोग विशेषज्ञ ऑर्थोपैडिक सर्जन के पास पहुंचते हैं, जबकि पहले पहुंच जाये तो कम खर्च में बेहतर इलाज मुहैय्या कराया जा सके। इस अवसर पर ऑर्गेनाइजिंग सेक्रेटरी प्रो.विनीत शर्मा, चंड़ीगढ़ आर्मी अस्पताल के डॉ.विकास कुलश्रेष्ठ, केजीएमयू के प्रो.संतोष कुमार, मेयो हॉस्पिटल के डॉ.आरपी सिंह एवं प्रयागराज के डॉ.प्रनव पाण्डेय ने गठिया रोग पर प्रकाश डाला।

Sehat Times | सेहत टाइम्स Health news and updates | Sehat Times