‘बांझ रोग कारण और निवारण’ विषय पर आयोजित कार्यशाला सम्पन्न

लखनऊ। आजकल यह रिवाज सा हो गया है कि शादी के बाद संतान पैदा करने में पति-पत्नी कोई जल्दी नहीं दिखाते हैं उनका कहना होता है कि हमें तुरंत बच्चा नहीं चाहिये। ठीक है यह फैसला वे कर सकते हैं लेकिन बच्चा नहीं चाहिये इसके लिए गर्भनिरोधक का इस्तेमाल करें न कि गर्भपात का। यह गलती पढ़े-लिखे जोड़े यहां तक कि चिकित्सक दम्पति के करने का मामला भी सामने आया है। ऐसी गलती करने वाले करीब 15 फीसदी जोड़े बाद में संतान के लिए तरस जाते हैं।
यह बात मॉर्फिअस लखनऊ फर्टिलिटी सेंटर की आईवीएफ स्पेशियलिस्ट डॉ सुनीता चन्द्रा ने कहीं। डॉ सुनीता ने लखनऊ ऑब्स एंड गायनेकोलॉजिस्ट सोसाइटी और मॉर्फिअस लखनऊ फर्टिलिटी सेंटर के संयुक्त तत्वावधान में ‘बांझ रोग कारण और निवारण’ विषय पर आयोजित एक दिवसीय कार्यशाला में आये प्रतिभागियों से कहा कि इसका कारण है कि गर्भपात कराने से संक्रमण हो जाता है और फिर से वह के चलते फिर से पत्नी को गर्भधारण करने में कठिनाई हो जाती है।

उन्होंने बताया कि कार्यशाला में आये विशेषज्ञों ने फर्टिलिटी के बारें में अनेक महत्वपूर्ण जानकारियां दीं। उन्होंने बताया कि मुंबई से आये डॉ मोहन राउत ने अपने प्रस्तुतिकरण में ऐसे केस के बारे में बताया जिसमें पत्नी गर्भ तो धारण करती है लेकिन गर्भ विकसित नहीं हो पाता है। इस स्थिति में उन्होंने इम्यूनोथैरेपी से इलाज के बारे मे जानकारी दी।
केजीएमयू की डॉ अमिता पाण्डेय ने अपने लेक्चर में बताया कि किस तरह गर्भ धारण करने में बाधा दूर करने के लिए दी जाने वाली दवाएं सभी स्त्रियों को एक सा फायदा नहीं करती है, ऐसे में अलग-अलग स्त्रियों के लिए दवायें भी अलग-अलग होती हैं।

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