मानवाधिकार आयोग ने निजी पैथोलॉजिस्ट की शिकायत पर दिये निर्देश
NABL 112 सर्टिफिकेट से आम आदमी की जान खतरे में
गुणवत्तापूर्ण लैब के लिए प्रदान किया जाता है यह प्रमाणपत्र
जयपुर /लखनऊ। पैथोलॉजी रिपोर्ट पर मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया (एमसीआई) में पंजीकृत पैथोलॉजिस्ट, माइक्रोबायोलॉजिस्ट और बायोकेमिस्ट के दस्तखत करने की बाध्यता को समाप्त कर आम आदमी के जीवन से खिलवाड़ करने के लिए राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने भारत सरकार के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय को नोटिस जारी किेया है।
यह नोटिस जयपुर के पैथोलॉजिस्ट डॉ रोहित जैन की शिकायत पर 14 मार्च को जारी किया गया है। आयोग ने इस बारे में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय से आठ सप्ताह के भीतर शिकायत दूर कर शिकायतकर्ता को इसकी सूचना देने का निर्देश दिया है। आपको बता दें कि डॉ रोहित जैन ने अपनी शिकायत में कहा है कि भारत सरकार के विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के तहत एक स्वायत्त निकाय नेशनल एक्रीडिटेशन बोर्ड फॉर टेस्टिंग एंड कैलिब्रेशन लैबोरेट्रीज़ (NABL) पैथोलॉजी लैब को एनएबीएल 112 दस्तावेज प्रदान कर गुणवत्ता का सर्टिफिकेट देता है, जबकि असलियत यह है कि इस मामले में NABL स्वयं ही सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की अनदेखी कर रहा है।
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ज्ञात हो कि एमसीआई की गाइडलाइन्स को पूरा करने के सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार पैथोलॉजी रिपोर्ट पर एमसीआई में पंजीकृत पैथोलॉजिस्ट, माइक्रोबायोलॉजिस्ट और बायोकेमिस्ट के दस्तखत करने की बाध्यता है। लेकिन NABL सर्वोच्च न्यायालय के आदेश का पालन नहीं कर रहा है। ऐसे में गुणवत्ता पूर्ण पैथोलॉजी लैब के सर्टिफिकेट NABL 112 प्रदान किये जाने से उच्चतम न्यायालय के आदेश की अवहेलना हो रही है।