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टीकाकरण को लेकर लोगों के मन में फैले भ्रम के जाले साफ़ कर रहे युवा

-यूनिसेफ के साथ चार विश्वविद्यालयों ने पांच माह पूर्व की थी इसकी शुरुआत

सेहत टाइम्स

लखनऊ। लखनऊ के कुछ युवाओं ने बच्चों एवं गर्भवती महिलाओं के टीकाकरण के लिए जागरूकता फैलाने एवं भ्रांतियाँ तोड़ने का बीड़ा उठाया है। लगभग छह माह से नियमित टीकाकरण के लिए ये युवा लखनऊ के सीतापुर रोड इलाके में स्थित झुग्गियों एवं ग्रामीण इलाकों में जागरूकता के कार्यक्रम कर रहे हैं। इन युवाओं ने सरकार से सहयोग से कुछ विशेष टीकाकरण सत्रों का भी आयोजन कराया जिसमें वंचित बच्चों एवं गर्भवती महिलाओं का टीकाकरण सुनिश्चित कराया गया।

ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती भाषा विश्वविद्यालय के पत्रकारिता एवं जनसम्पर्क विभाग के छात्र छात्राओं द्वारा यह कार्य, ‘CHABI YAN’(चिल्ड्रेनस होप फॉर एक्शन एण्ड बेटर इम्पैक्ट यूथ अडवोकेसी नेटवर्क) के अंतर्गत किया जा रहा है। CHABI YAN युवाओं द्वारा शुरू की गई एक अनूठी पहल है जिसके अंतर्गत युवा बच्चों के अधिकारों और सतत विकास लक्ष्यों को हासिल करने में मदद करने के लिए स्वेच्छा से काम कर रहे हैं। इसकी शुरुआत यूनिसेफ उत्तर प्रदेश एवं लखनऊ विश्वविद्यालय, बाबा साहब भीम राव अंबेडकर विश्वविद्यालय, डॉ शकुंतला मिश्र पुनर्वास विश्वविद्यालय एवं ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती भाषा विश्वविद्यालय के समाज कार्य एवं पत्रकारिता एवं जनसम्पर्क विभाग द्वारा 20 नवंबर 2023 को विश्व बाल दिवस के अवसर पर की गई थी।

भाषा विश्वविद्यालय के पत्रकारिता एवं जन संपर्क विभाग की असिस्टेंट प्रोफ़ेसर रुचिता चौधरी ने बताया, “यूनिवर्सिटी के कुछ छात्र छात्राओं को यूनिसेफ के विशेषज्ञों द्वारा नियमित टीकाकरण के विषय में सितंबर 2023 में जानकारी दी गई थी। इसके उपरांत छात्रों को इस विषय पर एक्शन प्रोजेक्ट करने थे। यह प्रोजेक्ट CHABI के अंतर्गत किए जा रहे थे जिसमें लखनऊ के चार विश्वविद्यालयों के छात्र छात्राएं भाग ले रहे थे और सबको बच्चों से संबंधी अलग-अलग विषय दिए गए थे। चूंकि ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती भाषा विश्वविद्यालय ने ‘नियमित टीकाकरण’ विषय चुना था, अतः हमारे छात्रों ने आस पास के इलाकों में जा कर टीकाकरण संबंधी सर्वे किए और उसके उपरांत जागरूकता कार्यक्रम चलाए।”

भाषा विश्वविद्यालय के छात्र फाहद जमाल ने बताया कि “जब हम अपने विद्यालय के आस पास के इलाकों में गए और वहाँ लोगों से बात चीत की तो हमे पता चला कि शहरी इलाकों में बहुत सी भ्रांतियां थीं जिसके कारण लोगों ने अपने बच्चों का टीकाकरण नहीं कराया था,”

छात्रों ने बताया कि टीकाकरण को बढ़ावा देने के सरकार के अथक प्रयासों के बावजूद भी उन्हें ऐसे लोग मिले जिन्हें लगता था कि उनके बच्चे को टीकाकरण की आवयशकता नहीं है। “कुछ लोग टीकाकरण के बाद आने वाले बुखार के भय से अपने बच्चों का टीकाकरण करने से कतरा रहे थे तो कुछ लोगों में यह भय था की टीकों से उनके बच्चों को आगे चल कर नुकसान हो सकता है। पितृ सत्तात्मकता के कारण महिलाएँ निर्णय नहीं ले पातीं इसलिए भी बच्चों का टीकाकरण नहीं हो पाता,” भाषा विश्वविद्यालय की छात्रा अरीशा फैजयाब ने बताया।

टीकाकरण से वंचित बच्चों की पहचान कर छात्रों ने निकटतम सरकारी अस्पताल के अधिकारियों एवं वार्ड के सभासद से संपर्क किया जिसके फलस्वरूप विशेष टीकाकरण सत्रों का आयोजन किया गया एवं छूटे हुए बच्चों एवं गर्भवती महिलाओं का टीकाकरण किया गया। अब तक इन युवाओं द्वारा लगभग 50 बच्चों एवं गर्भवती महिलाओं के टीकाकरण में सहयोग कराया जा चुका है। इस कार्य में भाषा विश्वविद्यालय के छात्र बुशरा फातिमा, मोहम्मद फिरोज, मुबशीरा बनो, सैयद टलहा फ़ैयाज़, अरीशा एवं फाहद जमाल ने नेतृत्व किया।

यूनिसेफ उत्तर प्रदेश की स्वास्थ्य विशेषज्ञ डॉ कनुप्रिया सिंघल ने कहा, “सरकार द्वारा चलाए जा रहे नियमित टीकाकरण कार्यक्रम के तहत बच्चों को बीसीजी, डिपथीरिया, काली खांसी, खसरा, रोटा वायरस, डायरिया आदि कई जानलेवा बीमारियों से बचाव के टीके मुफ़्त में सभी सरकारी सेवाओं पर उपलब्ध कराए जाते हैं।प्रत्येक बच्चे का टीकाकरण सुनिश्चित करने के लक्ष्य से समय समय पर विशेष अभियान भी चलाए जाते हैं।“

युवाओं द्वारा टीकाकरण के लिए जागरूकता फैलाने के कार्य की सराहना करते हुए, यूनिसेफ उत्तर प्रदेश की संचार विशेषज्ञ निपुण गुप्ता ने कहा, “टीकाकरण हर बच्चे का अधिकार है। जिन बच्चों का टीकाकरण पूरा होता है वह बहुत सी जानलेवा बीमारियों से बच सकते हैं और एक स्वस्थ्य जीवन की शुरुवात कर जीवन में विकास की ओर अग्रसर हो सकते हैं जो उनके परिवार और समाज के लिए महत्वपूर्ण है।“

ज्ञात हो विश्व टीकाकरण सप्ताह 24-30 अप्रैल के बीच मनाया जाता है। इस सप्ताह का उद्देश्य टीकाकरण के विषय में जागरूकता फैलाना एवं लोगों तक यह संदेश पहुंचाना है कि टीकाकरण द्वारा कई जानलेवा बीमाइयों से बचाव संभव है। विश्व टीकाकरण सप्ताह के लिए इस वर्ष की थीम “मानवीय रूप से संभव: टीकाकरण के माध्यम से जीवन बचाना” है।

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