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प्रसूताओं को होने वाले गंभीर रोगों पर उत्तर प्रदेश में पहली बार कार्यशाला का आयोजन

-लोहिया संस्थान में आयोजित सी एम ई में पुतलों पर प्रदर्शन कर सिखाया गया क्रिटिकल स्थितियों से निपटना

सेहत टाइम्स

लखनऊ। डॉ0 राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान लखनऊ के एनेस्थीसियोलॉजी, क्रिटिकल केयर मेडिसिन विभाग एवं आईएससीसीएम लखनऊ सिटी ब्रान्च ने संयुक्त रूप से उत्तर प्रदेश की पहली Obstetrics Critical Care कार्यशाला एवं सतत् चिकित्सा शिक्षा कार्यक्रम का आयोजन किया। इसमें प्रसूताओं को झटके आना, ज्यादा ब्लीडिंग होने जैसी जटिल स्थितियों से किस प्रकार बचा जा सकता है तथा गंभीर स्थिति होने पर किस प्रकार प्रबंधन करना चाहिए, इस बारे में विशेषज्ञों द्वारा जानकारी दी गयी।

कार्यशाला के बारे में जानकारी देते हुए इसके आयोजन सचिव डॉ0 सुजीत राय ने बताया कि कार्यशाला में प्रसूताओं को होने वाली जटिल स्थितियों में झटके आना, ज्यादा ब्लीडिंग होना जैसी बीमारियों में क्रिटिकल केयर के बारे में जानकारी दी गयी। डॉ सुजीत ने झटके आने के बारे में बताते हुए कहा कि जब प्रसव के समय महिला को झटका आता है तो सांस की नली के रास्ते में अवरोध उत्पन्न होता है क्योंकि मरीज उस समय बेहोशी की हालत में होता है तो हो सकता है अगर मरीज ने पहले कुछ खाया-पिया हो तो वह सांस की नली में फँस सकता है, और मरीज की जान को खतरा हो सकता है ऐसे में मरीज को आई सी यू केयर की जरूरत होती है।

उन्होंने कहा कि इसी प्रकार प्रसव के समय कभी-कभी ज्यादा मात्रा में ब्लीडिंग होती है जिसमें बच्चेदानी निकालने की नौबत आ जाती है लेकिन ब्लीडिंग रुकती नहीं है, ऐसी स्थिति में मरीज को हाई स्पीड में ब्लड भी देना पड़ता है, दवाइयां हाई डोज में चलानी पड़ती हैं यहाँ तक कि मरीज को वेंटीलेटर पर भी रखना पड़ता है। डॉ सुजीत ने बताया कि इस स्थिति का सामना करने के लिए पहले से तैयारी रखनी चाहिए। एक सवाल के जवाब में डॉ सुजीत ने बताया कि प्रेगनेंसी को लेकर जो झटका आता है उससे पहले मरीज का ब्लड प्रेशर बढ़ा हुआ मिलता है, पैरों में सूजन बहुत ज्यादा होती है तथा यूरिन में प्रोटीन की मात्रा ज्यादा निकलने लगती है। उन्होंने बताया कि अगर पेशेंट में ये लक्षण मिलें तो यह मानकर चलना चाहिए कि उसे झटका आ सकता है। झटके आने की संभावना डिलीवरी से 48 घंटे बाद तक ज्यादा और उसके बाद छह सप्ताह तक बनी रहती है। उन्होंने बताया कि अगर प्रसूता में इन जटिल रोगों के लक्षण दिखाई दें तो उसे आई सी यू और वेंटीलेटर की सुविधा वाले अस्पताल में ही भर्ती कराना चाहिए।

कार्यशाला का शुभारंभ संस्थान की निदेशक प्रो0 सोनिया नित्यानंद एवं विभागाध्यक्ष प्रो दीपक मालवीय द्वारा किया गया। प्रो0 सोनिया नित्यानन्द ने बताया कि उत्तर प्रदेश में मातृ मृत्यु दर देश में सर्वाधिक है। इसके लिए 100 नए क्रिटिकल केयर बेडस् की स्थापना का एक संपूर्ण प्रकल्प, जिससे मात्र एवं शिशु रेफरल चिकित्सालय के माध्यम से प्रदेश की जनता को एक महत्वपूर्ण संबल मिलेगा। यह प्रकल्प NHM व उ०प्र० सरकार द्वारा अनुमन्य किया जा चुका है। इसका निर्माण शहीद पथ स्थित आर0पी0जी0 मातृ एवं शिशु रेफरल सेंटर में किया जायेगा। जिससे मातृ मृत्यु दर कम करने में सहायता मिलेगी एंव उत्तर प्रदेश के प्रसूताओं को एक ही छत के नीचे सभी प्रकार के इलाज मिल सकेंगें, उन्हे दर-दर इलाज के लिए भटकना नहीं पड़ेगा।

प्रो0 दीपक मालवीय ने मातृ मृत्यु दर को कम करने के लिए सभी जरूरी प्रोटोकॉल का पालन करने के संबंध में सभी को अवगत कराया। उन्होंने बताया कि जब वह एनेस्थीसिया सोसाइटी के सार्क देशों के अध्यक्ष थे तभी से उनका उद्देश्य था कि मातृ मृत्यु दर को कम करने के लिए उचित कदम उठाये जाये। इसके लिए उन्होने अपने कार्यकाल में सार्क देशों में कई कार्यशाला एवं सतत् चिकित्सा शिक्षा कार्यक्रम का आयोजन भी कराया था, जिसका परिणाम है कि आज नेपाल जैसे देशों में जहाँ पहाड़ों पर इलाज मिलना मुश्किल होता था वहां भी मातृ मृत्यु दर को कम करने में सफलता मिली है।

इस कार्यशाला एवं सतत् चिकित्सा शिक्षा कार्यक्रम में लखनऊ ही नहीं अपितु उत्तर प्रदेश के कई शहरों से लगभग 60 प्रतिभागियों ने प्रतिभाग किया। कार्यशाला में मैनिकिन पर प्रदर्शन कर सभी प्रतिभागियों को प्रसूताओं को प्रसव के समय होने वाली जटिलताओं को कैसे सही समय पर एवं सही इलाज एवं कार्य-पद्वति से सही किया जा सके उसका प्रदर्शन किया गया।

आयोजन अध्यक्ष एवं विभागाध्यक्ष एनेस्थीसियोलॉजी एवं क्रिटिकल केयर मेडिसिन डॉ0 पी0के0 दास ने कार्यक्रम में सभी उपस्थित अतिथियों एवं प्रतिभागियों का स्वागत करते हुए Obstetrics Critical Care से प्रसुताओं को होने वाले लाभ के बारे में बताया।

आयोजन सचिव डॉ0 सुजीत राय, ने बताया कि मातृ कल्याण भविष्य की पीढ़ियों के स्वास्थ्य को प्रभावित करता है। माताओं को पर्याप्त स्वास्थ्य देखभाल तक पहुंच है या नहीं इसका पूरे समुदाय पर पर्याप्त प्रभाव पड़ता है।

कार्यक्रम में डॉ0 ममता हरजाई, डॉ0 अनुराग अग्रवाल, डॉ0 मनोज त्रिपाठी, डॉ0 मनोज गिरी, डॉ0 एस0एस0 नाथ, डॉ0 सूरज कुमार, डॉ0 शिल्पी मिश्रा, डॉ0 स्मृति अग्रवाल, डॉ0 नीतू सिंह, डॉ0 कृति नागर, डॉ0 प्राची सिंह, डॉ0 स्मारिका मिश्रा समेत अन्य संकाय सदस्य, सीनियर, जूनियर रेजीडेंट एवं लखनऊ एवं अन्य जनपदों से आये चिकित्सक उपस्थित रहे।

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