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ट्रॉमा सर्जन प्रो संदीप तिवारी ने कहा, सरकार यह सुझाव मान ले तो मरीजों को अस्पताल दर अस्पताल भटकना नहीं पड़ेगा

-योगी शासन के आठ वर्ष पूर्ण होने पर आयोजित कार्यक्रम में रोड एक्सीडेंट को लेकर एक से बढ़कर एक तर्क दिये प्रो तिवारी ने

सेहत टाइम्स

लखनऊ। किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय केजीएमयू के ट्रॉमा सर्जरी के विभागाध्यक्ष प्रो संदीप तिवारी ने रोड एक्सीडेंट से बचने और इससे होने वाली मौतों में कमी लाने के उपायों पर बोलते हुए शासन में लम्बित महत्वपूर्ण रिपोर्ट को विधान भवन के सदन में पारित करने की अपील की है। इस रिपोर्ट की खास बात यह है कि इसमें कोविड काल की तरह कमांड सेंटर वाली व्यवस्था नियमित रूप से लागू करने का प्रावधान भी शामिल है। इसके लागू होने से दूसरे जिलों से आने वाले मरीजों को अस्पतालों में भर्ती होने के लिए दर-दर भटकना नहीं पड़ेगा।

 

प्रो संदीप तिवारी ने यह अनुरोध उत्तर प्रदेश की योगी सरकार के शासन के आठ वर्ष पूरे होने के मौके पर यहां गोमती नगर स्थित इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान में चल रहे तीन दिवसीय कार्यक्रम के दूसरे दिन “स्वास्थ्य विभाग के नए आयाम” विषय पर संगोष्ठी में विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित विधान परिषद सदस्य मुकेश शर्मा से किया। प्रो संदीप ने कहा कि मुख्यमंत्री ने ट्रॉमा इमरजेंसी नेटवर्किंग कमेटी का गठन किया था, उस कमेटी का मैं भी सदस्य हूं, कमेटी की एक विस्तृत रिपोर्ट उत्तर प्रदेश सरकार को प्रस्तुत थी, उस रिपोर्ट का प्रेजेन्टेशन तत्कालीन मुख्य सचिव दुर्गा शंकर मिश्र के साथ ही उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक के सामने दिया जा चुका है। उन्होंने भी इस पर अपनी मंजूरी दी थी। उस रिपोर्ट को सदन में पारित होना है, उन्होंने मुकेश शर्मा से अनुरोध किया कि आप अपनी ओर से कोशिश करके इस कार्य में सहयोग करें।

उन्होंने कहा कि इस रिपोर्ट में विस्तृत सुझाव दिये गये हैं एक्सीडेंट होने पर एम्बुलेंस कितनी देर में पहुंचनी चाहिये, मरीज को कहां ले जाना चाहिये सहित अनेक प्रावधानों का सुझाव दिया गया है। इसमें खास बात यह है कि जब हम कोविड काल में कमांड सेंटर चला सकते हैं तो इसे नियमित रूप से क्यों नहीं चला सकते हैं। कई बार ऐसा होता है कि मरीज गोरखपुर, बस्ती, अयोध्या से ट्रॉमा सेंटर भेज दिया जाता है, जबकि यहां पहुंचने पर पता चलता है कि बेड खाली नहीं है, ऐसे में अगर कोविड काल की तरह कमांड सेंटर वाली व्यवस्था लागू रहे तो वहां से पता चल जायेगा कि किस अस्पताल में मरीज को भेजा जा सकता है। इससे मरीज भटकेगा नहीं। मुकेश शर्मा ने अपने भाषण में प्रो संदीप तिवारी के इस अनुरोध पर सकारात्मक जवाब दिया कि वे इस मामले में अपना पूरा प्रयास करेंगे।

ट्रैक्टर ट्रॉली सामान ढोने के लिए है, आदमी ढोने के लिए नहीं

अपने सम्बोधन में प्रो तिवारी ने रोड एक्सीडेंट रोकने पर बोलते हुए बताया कि थोड़ी सी सतर्कता से 80 प्रतिशत एक्सीडेंट बचाये जा सकते हैं। इसी क्रम में उन्होंने एलईडी स्क्रीन पर कई फोटो दिखायीं जिनमें विभिन्न वाहनों पर जबरदस्त ओवरलोडिंग दिखायी दे रही थी। उन्होंने एक खास बात यह बतायी कि जब ट्रैक्टर ट्रॉली सामान ढोने के लिए बनी है तो उस पर आदमी क्यों ढोये जाते हैं, इस पर सरकारी विभागों के किसी भी जिम्मेदार की नजर क्यों नहीं पड़ती है। अपनी इस बात के समर्थन में उन्होंने पटना से देवा शरीफ जा रही ट्रैक्टर ट्रॉली की दुर्घटना का जिक्र किया जिसमें 60 लोग सवार थे।

उन्होंने कहा कि हमने एसडीआरएफ के जवानों को दुर्घटना में घायल लोगों की प्राथमिक देखरेख के लिए ट्रेंड किया है। पुलिस के जवानों को भी प्रशिक्षण देने का कार्यक्रम करेंगे। उन्होंने बताया कि हार्ट अटैक आने पर सीपीआर कैसे दिया जाये इस बारे में अमेरिका में स्कूलों में ट्रेंनिंग दी जाती है, इसके परिणाम स्वरूप वहां हार्ट अटैक से होने वाली मौतों में 60 फीसदी की कमी आयी।

डॉ. संदीप तिवारी ने सड़क दुर्घटनाओं और उससे होने वाली मौतों के बारे में बताया कि भारत में रोड एक्सीडेंट से हर साल लगभग 1.5 लाख मौतें होती हैं, जबकि इसके पांच गुना लोग स्थायी दिव्यांगता के शिकार हो जाते हैं। अस्सी फीसद मौतों को रोका जा सकता है। उन्होंने सड़क दुर्घटनाओं के कारण और बचाव को लेकर विस्तार से जानकारी दी। हेलमेट का उपयोग 45 फीसद एवं सीट बेल्ट का उपयोग 61 फीसद मौतों और गंभीर दुर्घटनाओं को कम करता है।

उन्होंने हॉल में उपस्थित लोगों से अनुरोध किया कि हमेशा हेलमेट, सीटबेल्ट लगायें, अगर कोई एक्सीडेंट देखें तो वीडियो न बनायें बल्कि उसे अस्पताल पहुंचायें क्योंकि अब तो सुप्रीम कोर्ट ने भी आदेश दे दिया है कि दुर्घटनाग्रस्त मरीज को अस्पताल पहुंचाने वाले से किसी तरह की पूछताछ नहीं की जायेगी, जरूरत पड़ने पर बाद में भी पुलिस को अगर पूछना होगा तो वह कॉल करके पूछेगी या घर पर सादी वर्दी में आयेगी।

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