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थायरॉइड एडेनोमा का बिना सर्जरी होम्‍योपैथिक दवा से इलाज संभव  

-गौरांग क्‍लीनिक एंड सेंटर फॉर होम्‍योपैथिक रिसर्च में दर्जनों लोगों की बचायी जा चुकी है थायरॉइड सर्जरी

डॉ गिरीश गुप्‍ता

सेहत टाइम्‍स

लखनऊ। थायरॉइड की बढ़ी हुई ग्रंथि (थायरॉइड एडेनोमा) को बिना सर्जरी के होम्‍योपैथिक दवाओं से ठीक किया जा सकता है। स्‍त्री रोगों, त्‍वचा रोगों सहित अनेक प्रकार के जटिल रोगों का होम्‍योपैथी से सफल उपचार कर होम्‍योपैथी की ताकत को वैज्ञानिक तरीके से साबित करने वाले गौरांग क्‍लीनिक एंड सेंटर फॉर होम्‍योपैथिक रिसर्च (जीसीसीएचआर) के संस्‍थापक डॉ गिरीश गुप्‍ता अब तक दर्जनों मरीजों की बढ़ी हुई थायरॉइड ग्रंथि को होम्‍योपैथी दवाओं से पूरी तरह से या काफी हद तक कम कर चुके हैं। यह संयोग ही है कि उनके ठीक हुए लोगों में एक मरीज वह भी शामिल है जो किसी कारण ऑपरेशन टलने के कारण के ऑपरेशन थियेटर से वापस लौट आया था।

49 वर्षीय मरीज इलाज से पूर्व और इलाज के बाद
अल्‍ट्रासाउंड जांच रिपोर्ट इलाज से पूर्व और इलाज के बाद

‘सेहत टाइम्‍स’ से बातचीत में डॉ गिरीश गुप्‍ता ने बताया कि 49 वर्षीय हरदोई के रहने वाले अध्‍यापक की किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी के रेडियोडायग्‍नोसिस विभाग में 16.02.07 को हुई अल्‍ट्रासाउंड जांच के बाद बढ़ी हुई थायरॉइड ग्रंथि की सर्जरी प्‍लान की गयी। निश्चित दिन सर्जरी के लिए ओटी पहुंचे मरीज की किसी कारण सर्जरी टाल दी गयी। इसके बाद वापस वार्ड में पहुंचे मरीज व उनके परिजनों को किसी ने सर्जरी से पहले एक बार जीसीसीएचआर के डॉ गिरीश गुप्‍ता से मिलने की सलाह दी। डॉ गिरीश गुप्‍ता बताते हैं कि उनके पास पहली बार मरीज 20 फरवरी, 2007 को आया था। निर्धारित प्रक्रिया के अनुसार मरीज की हिस्‍ट्री ली गयी, उसके बाद दवा का चुनाव किया गया।

थायरॉइड एडेनोमा से ग्रस्त महिला इलाज से पूर्व और इलाज के बाद

डॉ गिरीश ने बताया कि मरीज को पहली बार दवा देकर एक माह बाद बुलाया गया तो देखा कि बढ़ी हुई थायरॉइड ग्रंथि सिकुड़नी शुरू हो गयी थी, इसके बाद मरीज को एक-एक माह के अंतर पर बुलाया गया, उपचार के चार माह बाद 24 जून, 2007 को एक बार फि‍र अल्‍ट्रासाउंड कराया गया तो बढ़ी हुई थायरॉइड ग्रंथि करीब-करीब पूरी तरह सिकुड़ चुकी थी। इसके बाद भी ट्रीटमेंट जारी रखा गया तथा जनवरी 2008 में पुन: अल्‍ट्रासाउंड जांच करायी गयी तो ट्रीटमेंट से पूर्व जो ग्रंथि 5 सेंटीमीटर की थी, इलाज के बाद 13 मिलीमीटर की रह गयी थी, इसके बाद इलाज बंद कर दिया गया। इस तरह इनकी सर्जरी बच गयी।  

डॉ गिरीश ने बताया कि इसी प्रकार दिसंबर 2019 में एक अन्य महिला जो थायराइड एडेनोमा से ग्रस्त थी वह भी सर्जरी से बचना चाहती थी उसे किसी ने जीसीसीएचआर के बारे में बताया तो वह यहां पहुंची, केस हिस्ट्री लेने के बाद उसे दवा दी गई। लगभग 2 साल इस महिला का इलाज चला जिससे उसका थायराइड एडेनोमा दवाओं से ठीक हो गया और उसकी सर्जरी होने से बच गई। उन्होंने बताया ऐसे दर्जनों केस हैं जिनका थायराइड एडेनोमा सिर्फ होम्योपैथिक दवाओं से ठीक करके उनकी सर्जरी बचाई गई है

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