-पहली बार इस नवीनतम गैजेट का उपयोग करके एक वर्षीय बच्चे के होठ का ट्यूमर निकाला गया
-ऐसी सर्जरी में इस अत्याधुनिक उपकरण का उपयोग दुनिया में कुछ ही स्थानों पर हो रहा
-एसजीपीजीआई में लगभग 20,000 से 30,000 रुपये का खर्च आता है इस सर्जरी में

सेहत टाइम्स
लखनऊ। संजय गांधी पीजीआई के प्लास्टिक सर्जरी विभाग में अल्ट्रासोनिक ऊर्जा का उपयोग करके अत्याधुनिक सर्जिकल उपकरण हार्मोनिक स्केलपेल से संवहनी विकृतियों के चलते होने वाले ट्यूमर (vascular tumors) की सर्जरी अब आसान और अधिक सुरक्षित हो गयी है। उच्च तकनीक वाला अत्याधुनिक सर्जिकल उपकरण हार्मोनिक स्केलपेल का उपयोग ऊतक को एक साथ काटने और दागने के लिए किया जाता है। यह पिछले लगभग एक दशक में उपलब्ध नवीनतम उपकरण है। इस नवीनतम गैजेट का उपयोग करके एक वर्षीय बच्चे के होठ की सर्जरी करके ट्यूमर निकाला गया है। उन्होंने बताया कि इस टेक्निक का उपयोग संजय गांधी पी जी आई व संभवतः राज्य में पहली बार संवहनी विकृतियों के इलाज के लिए किया गया है। इस सर्जरी के साथ, एसजीपीजीआई दुनिया के उन बहुत कम केंद्रों में से एक बन गया है जहां हार्मोनिक स्केलपेल द्वारा संवहनी विकृतियों के इलाज की यह उन्नत सुविधा है।

प्लास्टिक सर्जरी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ राजीव अग्रवाल ने यह जानकारी देते हुए बताया कि एक वर्षीय आयुष यादव ऊपरी होंठ पर एक बड़े संवहनी ट्यूमर के साथ पैदा हुआ था। घाव को छोटा करने के लिए शुरू में उनका इलाज स्क्लेरोसेंट एजेंट द्वारा किया गया, लेकिन इससे कोई विशेष लाभ नहीं हुआ। इसके बाद आज 29 मई को हार्मोनिक स्केलपेल की नवीनतम तकनीक का उपयोग करके उनका ऑपरेशन किया गया, जहां एक बार में पूरे ट्यूमर को हटाया गया। सर्जिकल टीम में मुख्य ऑपरेटिंग सर्जन डॉ. राजीव अग्रवाल शामिल थे और वरिष्ठ एनेस्थीसियोलाजिस्ट डॉ. पुनीत गोयल और डॉ. आरती अग्रवाल ने पूर्ण सहयोग प्रदान किया। सर्जरी के बाद बच्चा ठीक है। हार्मोनिक स्केलपेल के इस्तेमाल से उनका ट्यूमर ठीक हो गया है। इस उपकरण से सर्जरी की लागत भी महंगी नहीं है। इसमें लगभग 20,000 से 30,000 रुपये का खर्च आता है। इस प्रकार यह सर्जरी आम आदमी के लिए बहुत सस्ती है।
उन्होंने बताया कि संवहनी विकृतियाँ रक्त वाहिकाओं के ट्यूमर हैं, पारंपरिक तरीकों से इसका ऑपरेशन करने पर रक्तस्राव होता है, जबकि इस अत्याधुनिक विधि से सर्जरी करने में पहले निकाले जाने वाले भाग को सॉलिड कर लिया जाता है उसके बाद ट्यूमर को रिमूव कर दिया जाता है। हार्मोनिक स्केलपेल शल्य चिकित्सा संबंधी संवहनी विकृतियों के इलाज में एक गेम चेंजर है।
उन्होंने बताया कि अल्ट्रासोनिक ऊर्जा का उपयोग हार्मोनिक स्केलपेल में किया जाता है, जहां सक्रिय ब्लेड पर अल्ट्रासोनिक ऊर्जा को यांत्रिक ऊर्जा में परिवर्तित किया जाता है। मुख्य तंत्र सक्रिय ब्लेड है जो उच्च श्रेणी का घर्षण बल प्रदान करता है जबकि निष्क्रिय ऊपरी भुजा ऊतक को स्थिति में रखती है। इसके मुख्य लाभों में सटीक विच्छेदन, विश्वसनीय हेमोस्टेसिस, कम पार्श्व थर्मल फैलाव है । हार्मोनिक द्वारा विच्छेदन विधि को दिया गया नाम अल्ट्रासिकॉन है। हैंडपीस में ट्रांसड्यूसर में धातु सिलेंडरों के बीच दबाव में पीजोइलेक्ट्रिक क्रिस्टल सैंडविच होता है। अल्ट्रासोनिक जनरेटर अल्ट्रासोनिक ऊर्जा को यांत्रिक ऊर्जा में परिवर्तित करता है। वाहिकाओं की सीलिंग विकृत प्रोटीन कोगुलम के कारण होती है जो टैम्पोनैड और कोऑप्टेशन के कारण होती है। इसमें तीन संगत प्रोब हैं जो कतरनी, ब्लेड और एक हुक हैं। कतरनी 5 मिमी तक के नसों को जमा सकती है, जबकि हुक और ब्लेड केवल 2 मिमी व्यास के होते हैं। इसमें सभी उपकरणों की तुलना में सबसे कम थर्मल फैलाव और धुआं उत्पादन होता है।
एथिकॉन ने पहली बार 1998 में हार्मोनिक स्केलपेल शियर्स की रिलीज के साथ दुनिया को हार्मोनिक अल्ट्रासोनिक तकनीक और इसकी सटीक विच्छेदन क्षमता से परिचित कराया। इसे जॉनसन एंड जॉनसन के एक भाग एथिकॉन द्वारा निर्मित और आपूर्ति किया गया, यह विभिन्न प्रकारों में उपलब्ध एक अद्भुत उपकरण है।

