केंद्रीय स्वास्थ्य विभाग ने गृह मंत्रालय कानून मंत्रालय वह अन्य विभागों के साथ की समीक्षा बैठक
17 जुलाई को होनी है अगली बैठक

लखनऊ/नई दिल्ली। चिकित्सकों और उनके प्रतिष्ठानों के खिलाफ हिंसा पर केंद्रीय अधिनियम बनाने के लिए मसौदा तैयार करने की जिम्मेदारी इंडियन मेडिकल एसोसिएशन को दी गयी है।केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने इस अधिनियम की अनिवार्यता पर चर्चा करने के लिए बुधवार को आई एम ए के साथ गृह मंत्रालय, कानून और अन्य विभागों की बैठक बुलाई। बैठक में इस तरह के अधिनियम की आवश्यकता पर उपस्थित सभी सदस्यों ने सहमति व्यक्त की और एक विधेयक का मसौदा तैयार करने के लिए एक उप समिति का गठन किया गया। प्रारूपण समिति की अगली बैठक 17 जुलाई को निर्धारित है।
आईएमए के पदाधिकारी इसे आईएमए और आईएमए के सभी सदस्यों की प्रारंभिक जीत मान रहे हैं। पदाधिकारियों का मानना है कि आईएमए नेताओं द्वारा एक दिन की राष्ट्रीय हड़ताल और सांसदों की निरंतर संवेदनशीलता के कारण ऐसा हुआ।
कल से पहले आईएमए ने स्वास्थ्य मंत्री डॉ हर्षवर्धन के साथ विशेष मुलाकात कर संसद में पेश होने जा रहे नए सीपीए (उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम) बिल 2019 से स्वास्थ्य सेवाओं को बाहर करने के लिए धन्यवाद दिया। साथ ही IMA ने उन्हें इस बारे में कुछ आशंकाओं से अवगत कराया।
आईएमए ने कैबिनेट मंत्री रामविलास पासवान से भी मुलाकात की, जो सीपीए के लिए जिम्मेदार हैं और उन्हें इस बिल में किए जाने वाले संभावित संशोधनों के लिए सुझाव लिखने के लिए जिम्मेदारी सौंपी जिससे आगे चलकर तकनीकी जटिलता न पैदा ही न हों।
इस बीच सांसदों के साथ आईएमए का संवादात्मक सत्र बुधवार शाम को दिल्ली में आयोजित किया गया। इसमें 39 प्रसिद्ध मेडिको और गैर मेडिको सांसद मौजूद थे।
बैठक में स्वास्थ्य के विभिन्न मुद्दे, जिनमें सीईए, एनएमसी, ग्रामीण स्वास्थ्य मुद्दे, डॉक्टरों के खिलाफ हिंसा, क्रॉसपैथी आदि शामिल थे, पर बहुत सौहार्दपूर्ण वातावरण में चर्चा हुई। सूत्र बताते हैं कि केंद्रीय स्तर पर सीईए के हरियाणा मॉडल का पालन करने के लिए भाजपा के एक वरिष्ठ सांसद द्वारा केंद्रीय अधिनियम से 50 बिस्तर संस्थानों को बाहर रखने का प्रस्ताव किया गया था।

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