-इंटरनेशनल वेबिनार में वैज्ञानिक साक्ष्यों के साथ केस प्रस्तुत किये डॉ गिरीश गुप्ता ने

सेहत टाइम्स
लखनऊ। सामान्य तौर पर 22 वर्ष से 40 वर्ष की आयु वाली महिलाओं में होने वाली एक बीमारी है ओवेरियन सिस्ट, जिसे अंडाशय की रसौली भी कहते हैं। सामान्यतः लोगों का मानना है कि इसका इलाज सिर्फ सर्जरी या हार्मोनल थेरेपी है, लेकिन ऐसा बिलकुल नहीं है बिना सर्जरी कराये होम्योपैथिक दवाओं से भी इसे जड़ से ठीक करना संभव है। रिसर्च में पाया गया है कि होम्योपैथिक के सिद्धांत के अनुरूप अगर इसका इलाज होलिस्टिक अप्रोच यानि सिर्फ रोग का नहीं, रोगी का किया जाये, उसकी मनः स्थिति को समझा जाये, उससे उसकी हिस्ट्री लेकर उसके साथ घटी घटना, उसके व्यवहार, कभी कोई आघात पहुंचा हो, उसकी पसंद-नापसंद, स्वभाव आदि के अनुसार दवा दी जाये तो ओवेरियन सिस्ट समाप्त हो जाती है।
इंटरनेशनल फोरम फॉर प्रमोटिंग होम्योपैथी द्वारा प्रतिदिन आयोजित की जा रही वेबिनार सीरीज के अंतर्गत 9 नवम्बर को ओवेरियन सिस्ट के लिए होम्योपैथिक चिकित्सा और प्रबंधन विषय पर आयोजित एक घंटे के वेबिनार में लखनऊ स्थित गौरांग क्लिनिक एंड सेंटर फॉर होम्योपैथिक रिसर्च (जीसीसीएचआर) के चीफ कंसलटेंट डॉ गिरीश गुप्ता ने ओवेरियन सिस्ट पर की गयी अपनी रिसर्च के बारे में विस्तार से जानकारी दी, उन्होंने इस मौके पर होम्योपैथिक दवाओं से ठीक होने वाले तीन महिलाओं के मॉडल केसेस भी दिखाए। रोग ठीक होने के वैज्ञानिक साक्ष्य के रूप में इन तीनों केसेस में उन्होंने इलाज से पूर्व की अल्ट्रासाउंड रिपोर्ट और ठीक होने के बाद की स्थिति दर्शाने वाली अल्ट्रासाउंड रिपोर्ट भी दिखाई। उन्होंने बताया कि किस प्रकार रोगी की मनः स्थिति उसके मस्तिष्क को प्रभावित करती है, जिसके परिणामस्वरूप हार्मोन्स का डिस्बैलेंस होता है, जो कि किसी भी अंग पर प्रभाव डाल सकती है। यह प्रभाव जब अंडाशय पर पड़ता है तो रसौली बना देता है।
अपने प्रेजेंटेशन में डॉ गिरीश गुप्ता ने कहा कि इस बीमारी की शुरुआत ही मनः स्थिति से होती है, इसलिए इसका इलाज भी मनः स्तिति से शुरू किया गया। उन्होंने बताया कि मरीज की हिस्ट्री के अनुरूप लक्षणों को केंद्र में रखकर दवा का चुनाव किया गया और इसके परिणाम सकारात्मक आये। उन्होंने बताया कि उनके केंद्र जीसीसीएचआर पर ओवेरियन सिस्ट के 249 मरीजों पर शोध किया गया। इन सभी मरीजों की इलाज से पूर्व अल्ट्रा साउंड जांच तथा ठीक होने के बाद अल्ट्रासाउंड जांच कराई गयी। डॉ गुप्ता ने इस शोध के परिणाम के बारे में बताया कि इनमें 211 मरीजों को लाभ हुआ, 17 लोगों की स्थिति में कोई बदलाव नहीं आया, जबकि 21 मरीजों को फायदा नहीं हुआ। यानि कुल मिलकर 84 .74 प्रतिशत लोगों को लाभ हुआ।
डॉ गुप्ता ने बताया कि सर्जरी और हार्मोनल थेरेपी के बिना सिर्फ होम्योपैथिक दवाओं से इलाज करने का उद्देश्य लेकर हमने अपने सेंटर पर आने वाले रोगियों का इलाज किया। इसके तहत सबसे पहले रोग की डायग्नोसिस के लिए मुख्य रूप से अल्ट्रासाउंड जांच कराई जिससे स्पष्ट हुआ कि ओवेरियन में सिस्ट कितनी बड़ी है। इसके बाद मरीजों की हिस्ट्री ली गयी। उन्होंने बताया कि व्यक्ति के मस्तिष्क पर उसकी मनः स्थिति पर तीन फैक्टर ज्यादा प्रभाव डालते हैं, ये तीन फैक्टर हैं किसी बात से डर लगना, तरह-तरह से परेशान करने वाले सपने आना तथा भ्रम होना जैसे कोई मेरे पीछे खड़ा है, इत्यादि। विभिन्न प्रकार के डर, सपने और भ्रम की स्थिति को दर्शाने के लिए उन्होंने अपने पुत्र डॉ गौरांग गुप्ता द्वारा तैयार किये गए एक डायग्राम Psycho Neurology को भी प्रस्तुत किया।

वेबिनार में कई चिकित्सकों ने डॉ गुप्ता से डिसकस भी किया, उनकी रिसर्च की मुक्त कंठ से प्रशंसा की, संचालन कर रहे डॉ मृदुल साहनी और डॉ मनीष ने डॉ गुप्ता के प्रति आभार जताते हुए आगे भी सहयोग की अपेक्षा जताई। वेबिनार में हिस्सा ले रहे डॉ अमर सिंह शेखावत ने भी डॉ गुप्ता के रिसर्च कार्य की तारीफ की। डॉ गिरीश गुप्ता ने भी फोरम द्वारा किये जा रहे डेली वेबिनार के लिए प्रशंसा की।
