एम्स दिल्ली के बराबर वेतन भत्ता न दिये जाने पर रेजीडेंट्स एसोसिएशन का फैसला

लखनऊ। उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ स्थित संजय गांधी पीजीआई एक बार फिर हड़ताल के मुहाने पर खड़ा है। इस बार हड़ताल पर जाने का निर्णय यहां कार्य करने वाले रेजीडेंट डॉक्टरों का है। 7 अप्रैल से सभी रेजीडेंट डॉक्टर कार्य बहिष्कार करेंगे, इमरजेंसी सेवाओं को कार्य बहिष्कार से अलग रखा गया है। इससे पूर्व एसजीपीजीआई प्रशासन की ओर से निदेशक द्वारा रेजीडेंट डॉक्टरों से मरीजों के हित में अपने आंदोलन को स्थगित रखने की अपील की गयी थी, लेकिन इसका कोई असर नहीं पड़ा। निदेशक द्वारा की गयी अपील में इन रेजीडेंट डॉक्टरों को यह भी बताया गया है कि संस्थान में एस्मा लगा हुआ है। ऐसी स्थिति में एस्मा के तहत काररवाई का विकल्प खुला हुआ है।
कुल मिलाकर मरीजों के इलाज पर एक बार फिर आफत की तलवार लटक गयी है क्योंकि यहां पर आने वाले सभी मरीज गंभीर बीमारियों से ग्रस्त होते हैं, ऐसी स्थिति में भर्ती मरीजों को भी अगर इलाज नहीं मिला तो यह भी अपने आप में विषम परिस्थिति होगी।
कार्य बहिष्कार की जानकारी आरडीए एसजीपीजीआई के संयोजक डॉ अनिल गंगवार ने देते हुए बताया कि यह निर्णय हमारी एसोसिएशन की जनरल बॉडी की आज हुई बैठक में लिया गया है। यह पूछने पर कि निदेशक की अपील पर आप लोगों ने विचार नहीं किया, उनका कहना था कि यह मसला काफी दिनों से चला आ रहा है और जब फैकल्टी और कर्मचारियों का वेतन भत्ता एम्स दिल्ली के अनुसार कर दिया गया तो आखिर हमारे साथ यह भेदभाव क्यों। इसीलिए हमने यह निर्णय लिया है।
निदेशक द्वारा जारी अपील में कहा गया है कि उनकी मांगें पूरी सहानुभूति से देखी जा रही हैं और निश्चित रूप से उनके हितों की रक्षा के लिए एसजीपीजीआई प्रशासन प्रतिबद्ध एवं भरसक प्रयत्नशील है। चूंकि प्रत्येक कार्य में कुछ समय अवश्य लगता है, अतः उनसे अपील है की अस्वस्थ मरीजों के हित के नाते वे अपने आंदोलन को स्थगित रखें।
निदेशक द्वारा समाज के प्रत्येक वर्ग के लोगों तथा रेसिडेंट डॉक्टरों के अभिभावकों से भी अपील की गयी है कि वे अपने पुत्र तथा पुत्रियों को समझाएं कि ऐसा कोई काम ना करें जिससे मरीजों का अहित हो एवं साथ ही साथ युवा डॉक्टरों का भी अहित हो क्योंकि यह याद रखना होगा के उत्तर प्रदेश शासन ने संजय गांधी पीजीआई में एस्मा लगा रखा है।
निदेशक ने अपील में कहा कि कि रेजीडेंट डॉक्टर असहयोग आंदोलन न करें और पीजीआई प्रशासन के साथ सहयोग करें जिससे कि उनके हितों के लिए उत्तर प्रदेश शासन में उनकी मांगों को बेहतर तरीके से प्रस्तुत किया जा सके जिससे उनके पक्ष में शीघ्र अतिशीघ्र निर्णय किया जा सके।

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