Friday , October 13 2023

और नहीं बस और नहीं…क्‍लीनचिट लेकर लौटे प्रो त्रिपाठी ने अब खुद छोड़ दिया निदेशक पद

-अचानक निर्णय से सबको चौंकाया, इस्‍तीफे के पीछे बताया व्‍यक्तिगत कारण

-माना जा रहा, लोहिया संस्‍थान में चल रही गुटबाजी से आहत होकर लिया है फैसला  

राजभवन से अभी कोई सूचना जारी नहीं, 23 नवम्‍बर को कार्यवाहक निदेशक की नियुक्ति संभव

सेहत टाइम्‍स ब्‍यूरो

लखनऊ। डॉ राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्‍थान (RMLIMS) के निदेशक प्रो एके त्रिपाठी ने अपने पद से इस्‍तीफा दे‍ दिया है। एक सप्‍ताह पूर्व 13 नवम्‍बर को कुलाध्‍यक्ष से क्‍लीनचिट पाने के बाद 14 नवम्‍बर को पुन: पदस्‍थापित होने के बाद अचानक प्रो त्रिपाठी के इस्‍तीफा देने से सभी हतप्रभ हैं, हालांकि प्रो त्रिपाठी ने इस्‍तीफा देने के पीछे व्‍यक्तिगत कारण बताया है, लेकिन स्थितियां यही कह रही हैं कि प्रो त्रिपाठी को संस्‍थान में कार्य करने में असहजता हो रही थी।

इस सम्‍बन्‍ध में राजभवन या कुलाध्‍यक्ष की ओर से कोई सूचना नहीं आयी है, समझा जाता है कि सोमवार 23 नवम्‍बर को संस्‍थान के कार्यवाहक निदेशक के रूप में नियुक्ति की सूचना जारी होगी, क्‍योंकि नियमित निदेशक की नियुक्ति की प्रक्रिया में लगभग ढाई माह का समय लग जाता है।  

लोहिया संस्‍थान, जिसे बनाते समय मिनी पीजीआई की संज्ञा दी गयी थी, उसमें मरीजों की सुविधाओं, इलाज की क्‍वालिटी में वृद्धि होने के बजाय उनके प्रति लापरवाही होने लगी है। लोहिया अस्‍पताल के संस्‍थान में विलय से पूर्व जो इमरजेंसी सुविधायें आसानी से मरीजों को मिल जाती थीं, वह अब संस्‍थान की इमरजेंसी में नहीं दिखती हैं। सूत्र बताते हैं कि लोहिया संस्‍थान में पिछले कुछ समय से गुटबाजी हावी हो गयी है, गुटबाजी के चलते कार्य प्रभावित होना लाजिमी है, ऐसे में शासन की मंशा पूरी न होने का खामियाजा अक्‍सर संस्‍थान के मुखिया को भुगतना पड़ता है। यही वजह है कि मरीजों को होने वाली दिक्‍कतों, उनको दी जाने वाली सेवाओं के कमी के चलते ही जून माह में संस्‍थान के निदेशक प्रो एके त्रिपाठी को पद से हटाते हुए उनके खिलाफ जांच बैठा दी गयी थी।

इसके बाद एक सप्‍ताह पूर्व ही प्रो त्रिपाठी को जांच में क्‍लीनचिट मिली थी। हालांकि जांच के दौरान प्रो त्रिपाठी को निदेशक पद पर कार्य करने से अलग रखा गया था, जबकि उनकी बाकी सुविधायें सब बरकरार थीं, कुलाध्‍यक्ष से क्‍लीनचिट पाने के बाद यह माना गया कि मरीजों को होने वाली अव्‍यवस्‍थाओं के लिए प्रो त्रिपाठी को जिम्‍मेदार नहीं ठहराया गया। 14 नवम्‍बर को दोबारा पद सम्‍भालते हुए प्रो त्रिपाठी ने व्‍यवस्‍थाओं को सुधारने के प्रयास शुरू कर दिये थे। संस्‍थान के शहीद पथ स्थित कोविड हॉस्पिटल तथा संस्‍थान स्थित इमरजेंसी का दौरा उसी दिन 14 नवम्‍बर को कर कई निर्देश दिये थे। इसके बाद इस पूरे हफ्ते कुछ न कुछ सुधारात्‍मक दिशा-निर्देश देते-देते अचानक इस्‍तीफा देने से सभी लोग आश्‍चर्यचकित हैं।  

प्रो त्रिपाठी इसे व्‍यक्तिगत कारण भले ही बता रहे हों लेकिन यह कितना व्‍यक्तिगत है और कितना मजबूरीवश, यह आसानी से समझा जा सकता है। सूत्र बता रहे हैं कि इस एक सप्‍ताह में प्रो त्रिपाठी सुधारात्‍मक कार्य में तो लगे रहे लेकिन उनकी नजर गुटबाजी पर भी थी। ऐसे माना जा रहा है कि गुटबाजी के चलते उनका अपनी स्‍वाभाविक कार्यशैली में कार्य करना मुश्किल हो रहा था, इसी कारण पांच माह पूर्व जैसी अप्रिय स्थिति फि‍र से आये, इससे पहले ही उन्‍होंने निदेशक पद को बाय-बाय कर दिया।