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नीट पीजी : जीरो परसंटाइल का अर्थ योग्‍यता में कमी होना नहीं

-योग्य उम्मीदवारों में से अत्यधिक योग्य उम्मीदवार छांटने की प्रक्रिया है यह

डॉ शरद कुमार अग्रवाल

धर्मेन्‍द्र सक्‍सेना

लखनऊ। पीजी कोर्सेज (मेडिकल व डेंटल) के लिए नीट पीजी काउंसलिंग 2023 में भाग लेने के लिए क्वालीफाइंग परसेंटेज को जीरो तक घटाने पर प्रतिक्रिया देते हुए इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के राष्‍ट्रीय अध्‍यक्ष डॉ शरद कुमार अग्रवाल ने इसे स्‍वागतयोग्‍य कदम बताया है।

इस बारे में डॉ शरद कुमार अग्रवाल ने ‘सेहत टाइम्स’ से बात करते हुए कहा कि सरकार का यह कदम स्वागत योग्य है। उन्होंने कहा कि जो बच्चा कम्‍प्‍टीशन देने के बाद एमबीबीएस या बीडीएस कर डॉक्‍टर बन चुका है उसे उच्‍च शिक्षा का भी अधिकार होना चाहिए। इसी के तहत आईएमए ने नीट पीजी काउंसलिंग की निर्धारित कट ऑफ का प्रतिशत कम करने की मांग की थी।

एक सवाल के जवाब में डॉ अग्रवाल ने कहा कि 0% कट ऑफ को योग्यता से जोड़कर नहीं देखना चाहिए क्योंकि जो अभ्यर्थी एमबीबीएस और बीडीएस करके चिकित्सक बन चुका है, उसकी योग्यता पर शक नहीं किया जा सकता है। उन्‍होंने कहा कि बहुत से ऐसे कारण होते हैं, जिससे नीट पीजी प्रवेश परीक्षा में अंकों का प्रतिशत गिर सकता है। उन्होंने कहा हमें यह भी ध्यान में रखना होगा की एक तरफ जब हम देश में ज्यादा से ज्यादा संख्या में डॉक्टर बनाने की कोशिश कर रहे हैं, कॉलेज खुले हैं तो ऐसे में पढ़ाने वाले टीचर भी होने आवश्यक हैं, जिसके लिए उच्च शिक्षा की पढ़ाई के लिए अभ्‍यर्थियों का आगे आना बहुत आवश्यक है।

उन्होंने कहा कि जीरो प्रतिशत तक योग्‍यता होने पर भी एडमिशन होने की अनुमति देने पर योग्‍यता पर सवाल उठाने की बात है तो यहां यह समझने की आवश्‍यकता है, नीट पीजी प्रवेश परीक्षा में योग्य उम्मीदवारों में से अत्यधिक योग्य उम्मीदवार छांटने की प्रक्रिया है, इसलिए इस प्रवेश परीक्षा में सबसे कम अंक पाने वाला अभ्यर्थी भी योग्य तो है ही।

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