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मेरा हॉस्पिटल मंदिर है …, मैं फरिश्‍ता हूं …, मैं सिर्फ डॉक्‍टर ही नहीं हूं, मैं हीलर भी हूं…

प्रजापिता ब्रह्म कुमारी विश्‍व विद्यालय की ब्रहमकुमारी शिवानी की क्‍लास में आज्ञाकारी शिष्‍य नजर आये बड़े-बड़े प्रोफेसर

लखनऊ। मेरा हॉस्पिटल मंदिर है …, मैं फरिश्‍ता हूं …, मैं सिर्फ डॉक्‍टर ही नहीं हूं, मैं हीलर भी हूं…,  मेरे हॉस्पिटल में चारों ओर एनर्जी वाइब्रेट हो रही है …, मेरी सोच का मेरे मरीज के उपचार पर असर पड़ेगा, मुझे उसे जल्‍द ठीक करके घर भेजना है …, मुझे उसे इतना ठीक कर देना है कि वह फि‍र से बीमार होकर वापस न आये …। मेरा सुबह का एक घंटा मेरे अपने लिये है, इस एक घंटे में मुझे अपने बारे में पॉजिटिव करना और सोचना है क्‍योंकि मैंने अगर पॉजिटिव सोचा तो मैं अपने मरीज के दिमाग में भी पॉजिटिव देकर उसे खुश कर सकूंगा, इसी खुशी का सीधा असर मरीज के उपचार पर पड़ेगा और वह जल्‍द ठीक हो जायेगा …।

 

 

ये वे विचार हैं जो पिन ड्रॉप साइलेंट में मद्धिम रोशनी के बीच प्रजापिता ब्रह्मकुमारी ईश्‍वरीय विश्‍वविद्यालय माउंट आबू, राजस्थान की बीके शिवानी ने किंग जॉर्ज चिकित्‍सा विश्‍व विद्यालय के चिकित्‍सकों के मन में अपने ओजस्‍वी अंदाज में उतारे। केजीएमयू के अटल बिहारी कन्‍वेंशन सेंटर के हॉल में “Healing Self Through Self Realisation”  विषय पर आयोजित कार्यशाला कई मायनों में अपने अनोखे अंदाज में आयोजित हुई। सामान्‍यत: कार्यक्रम में जब मुख्‍य अतिथि का सम्‍बोधन होता है तो उसके बाद धन्‍यवाद प्रस्‍ताव आयोजक की ओर से दिया जाता है, तथा बाद में औपचारिक तरीके से कार्यक्रम का समापन घोषित किया जाता है। लेकिन इस कार्यक्रम में जब मुख्‍य अतिथि और मुख्‍य वक्‍ता बीके शिवानी ने सम्‍बोधित किया तो अपने सम्‍बोधन के अंत में डॉक्‍टरों से अपने अंतर्मन में झांकते हुए अनमोल विचार उनके अंतर्मन में उतार रही थीं, उसी के तुरंत बाद बीके शिवानी ने हॉल में उपस्थित कुलपति सहित सभी शिक्षकों व अन्य लोगों से आह्वान किया कि अब सभी लोग बिना आवाज किये शांतिपूर्वक हॉल से बाहर निकल जायें और बाहर प्रसाद ग्रहण कर लें। बीके शिवानी के दिस इस निर्देश के बाद आज्ञाकारी शिष्‍य की भांति सभी लोग हॉल के बाहर आ गये, जिससे कार्यक्रम का स्‍वत: समापन हो गया।

 

दर्शन करने जैसी संतुष्टि मरीज को दें

 

बीके शि‍वानी ने अपने सम्‍बोधन की शुरुआत में कहा कि चिकित्‍सा एकमात्र ऐसा प्रोफेशन है जिसमें व्‍यक्ति को दूसरे व्‍यक्ति की सेवा करने का अवसर मिलता है, लेकिन अशांत मन और आक्रामक स्वभाव से सेवा पूर्ण नहीं होती और पहले से ही परेशान मरीज और अधिक परेशान हो जाता है। उन्‍होंने डॉक्‍टरों से आह्वान किया कि जिस प्रकार हम सब मंदिर जाते हैं तो घंटों यात्रा में लग जाते हैं, फि‍र लम्‍बी लाइन में घंटों खड़े रहने के बाद जब दर्शन होते हैं जिसमें मात्र कुछ से‍कंड के लिए ही दर्शन करने को मिलता है, और वे कुछ सेकंड के दर्शन ही भक्‍तों को संतुष्‍ट कर देते हैं। इसी प्रकार चिकित्‍सक का व्‍यवहार ऐसा होना चाहिये कि वह भले ही अपने मरीज को व्‍यस्‍तता के चलते अधिक समय न दे पाये लेकिन अपने व्‍यवहार से मरीज को इतना संतुष्‍ट कर दें कि मरीज के अंदर चिकित्‍सक के प्रति अच्‍छे भाव आयें ये अच्‍छे भाव ही मरीज के उपचार में जबरदस्‍त मदद करेंगे।

गुस्‍सा आता नहीं है, गुस्‍सा करते हैं

 

बीके शिवानी ने कहा कि लोग कहते हैं कि मैं गुस्‍सा करता नहीं हूं, गुस्‍सा आ जाता है, उन्‍होंने कहा कि ऐसा सोचना गलत है गुस्‍सा कहीं बाहर से नहीं आता है, यह तो आपके मस्तिष्‍क में ही पैदा होता है, इसलिए इस गुस्‍से को अपने मन में आने नहीं देना है।

 

 

गुस्‍से में इतना तो ध्‍यान रहता ही है कि

बीके शिवानी ने डॉक्‍टरों से कहा कि जब गुस्‍सा आता है तो आप सभी लोगों पर तो गुस्‍सा करते नहीं हैं, सिर्फ गुस्‍सा कुछ मरीजों पर ही करते हैं यानी कि गुस्‍से पर आपका काबू है और आप समझते हैं कि हम किस पर आसानी से गुस्‍सा कर सकते है, ऐसे में आप अपना सॉफ्ट टारगेट मरीज को चुन लेते हैं, और धीरे-धीरे यह आदत बन जाता है। इसलिए संयम से काम लीजिये, गुस्‍से को मन में आने ही न दीजिये।

 

उन्‍होंने कहा कि जिस तरह से हमने पोलियो को खत्‍म किया है उसी तरह से डिप्रेशन को खत्‍म करें, एक घंटा अपने आपको दें इसमें आधा घंटा किताब पढ़ें और आधा घंटा ध्‍यान यानी मेडिटेशन को दें। समारोह में शामिल ब्रह्मकुमारी राधा ने कहा कि जीवन के लिए तीन चीजों की आवश्‍यकता होती है, दवा, दुआ और दया। उन्‍होंने कहा कि रोगों की रोकथाम पर विशेष जोर देना होगा।

बीके शिवानी के सम्‍बोधन से पूर्व इस अवसर पर मुख्य सचिव चिकित्सा शिक्षा, उत्तर प्रदेश डॉ रजनीश दुबे तथा चिकित्सा विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो एमएलबी भट्ट ने कहा कि ब्रह्माकुमारी शिवानी बहन का सरल एवं सुंदर वर्णन अद्भुत, अविस्मरणीय है, निसंदेह इसका लाभ यहां उपस्थित चिकित्सकों एवं अन्य श्रोताओं को मिलेगा और इस आयोजन से मिले लाभ को चिकित्सक, मरीजों के उपचार में प्रयोग करेंगे। उन्‍होंने इस कार्यशाला के मुख्‍य आयोजक डीन पैरामेडिकल प्रो विनोद जैन की इस कार्यशाला के सफल आयोजन के लिए सराहना की।

 

शिक्षा के मंदिर में देवी सरस्‍वती की प्राण प्रतिष्‍ठा जैसा है बीके शिवानी का केजीएमयू में आगमन

प्रो विनोद जैन ने अपने उद्बोधन में बीके शिवानी के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि इलेक्‍ट्रॉनिक्‍स से बीटेक करने के बाद बीके शिवानी प्रजापिता ब्रह्म कुमारी ईश्‍वरीय वि‍श्‍व विद्यालय से जुड़ गयीं थीं। उन्‍होंने कहा कि बीके शिवानी का केजीएमयू में आगमन इस शिक्षा के मंदिर में देवी सरस्‍वती के आगमन जैसा है।

इस अवसर पर रजिस्ट्रार आरके राय, वित्त अधिकारी मो जमा, डीन, स्टूडेंट वेलफेयर डॉ जीपी सिंह, डीन नर्सिंग, डॉ मधुमति गोयल, क्वीन मेरी अस्पताल की अधीक्षक डॉ एसपी जैसवार, ऑर्थो विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ प्रदीप टण्डन, अधिष्ठाता दंत संकाय, प्रो0 शादाब मोहम्मद, पेरियोडोंटिक विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ आरके चक, सहित सैकड़ों की संख्या में चिकित्सक, छात्र-छात्राएं एवं कर्मचारीगण उपस्थित रहे।

 

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