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तलने में इस्‍तेमाल हुए तेल से सब्‍जी बनायें, पराठा बनायें, लेकिन दोबारा तलें नहीं

-विश्‍व कैंसर दिवस पर आईएमए ने आयोजित की संगोष्‍ठी

सेहत टाइम्‍स ब्‍यूरो

लखनऊ। तले हुए तेल के दोबारा इस्‍तेमाल करते समय इससे सब्‍जी और पराठा तो बना सकते हैं, लेकिन दोबारा तलने में नहीं इस्‍तेमाल करें। फलों-सब्जियों को आधा घंटा पानी में डुबोकर रखने के बाद नल की धार में धोकर ही इस्‍तेमाल करें जिससे उस पर पड़ा हुआ कीटनाशक धुल जाये। इस तरह की अनेक सलाह विशेषज्ञों ने मंगलवार को आईएमए में आयोजित कार्यक्रम में दी।

इंडियन मेडिकल एसोसिएशन लखनऊ के तत्‍वावधान में मंगलवार 4 फरवरी को विश्‍व कैंसर दिवस पर एक कैंसर जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस जागरूकता कार्यक्रम के तहत लोगों को कैंसर से बचने के बारे में विशेषज्ञों ने आयी हुई जनता को जानकारी दी। उन्‍हें बताया गया कि किस प्रकार से सावधानी बरत कर वे अपने और अपने परिवार को कैंसर से बचा सकते हैं।

मीट के अत्‍यधिक सेवन से हो सकता है कोलन कैंसर

रिवर बैंक कॉलोनी स्थित आईएमए भवन में आयोजित इस कार्यक्रम में आये हुए लोगों का स्‍वागत करते हुए अध्‍यक्ष डॉ रमा श्रीवास्‍तव ने तम्‍बाकू और धूम्रपान न करने की सलाह दी, ताजे फल, ताजी सब्जियां खायें, बकरे के गोश्‍त का सेवन कम से कम करें, जो लोग मीट ज्‍यादा खाते हैं उनके कोलन में कैंसर हो जाता है। भारत में अलग-अलग राज्‍यों में अलग-अलग अंगों के कैंसर पाये जाते हैं, जैसे कि साउथ में मसाले विशेषकर मिर्ची का सेवन ज्‍यादा होता है तो उन्‍हें पेट का कैंसर ज्‍यादा होता है। मध्‍य प्रदेश में तम्‍बाकू का सेवन ज्‍यादा करते हैं तो वहां मुंह का कैंसर ज्‍यादा पाया जाता है। गांठ, दाना, बच्‍चेदानी में समस्‍या जो समझ में न आ रही हो तो चिकित्‍सक को जरूर दिखवा लें, क्‍योंकि अगर कैंसर का समय रहते इलाज हो जाता है तो यह ठीक हो जाता है। संचालन आईएमए की एडिटर डॉ सरिता सिंह ने किया।

इच्‍छा शक्ति की बहुत बड़ी भूमिका

डॉ शैलेन्‍द्र यादव ने कहा कि कैंसर एक ऐसी अवधारणा बन गयी है, कि यह बहुत बड़ी बात है, लेकिन अपनी इच्‍छा शक्ति विल पावर से इस पर विजय पायी जा सकती है। जो मरीज सोचता है कि मैं ठीक हूं, उसे इलाज तो करना चाहिये लेकिन उसकी मजबूत इच्‍छा श‍क्ति के चलते वह आसानी से ठीक हो जाता है। उन्‍होंने कहा कि चाकू लगने से कैंसर बढ़ जाता है, यह भ्रांति है, उन्‍होंने कहा कि अगर कैंसरग्रस्‍त हिस्‍सा ठीक से नहीं निकाला गया, तो जरूर तेजी से फैलता है क्‍योंकि बॉडी तेजी से मांस को हील करती है तो ऐसे में कैंसर वाला मांस भी बढ़ जाता है लेकिन अगर डॉक्‍टर अगर चाकू लगाता है और वह कैंसरग्रस्‍त हिस्‍सा पूरा निकाल देता है, तो कैंसर नहीं फैलता है। कैंसर ठीक हो सकता है, कैंसर के साथ अच्‍छे से रहा जा सकता है। जिया जा सकता है, जिसका कैंसर ठीक हो जाये, वह दूसरे को बताये कि उसका कैंसर ठीक हो गया, इससे लोगों में विश्‍वास और बढ़ जाता है, डरेंगे नहीं तो मुकाबला कर सकते हैं।

मीठी सुपारी, मीठी सौंफ का भी सेवन न करें

कैंसर एड सोसाइटी के सचिव डॉ पीयूष ने कहा कि कैंसर की लड़ाई में बच्‍चों की भूमिका सबसे महत्‍वपूर्ण है, घर में धूम्रपान करता है तो उसे रोकें, क्‍योंकि उससे पीने वाले को तो नुकसान हो ही रहा है, दूसरे सदस्‍यों को भी नुकसान होता है, क्‍योंकि धुआं उनके शरीर में भी जाता है। जिससे कैंसर होने की संभावनायें बढ़ जाती हैं, उन्‍होंने कहा कि बच्‍चे भी कभी-कभी देखकर मीठी सुपारी, मसाला, मीठी सौंफ खाने लगते हैं, लेकिन ध्‍यान रखें इससे भी कैंसर हो सकता है, क्‍योंकि इनमें इस्‍तेमाल होने वाला रंग कैंसर पैदा कर सकता है। उन्‍होंने कहा कि साफ-सुथरा रहना भी जरूरी है, नहाते समय सिर से पैर तक अच्‍छे से साबुन लगाकर नहाना चाहिये।

फल-सब्जियां आधा घंटा पानी में डुबोकर रखें

फल, सब्‍जी को आधा घंटा पानी में डुबोकर रखें जिससे उस पर डाले गये कीटनाशक धुल जायेंगे तथा बाद में उसे नल की धार में धोकर इस्‍तेमाल करें। रंगीन फलों और सब्जियों में एंटी ऑक्‍सीडेंट पदार्थ होता है और यह शरीर के विषैले पदार्थों को मारने का काम करता है। इस एंटी ऑक्‍सीडेंट की शरीर में कमी से कई प्रकार की शारीरिक व मानसिक बीमारियां हो सकती हैं। चुकंदर, टमाटर, गाजर, तरबूज, आम, पपीता जैसी चीजों में एंटी ऑक्‍सीडेंट ज्‍यादा मिलते हैं लेकिन जैसे बैंगन है यह ऊपर से तो रंगीन है लेकिन जब काटा जाता है तो अंदर से हल्‍के हरे रंग का होता है, इ‍सलिए इसमें ज्‍यादा एंटी ऑक्‍सीडेंट नहीं मिलता। सोयाबीन की बरी का सेवन करें, तो प्रोटीन भी मिलेगा और कैंसर निरोधक क्षमता भी मिलेगी, कम से कम दो लीटर पानी पीयें। हेपेटाइटिस बी का टीका लगवायें।

डॉ पीयूष ने कहा कि तलने में इस्‍तेमाल किये हुए तेल को दोबारा तलने के लिए नहीं इस्‍तेमाल करें, इसका इस्‍तेमाल सब्‍जी बनाने और पराठा बनाने के लिए किया जा सकता है। क्‍योंकि बार बार तलने के लिए इस्‍तेमाल करने में इसके सेवन से कैंसर होने की संभावना रहती है। चोकरयुक्‍त आटे का प्रयोग करना चाहिये।

डॉ सरिता सिंह ने भयावह तस्‍वीर दिखाकर किया जागरूक

कार्यक्रम का संचालन करने वाली आईएमए की एडिटर डॉ सरिता सिंह ने मुंह के कैंसर के रोगियों की फोटो दिखाकर लोगों को तम्‍बाकू का इस्‍तेमाल न करने के लिए जागरूक किया। उन्‍होंने खैनी, तम्‍बाकू के सेवन के परिणामस्‍वरूप हुए कैंसर के रोगियों के मुंह की भयावह स्थिति के बारे में आये हुए लोगों को जागरूक किया। उन्‍होंने कहा कि इन तस्‍वीरों को दिखाने का उद्देश्‍य यही है कि लोग सिगरेट, सुरती, पान, गुटखा आदि का सेवन कतई न करें।

कम्‍बलों का किया गया वितरण

कार्यक्रम के अंत में सचिव डॉ जेडी रावत ने आये हुए जनता के गरीब तबके के आये हुए लोगों को मौजूद अतिथियों के हाथों कम्‍बल का वितरण कराया। समाजसेवा करने वाली सायरा बानो की मदद से उनकी संस्‍था से जुड़े लोगों को कम्‍बल वितरण किये गये। डा0 जेडी रावत ने कहा कि कैंसर जैसी बीमारी की रोकथाम करने के लिए और इसके प्रति जागरूकता लाने के लिए आईएमए सहित बहुत सी सरकारी और गैर सरकारी संस्थाओ द्वारा विभिन्न कैंम्प रैली लेक्चर और सेमिनार आदि चलाये जातें हैं। इस मौके पर सिलीगुड़ी से आये कैंसर विशेषज्ञ डॉ पंकज चौधरी, डॉ वीरेन्द्र यादव, डॉ रिजवी सहित कई चिकित्सक शामिल रहे।

सिगरेट-बीड़ी के विज्ञापनों को न दें बढ़ावा : डॉ आरबी सिंह

कार्यक्रम में विशेष अनुमति लेते हुए कार्यकारिणी सदस्‍य डॉ आरबी सिंह ने कहा कि मेरा यह अनुरोध है कि समाचार पत्रों के प्रथम पृष्‍ठ पर सिगरेट आदि के विज्ञापन न छापें तथा सरकारी संस्‍थानों द्वारा धूम्रपान की वस्‍तुएं बेचने के लिए दुकानें न दी जायें।

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