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अप्रत्‍याशित घटनाओं से उत्‍पन्‍न स्थितियों के चलते भी बढ़ जाते हैं किडनी रोगी

-सरकार को चाहिये हर जिले में एक चिकित्सा आपदा कक्ष स्थापित करे

-संजय गांधी पीजीआई में विश्‍व गुर्दा दिवस के उपलक्ष्‍य में जागरूकता कार्यक्रम आयोजित

सेहत टाइम्‍स

लखनऊ। अप्रत्याशित घटनाएं स्थानिक (भूकंप, बाढ़, युद्ध, अत्यधिक मौसम) या वैश्विक (COVID-19 महामारी जैसी) हो सकती हैं। भूकंप में, अचानक ही मृत्यु और चोटें बढ़ती हैं, इसलिए मायोग्लोबिनुरिया, दर्द निवारक दवाओं के उपयोग, रक्तस्राव और शरीर में पानी की कमी से किडनी रोगियों की संख्या भी बढ़ती है। परिणामस्वरूप प्रशिक्षित जनशक्ति और डायलिसिस उपकरणों की मांग बढ़ जाती है, जो पहले से ही सीमित है।  इसी तरह की स्थिति युद्ध में भी देखी जा सकती है, जैसा कि हाल ही में यूक्रेन युद्ध में देखा गया है, जहां ऐसी आवश्यकता वाले लोगों के लिये डायलिसिस और दवाओं की आपूर्ति रुक गई। इन्टरनेशनल सोसायटी ऑफ नेफ्रोलाजी  ने इस परिस्थिति का सामना करने के लिए अपनी आवाज बुलंद की है। इन्टरनेशनल सोसायटी ऑफ नेफ्रोलाजी के काउंसलर एवं इन्डियन सोसायटी ऑफ नेफ्रोलाजी  के पूर्व सचिव डॉ. नारायण प्रसाद ने इस मुद्दे का समर्थन करते हुए सुझाव दिया है कि सरकार हर जिले में एक चिकित्सा आपदा कक्ष स्थापित करे, जो आपदा के समय वंचितों की मदद करने के लिए कार्य करे।

डॉ नारायण प्रसाद ने यह सुझाव विश्व गुर्दा दिवस के अवसर पर, 18 मार्च को संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान के नेफ्रोलॉजी विभाग द्वारा सी.वी. रमन कॉन्फ्रेंस रूम, लाइब्रेरी बिल्डिंग में आयोजित एक जागरूकता कार्यक्रम में कही। उन्‍होंने कहा कि विश्व किडनी दिवस हर वर्ष मार्च के दूसरे गुरुवार को मनाया जाता है। होली के त्योहार के कारण, विभाग ने 9 मार्च 2023 की बजाय 18 मार्च को इसे मनाने का फैसला किया, क्योंकि जनसामान्य  के बीच किडनी रोगों के बारे में जागरूकता फैलाना विभाग की प्राथमिकता है। इस वर्ष विश्व किडनी दिवस की थीम है – “सभी के लिए किडनी स्वास्थ्य, अप्रत्याशित की तैयारी और कमजोरों का समर्थन।” 

इस कार्यक्रम का उद्घाटन निदेशक प्रो. आर.के. धीमन द्वारा मुख्य चिकित्सा अधीक्षक प्रो. संजय धिराज, मेडिकल सुपरिंटेंडेंट प्रो. वी के पालीवाल और संस्थान के अन्य संकाय सदस्यों की उपस्थिति में किया गया। नेफ्रोलाजी विभाग के अध्यक्ष प्रो नारायण प्रसाद ने उपस्थित अतिथियों का स्वागत किया। नेफ्रोलाजी विभाग के सभी संकाय सदस्य डॉ अनुपमा कौल, डॉ धमेंद्र भदौरिया, डॉ मानस पटेल, डॉ मोनिका याच्चा, डॉ मानस बेहेरा, डॉ रवि कुशवाहा, डॉ जय कुमार मायप्पन, डॉ वंशीधार, डॉ हर्षिता शर्मा, डॉ बसवराज और डॉ अब्दुला भी इस अवसर पर मौजूद थे। 600 से अधिक लोगों ने इस जागरूकता कार्यक्रम में भाग लिया।

डॉ नारायण प्रसाद ने बताया कि वर्तमान समय में, दुनिया भर में 850 मिलियन से अधिक लोग किडनी रोग से पीड़ित हैं। उन्‍होंने कहा कि COVID-19 महामारी एक वैश्विक आपदा थी। नेफ्रोलॉजी विशेषज्ञ जनसमुदाय और सरकार का समर्थन करने के लिए आगे आये, जिन्होंने AKI वाले उन मरीजों का प्रबंधन करने के लिए दिशानिर्देश तैयार किए, जिन्हें डायलिसिस की आवश्यकता थी और जो 3 से 4 दिन से अधिक डायलिसिस के बिना नहीं रह सकते। SGPGIMS के नेफ्रोलॉजी विभाग ने आवश्यक मरीजों के लिए एक अलग डायलिसिस इकाई स्थापित की है और ट्रांसप्लांट मरीजों के लिए दवाओं की नियमित आपूर्ति भी सुनिश्चित की है। CKD का इलाज महंगा और जीवन भर का होता है। इसलिए इस बीमारी को होने से रोकने पर बल देना होगा। अतः उच्च रक्तचाप वाले रोगियों, मधुमेह रोगियों, वृद्ध लोग, अधिक वजन वाले, जेनेटिक और जिसके परिवार में गुर्दा रोगी हो, बार-बार पथरी बनने वालों आदि को अपनी नियमित रूप से जाँच करानी चाहिए। इन रोगियों की प्रोटीन्यूरिया और मूत्र में रक्त के साक्ष्यों और सीरम क्रेटिनाइन की संकेतों की जांच हर 6-12 महीनों में की जानी चाहिए। किसी भी असामान्यता वाले लोगों को नेफ्रोलॉजिस्ट के पास जाना चाहिए। 

जागरूकता कार्यक्रम की झलकियां

1. 6 साल तक डायलिसिस पर रहने वाले मरीजों पर एक छोटा वीडियो कम डॉक्युमेंट्री फिल्म – जिन्हें ट्रांसप्लांट मिला और फिर से डायलिसिस पर लौटना पड़ा; किडनी एक दूसरे से एक्सचेंज करने और सफल ट्रांसप्लांटेशन करने का स्वैप ट्रांसप्लांट पर एक फिल्म; कैडवेरिक किडनी ट्रांसप्लांट की एक सफल कहानी, और कैडवेरिक दाताओं के परिवार के सदस्यों में दान के आनंद की एक किरण; और ट्रांसप्लांट के बाद स्वस्थ होने और नौकरी पाने, स्वयं और अन्य परिवार के सदस्यों का समर्थन करने के बाद की रिकवरी, भी प्रदर्शित की गई हैं, जो यूट्यूब और फेसबुक पर उपलब्ध होंगी।

2. जनता मे जागरूकता बढ़ाने के लिए एक पोस्टर प्रतियोगिता भी आयोजित की गई थी और इस विषय पर 110 पोस्टर प्रदर्शित  गए थे। सभी श्रेणियों के विजेताओं को पुरस्कार दिए गए हैं।

3. श्रुति ऑडिटोरियम से SGPGIMS गेट तक पोस्टर और बैनरों के साथ वॉकाथॉन आयोजित किया गया।

4. प्रत्येक उपस्थित व्यक्ति को एक हैंडबिल वितरित किया गया था, जिसमें किडनी रोगों से बचाव के टिप्स थे। उन्हे विभाग की ओर से एक कैप भी वितरित की गई।

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