-केजीएमयू के 16वें दीक्षांत समारोह में मुख्य अतिथि राष्ट्रपति रामनाथ कोविन्द का सम्बोधन
-विद्यार्थियों में प्रारम्भ से ही शोध की मानसिकता विकसित करनी चाहिये
सेहत टाइम्स ब्यूरो
लखनऊ। देश के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा है कि हमारे देश का हेल्थ सेक्टर ऐसा बने जिससे कि पूरे विश्व में क्योर इन इंडिया (Cure in India) मुहावरा बन जाये। उन्होंने कहा कि 58 स्पेशियलिटी से युक्त केजीएमयू में प्राइमरी डेटा पर आधारित इंटर डिस्पिलिनरी और मल्टी डिस्पिलिनरी (अंत:विषयक और बहुविषयक) रिसर्च की अपार संभावनायें हैं। उन्होंने कहा कि विद्यार्थियों में प्रारम्भ से ही शोध की मानसिकता विकसित करनी चाहिये। राष्ट्रपति ने ये विचार किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (केजीएमयू) के सोमवार 21 दिसम्बर को यहां केजीएमयू के अटल बिहारी साइंटिफिक कन्वेंशन सेंटर में आयोजित 16वें दीक्षांत समारोह में वर्चुअली शामिल हुए।
राष्ट्रपति ने अपने सम्बोधन में कहा कि केजीएमयू के कई पूर्व छात्र कई दशकों से देश-विदेश के चिकित्सा संस्थानों के उच्चतम पदों को सुशोभित करते हुए अपना उल्लेखनीय योगदान देते रहे हैं। यहां के पूर्व छात्रों ने देश की मेडिकल एजूकेशन में प्रभावशाली नेतृत्व दिया है। यहां के छात्र रह चुके चिकित्सकों में एक पद्म विभूषण, छह पद्म भूषण, 28 पद्मश्री और 45 बीसी राय पुरस्कार से सम्मानित डॉक्टर भी शामिल हैं।
अमेरिका में हर सातवां डॉक्टर भारतीय मूल का
उन्होंने भारत के मेडिकल क्षेत्र को गौरवशाली बताते हुए कहा कि अमेरिका में हर सातवां डॉक्टर भारतीय मूल का है और अमेरिका के निवासी भारतीय डॉक्टर पर बहुत भरोसा करता है। अन्य कई विकसित देशों में भी ऐसा ही सम्मान प्राप्त होता है।
कोविड से निपटने में केजीएमयू की अग्रणी भूमिका
राष्ट्रपति ने कहा कि हम सभी 2020 में वैश्विक महामारी कोविड का सामना करते रहे यह स्थिति भारत में और गंभीर हो सकती थी, लेकिन केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा समय रहते उचित कदम उठाये जाने से इस महामारी पर यथासंभव नियंत्रण रखा जा सका है। उन्होंने कहा कि देश की सबसे बड़ी आबादी वाले राज्य उत्तर प्रदेश में कोविड की जांच, चिकित्सा और रोकथाम में केजीएमयू ने भी असाधारण योगदान दिया है। उन्होंने कहा कि मुझे बताया गया कि सिर्फ केजीएमयू में ही अब तक लगभग 9 लाख सेम्पल के टेस्ट हो चुके हैं।
राष्ट्रपति के स्वास्थ्य की देखभाल की कमान भी जॉर्जियन के हाथ
उन्होंने कहा कि मेरे स्वास्थ्य की देखभाल के साथ-साथ राष्ट्रपति भवन परिवार के स्वास्थ्य की देखभाल भी केजीएमयू के पूर्व छात्र के सक्षम हाथों में है।
कोविड योद्धाओं के बलिदान का सदैव ऋणी रहेगा देश
उन्होंने कहा कि केजीएमयू जैसे सार्वजनिक अस्पतालों ने कोविड का सामना करने में अग्रणी भूमिका निभायी है। इन्हीं असाधारण प्रयासों के चलते घनी आबादी और सीमित आय जैसी परिस्थिति वाले करोड़ों देशवासी कोविड का सामना कर पा रहे हैं। मैं सभी देशवासियों की ओर से ऐसे सार्वजनिक अस्पतालों वाले केजीएमयू जैसे सभी संस्थानों के सभी डॉक्टरों, नर्सों एवं अन्य स्वास्थ्य कर्मियों को सभी देशवासियों की ओर विशेष धन्यवाद देता हूं। उन्होंने कहा कि कोरोना से लड़ाई में अग्रिम पंक्ति के योद्धाओें ने सराहनीय भूमिका निभायी है, अनेक कोविड योद्धाओं ने अपनी जान भी गंवाई है। हमारा देश इन बलिदानियों का सदैव ऋणी रहेगा।
नाम से पूर्व डॉक्टर जुड़ने पर दी बधाई
इससे पूर्व अपने सम्बोधन की शुरुआत में ही राष्ट्रपति ने दीक्षांत समारोह में डिग्री और मेडल पाये सभी विद्यार्थियों को बधाई देते हुए कहा कि अब आपके नाम के पहले डॉक्टर शब्द जुड़ जायेगा, युवा विद्यार्थियो को विशेष बधाई। उन्होंने कहा कि आपने जिस नोबल प्रोफेशन को चुना है उसक महत्व केवल जीविकोपार्जन नहीं, आपने मानव सेवा का मार्ग चुना है। हमारे देश में डॉक्टर को भगवान का दर्जा दिया जाता है, आप सब युवा डॉक्टर यह हमेशा याद रखें कि मरीज केवल मेडिकल केसेज नहीं, वे संवेदनशील मनुष्य होते हैं जो पीड़ा परेशानी तनाव और आशंका की स्थिति में आपके पास आते हैं अत: उनकी देखभाल करने वाले डॉक्टरों-नर्सों की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण हो जाती हे।
केजीएमयू की गौरवशाली परम्परा को सराहा
उन्होंने कहा कि केजीएमयू ने गंभीर चुनौतियों के बीच एक गौरवशाली परम्परा स्थापित की है। संस्थान में 1911 में शिक्षा आरम्भ होने के बाद पहला दशक गंभीर चुनौतियों से भरा हुआ था, 1916 में पहली बार निकले बैच के लोग विषम परिस्थितियों में प्रथम विश्व युद्ध में विभिन्न मोर्चों पर चिकित्सा प्रदान करने के लिए तैनात कर दिये गये। इसके बाद 1918 में वैश्विक महामारी स्पैनिश फ्लू आयी इससे सबसे ज्यादा मौतें भारत में हुई थीं, यहां 31 करोड़ लोगों में सवा से डेढ़ करोड़ की मौत हो गयी थी जबकि पूरी दुनिया में लगभग पांच करोड़ की मौत हुई थी। उन्होंने कहा 1911 से 1921 के बीच का ही एकमात्र दशक ऐसा है जिसमें जनसंख्या में कमी दर्ज की गयी।
उन्होंने कहा कि केजीएमयू के गांधी मेमोरियल एवं सम्बद्ध चिकित्सालय, कस्तूरबा चेस्ट हॉस्पिटल, सरदार पटेल ब्वॉयज हॉस्टल, कलाम सेंटर और अटल बिहारी वाजपेयी साइंटिफिक कन्वेंशन सेंटर जैसे भवन हमारे राषट्रनिर्माताओं के आदर्शों की याद दिलाते हैं।
बेटियों से समावेशी भारत के निर्माण में विशेष योगदान की आशा
उन्होंने कहा कि प्रोफेशनल शिक्षा के क्षेत्र में महिलाओं की भागीदारी समाज में हो रहे बदलाव और विकास का प्रतिबिम्ब है। उन्होंने कहा कि मैंने देखा कि केजीएमयू पहले बैच के 31 विद्यार्थियों की सूची में मात्र दो छात्रायें थीं, उन्होंने कहा कि मुझे यह जानकर खुशी है कि आज 44 पदक विजेताओं में से 21 बेटियां हैं जो लगभग 50 प्रतिशत हैं, मुझे यह विश्वास है ऐसी बेटियां 21वीं सदी के समावेशी भारत का निर्माण करने में अपना विशेष योगदान देंगी।
जॉर्जियंस एल्यूमिनाई एसोसिएशन को सुझाव
उन्होंने कहा कि 12,500 सदस्यों वाली जॉर्जियन अल्यूमिनाई एसोसिएशन अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सक्रिय है, मेरा सुझाव है कि इस एसोसिएशन द्वारा एक नॉलेज पोर्टल स्थापित किया जाये जिसमें देश-विदेश में कार्यरत सभी जॉर्जियंस अपनी विशेष जानकारी और अनुभव साझा करें इससे विशेषकर युवा जॉर्जियंस बहुत प्रभावित होंगे।