Wednesday , October 16 2024

रोग के तीव्र निदान के लिए स्वचालित उपकरणों से भी लैस होना पड़ेगा

-संजय गांधी पीजीआई में तीन दिवसीय आईएएमएम पीजी असेंबली 2024-नॉर्थ जोन का उद्घाटन

सेहत टाइम्स

लखनऊ। पारम्परिक तरीकों से की जा रही प्रक्रिया में रोग का निदान होने में अक्सर ज्यादा समय लग जाता है, जिसके कारण रोग बढ़ता जाता है, आज जरूरत है कि रोग के तीव्र निदान की। इसके लिए वर्तमान में अपनायी जा रही नयी-नयी प्रक्रियाओं को समझने के लिए जहां आप सबको समकालीन क्या है इसे जानना होगा तथा स्वचालित उपकरणों से भी लैस होना पड़ेगा।

यह बात यहां स्थित संजय गांधी पीजीआई में माइक्रोबायोलॉजी विभाग द्वारा 16 से 18 अक्टूबर, 2024 तक आयोजित किये जा रहे इंडियन एसोसिएशन ऑफ मेडिकल माइक्रोबायोलॉजिस्ट्स (आईएएमएम) पीजी असेंबली 2024-नॉर्थ जोन के पहले दिन विशेषज्ञों ने इस पीजी असेंबली में पूरे भारत से भाग ले रहे 24 प्रतिभागियों से अपने सम्बोधन में कही। इसकी थीम “क्लिनिकल माइक्रोबायोलॉजी के भविष्य को अपनाना : मूल बातें से स्वचालन तक” है। इसका उद्घाटन संस्थान के डीन माइक्रोबायोलॉजी विभाग के प्रोफेसर और प्रमुख डॉ. शालीन कुमार के नेतृत्व में दीप प्रज्ज्वलित करके किया गया। उनके साथ माइक्रोबायोलॉजी विभाग के अतिरिक्त प्रोफेसर डॉ. रुंगमेई एसके मारक, डॉ. चिन्मय साहू भी शामिल रहे।

डॉ. रुंगमेई एसके मारक ने प्रतिभागियों का गर्मजोशी से स्वागत किया, इस तीन दिवसीय कार्यक्रम के दौरान विभाग द्वारा प्रदान किए जाने वाले व्यापक शिक्षण अवसरों के बारे में जानकारी दी। डॉ. चिन्मय साहू ने भी रेजीडेंट्स डॉक्टर्स को संबोधित किया। आज के कार्यक्रम में व्याख्यान और व्यावहारिक सत्रों का मिश्रण था, जिसमें आवश्यक कौशल और अंतर्दृष्टि की जानकारी देते हुए BACT/अलर्ट सिस्टम और MALDI-TOF VITEK-MS जैसी तीव्र जीवाणु पहचान प्रणालियों के बारे में आवश्यक बातों के बारे में बताया गया। यह सिस्टम पारंपरिक तरीकों की तुलना में पहचान को गति देता है। सत्र में स्वचालित AST सिस्टम के बारे में बताया गया कि VITEK जैसे प्लेटफ़ॉर्म ने एंटीबायोटिक्स/एंटीफंगल के लिए बैक्टीरिया/फंगल प्रतिरोध के परीक्षण को सुव्यवस्थित किया है, जो समय लेने वाली पारंपरिक AST विधियों की तुलना में तेज़ परिणाम प्रदान करता है। इसके अतिरिक्त इस कार्यशाला में MALDI-TOF MS तकनीक का उपयोग करके दुर्लभ यीस्ट और फफूंदी की पहचान करने तथा परजीवी विज्ञान की जटिलताओं पर चर्चा की गई।

बायोफायर तकनीक, जो नमूना संग्रह के 2 घंटे बाद नैदानिक ​​नमूनों से रोगज़नक़ की पहचान के लिए एक मल्टीपैरामीट्रिक सिंड्रोमिक दृष्टिकोण है, से समकालीन निदान पर इसके प्रभाव पर प्रकाश डाला गया। साथ ही, VIDAS प्रणाली का उपयोग करके ICU/वार्ड में एंटीबायोटिक से संबंधित दस्त पैदा करने वाले एजेंट क्लॉस्ट्रिडियोइड्स डिफिसाइल का पता लगाने का भी प्रदर्शन किया गया।

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