Saturday , October 14 2023

टीकों की नयी खोज के साथ ही खोजे जा चुके टीकों से लाभ लेना भी जरूरी

हेपेटाइटिस बी से बचाव के लिए टीका लगवाने का आह्वान किया डॉ दीपक अग्रवाल ने

डॉ दीपक अग्रवाल

सेहत टाइम्‍स ब्‍यूरो

लखनऊ। जानलेवा हेपेटाइटिस बी से बचा जा सकता है सिर्फ एक बार बचाव का इंजेक्‍शन लगाकर, तो फि‍र इससे अच्‍छा क्‍या हो सकता है, हम लोग अनेक जानलेवा बीमारियों से बचने के लिए टीका की खोज कर रहे हैं, अच्छी बात है लेकिन जिस जानलेवा बीमारी का टीका मौजूद है, उसका इस्‍तेमाल करके बचने के लिए भी सोचना चाहिये। बात अगर हेपेटाइटिस सी की करें तो इसका इलाज उपलब्‍ध है, इसे लगकर कराने की जरूरत है। यह टीका किसी भी उम्र के व्‍यक्ति को लगाया जा सकता है।

यह बात लखनऊ के वरिष्‍ठ पेट एवं लिवर रोग विशेषज्ञ ग्‍लोबल हॉस्पिटल के डॉ दीपक अग्रवाल ने वर्ल्ड हेपेटाईटिस डे के मौके पर पत्रकारों को जानकारी देते हुए कही। उन्‍होंने कहा कि एनसीबीआई के आंकड़ों के अनुसार चीन के बाद भारत दूसरे स्थान पर है जहां लगभग 5 करोड़ भारतीय हेपेटाईटिस बी से क्रोनिक रूप से संक्रमित है और 1.2 करोड़ से 1.8 करोड़ भारतीयों को हेपेटाईटिस सी है। उन्‍होंने कहा कि यह आंकड़े देश   में बढ़ती चिंता का विषय है क्योंकि यह वायरस बहुत तेजी से फैलने वाला है। उन्होंने आगे कहा कि यदि हेपेटाईटिस बी एवं सी का समय पर इलाज न किया जाए, तो ये जानलेवा बीमारियां जैसे लिवर की क्रोनिक बीमारी साईरोसिस (लिवर पर धब्बे) और लिवर कैंसर तक कर सकती हैं। इसलिए वैक्सीनेशन एवं एंटीवायरल इलाज समय पर किया जाना हेपेटाईटिस के नियंत्रण के लिए बहुत जरूरी है।

डॉ अग्रवाल ने कहा कि हर साल साउथ ईस्ट एशिया में हेपेटाईटिस से 4,10,000 मौतें हो जाती हैं और इनमें से 81 प्रतिशत का कारण हेपेटाईटिस बी और सी की क्रोनिक बीमारियां हैं। ये दो वायरस संक्रमित खून या वायरस से पीड़ित व्यक्ति के शरीर के अन्य द्रव्यों के संपर्क में आने से फैलते हैं। यह यौन संसर्ग, संक्रमित सुई या सिरिंज, संक्रमित इन्वेसिव मेडिकल उपकरणों के उपयोग, या माता-पिता से वर्टिकल ट्रांसमिशन द्वारा फैल सकता है। उन्‍होंने कहा कि हेल्थकेयर वर्कर को सबसे ज्यादा जोखिम होता है क्योंकि वो मरीजों या संक्रमित सामग्री के लगातार संपर्क में रहते हैं।

उन्‍होंने कहा कि उनका विचार है कि हेपेटाइटिस बी की वैक्‍सीनेशन लोगों को फ्री लगवाने में ग्‍लोबल हॉस्पिटल का भी योगदान हो, यह कार्यक्रम नियमित रूप से चले, इसके लिए प्रयास किये जा रहे हैं।