Wednesday , October 18 2023

इप्‍सेफ की प्रधानमंत्री से अपील, कर्मचारियों की पीड़ा पर ध्‍यान दें

-बायोमीट्रिक हाजिरी सहित अन्‍य मामलों में सरकार की उदासीनता पर जताया रोष

सेहत टाइम्‍स

लखनऊ। इंडियन पब्लिक सर्विस एम्‍प्‍लायी फेडरेशन इप्‍सेफ ने बायोमैट्रिक से दो समय की हाजिरी की अनिवार्यता सहित कर्मचारियों से जुड़े अन्‍य मामलों पर अपनी पीड़ा बयान करते हुए प्रधानमंत्री से पुन: आग्रह किया है कि कर्मचारी सरकार के अभिन्न अंग है। सारा काम ग्रामीण स्तर तक वही करते हैं। इसलिए उनकी पीड़ा पर विशेष ध्यान दें, अन्यथा उनमें मेहनत से जनता की सेवा करने की क्षमता समाप्त होती जायेगी, क्योंकि वे मानसिक रूप से परेशान रहते हैं।

इप्‍सेफ के राष्‍ट्रीय सचिव अतुल मिश्रा द्वारा यहां जारी विज्ञप्ति में यह जानकारी देते हुए कहा गया है कि राष्‍ट्रीय अध्‍यक्ष वीपी मिश्रा ने कहा है कि सरकार कर्मचारियों की पीड़ा सुनने को तैयार नहीं है। मुख्यमंत्री से लेकर सभी अधिकारी, कर्मचारियों की पीड़ा नहीं सुनते हैं। वर्तमान मुख्य सचिव भी कर्मचारी संगठनों से न मिलते हैं और न ही बात करते हैं। राष्ट्रीय महासचिव प्रेमचन्द्र एवं  राष्ट्रीय सचिव अतुल मिश्र ने बताया कि वर्षों से 7वें वेतन आयोग की संस्तुतियों पर सरकार ने कैडर पुनर्गठन नहीं किया है, व वेतन विसंगतियां लम्बित पड़ी है तथा रिक्त पदों पर नियमित भर्तियां एवं पदोन्नतियां लम्बित हैं, राज्यों में कई भत्तों की कटौती कर दी गयी है। आउटसोर्सिंग संविदा कर्मचारियों की भी अति दयनीय दशा है वे 6, 7 हजार के वेतन में कैसे परिवार चलायेंगे।

उन्‍होंने कहा है कि मीडिया के माध्यम से ज्ञात होता है कि कई कर्मचारी परेशान होकर आत्महत्या करने को मजबूर होते जा रहे है। पुरानी पेंशन की बहाली न होने से एनपीएस वाले कर्मचारी जब रिटायर होंगे तो उन्हें दो रोटी भी मिलना मुश्किल हो जायेगी। वर्तमान परिवेश में महंगाई चरम सीमा पर है। कर्मचारी समाज इस महंगाई का दंश झेल नहीं पा रहा है। उन्‍होंने कहा कि सरकार के द्वारा जुलाई में महंगाई भत्तों के किस्तों की घोषणा की जानी थी लेकिन केन्द्र सरकार द्वारा नहीं की गई जो कि न्यायसंगत नहीं है।

वीपी मिश्र ने कहा है कि बायोमीट्रिक हाजिरी ने कर्मचारी को अपने परिवार एवं समाज से अलग कर दिया है, कर्मचारी प्रातः 9 बजे से सायं 6 बजे तक अपनी ड्यूटी पर रहेगा तो बीमार माता-पिता एवं बच्चों को कब डाक्टर के पास ले जायेगा। उसे सायं 6 बजे भी हाजिरी लगानी पड़ती है। उसे घर का सामान भी लाना पड़ता है, पर उसके पास समय ही नहीं है, इसलिए उसे कुछ तो समय मिलना चाहिए।

श्री मिश्र ने कहा है कि इस तरह की व्यवस्था अंग्रेज सरकार में भी नहीं थी। सरकारी कर्मचारी मशीन बन गया है। वह परिवार एवं समाज से अलग होता जा रहा है। उन्होंने कहा कि जब भी एनडीए की सरकारें आईं इनकी व्यवस्था से पूरा कर्मचारी परिवार दुखी एवं नाराज है, उनका कहना है कि ऐसे उनके परिवार की आकस्मिक देखभाल कौन करेगा।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Time limit is exhausted. Please reload the CAPTCHA.