-विश्व लिवर दिवस पर डॉ गिरीश गुप्ता से विशेष वार्ता
सेहत टाइम्स
लखनऊ। फैटी इनफिल्टरेशन ऑफ लिवर या फैटी लिवर बीमारी का उपचार होम्योपैथी में उपलब्ध है। गौरांग क्लीनिक एंड सेंटर फॉर होम्योपैथिक रिसर्च (जीसीसीएचआर) में फैटी लिवर के उपचार पर किया जा चुका शोध 13 वर्ष पूर्व प्रतिष्ठित जर्नल में प्रकाशित हो चुका है। जीसीसीएचआर पर अप्रैल 2016 तक उपचार किये जा चुके फैटी लिवर के मरीजों में करीब 60 फीसदी मरीजों को लाभ हुआ है।
यह जानकारी विश्व लिवर दिवस के मौके पर जीसीसीएचआर के संस्थापक व चीफ कन्सल्टेंट डॉ गिरीश गुप्ता ने एक विशेष वार्ता में दी। उन्होंने बताया कि फैटी लिवर के उपचार पर उनकी शोध एशियन जर्नल ऑफ होम्योपैथी के नवम्बर 2010 से जनवरी 2011 के अंक वॉल्यूम 4 नम्बर 4(13) में प्रकाशित हो चुकी है। उन्होंने बताया कि सफल उपचार की वैज्ञानिक प्रमाणिकता के लिए उपचार के पूर्व और उपचार के दौरान व उपचार के बाद की स्थिति की जांचें मरीजों द्वारा चुने गये डायग्नोस्टिक सेंटर्स पर करायी गयीं, इन जांचों में अल्ट्रासाउन्ड, लिवर फंक्शन टेस्ट, लिपिड प्रोफाइल और यूरिन टेस्ट शामिल हैं।
उन्होंने फैटी लिवर के तीन ग्रेड ग्रेड 1, ग्रेड 2 तथा ग्रेड 3 के कुल मरीजों को दिये गये उपचार के परिणाम की जानकारी देते हुए बताया कि 39.42 फीसदी मरीज पूरी तरह ठीक हो गये जबकि 20.19 प्रतिशत रोगियों को आंशिक लाभ हुआ, 36.89 प्रतिशत मरीजों की स्थिति जैसी की तैसी रही यानी दवा से न तो रोग बढ़ा और न ही रोग घटा, जबकि 3.50 प्रतिशत रोगियों को दवा से कोई लाभ नहीं हुआ।
उन्होंने बताया कि संख्या के अनुसार आकलन करें तो अप्रैल 2016 तक कुल 515 मरीजों में 203 मरीज जहां पूरी तरह ठीक हो गये वहीं 104 मरीजों में आंशिक लाभ हुआ जबकि 190 मरीजों का रोग जैसे का तैसा रहा, जबकि 18 रोगियों को कोई लाभ नहीं हुआ। उन्होंने बताया कि इनमें ग्रेड 1 के 307 रोगी, ग्रेड 2 के 149 रोगी तथा ग्रेड 3 के 59 रोगी शामिल हैं।
लक्षण
डॉ गिरीश ने बताया कि फैटी लिवर के रोगियों में होने वाले लक्षणों की बात करें तो इनमें भूख में कमी, जी मिचलाना, उल्टी, अनियमित रूप से वजन घटना, याददाश्त कमजोर होना-भूलना, पसलियों में दर्द, मुंह सूखना, बुखार, टांगों और पैर के पंजों में सूजन शामिल है।
रोग का कारण
फैटी लिवर बीमारी के कारणों के बारे में डॉ गिरीश का कहना था कि इनमें अल्कोहल के सेवन, मोटापा, मधुमेह, टेट्रासाइक्लिन का हाई डोज, बिना डॉक्टर की सलाह के अंग्रेजी दवाओं का अत्यधिक सेवन, फास्ट फूड, व्यायाम विहीन आरामतलब जीवन शैली जैसे कारण शामिल हैं।