Tuesday , December 19 2023

होम्योपैथिक स्टडी : अनेक शारीरिक बीमारियों की जड़ है चिंतित-भयभीत मन

-जब मन का किया इलाज तो शारीरिक बीमारियां भी हो गयीं ठीक

-अंतर्राष्ट्रीय वेबिनार में डॉ गौरांग गुप्ता ने दिया विस्तृत व्याख्यान

सेहत टाइम्स
लखनऊ।
होम्योपैथी के जनक डॉ सैमुअल हैनिमैन का कहना था कि अनेक शारीरिक रोगों की उत्पत्ति व्यक्ति के मन की स्थिति के कारण होती है, और जब मन की इस स्थिति का इलाज कर दिया जाता है तो शारीरिक रोग भी ठीक हो जाता है। होम्योपैथी की इन दोनों अवधारणाओं की वैज्ञानिकता साबित करने के लिए गौरांग क्लीनिक एंड सेंटर फॉर होम्योपैथिक रिसर्च (जीसीसीएचआर) के परामर्शदाता डॉ गौरांग गुप्ता स्टडी कर अपने एमडी कोर्स करने के दौरान इस पर थीसिस लिख चुके हैं।

दि इंटरनेशनल फोरम फॉर प्रमोशन ऑफ होम्योपैथी (IFPH) के डेली वेबिनार के 248वें एपीसोड में डॉ गौरांग गुप्ता को ‘शारीरिक रोगों की होम्योपैथिक चिकित्सा में मन की अवस्था की उत्पति की भूमिका’ विषय पर व्याख्यान देने के लिए आमंत्रित किया गया। डॉ गौरांग ने बहुत ही आकर्षक और सरल तरीके से प्रस्तुत इस व्याख्यान के लिए वेबिनार में शामिल लोगों ने डॉ गौंरांग की प्रशंसा की। अपना व्याख्यान प्रस्तुत करते हुए डॉ गौरांग गुप्ता ने बताया कि व्यक्ति का मस्तिष्क पूरे शरीर को नियंत्रित करता है जबकि मस्तिष्क को नियंत्रित करता है मन और हमारे मन के ऊपर अनेक छोटी-बड़ी घटनाओं का कहीं न कहीं प्रभाव पड़ता है, इन्हीं में कुछ ऐसी घटनाएं ऐसी होती हैं गहरे दुख का कारण बन जाती है, कभी किसी आघात का असर म​न पर गहरा पड़ता है तो कभी परिस्थितियों के चलते मन को मारना पड़ता है, सपने अधूरे रह जाने का गम जैसी चीजें मन का प्रभावित करती हैं। डॉ गौरांग ने बताया कि इनके अलावा अप्रिय स्वप्न भी मन को गहरी चोट पहुंचाते हैं, क्योंकि जब व्यक्ति सपना देख रहा होता है तब उसे वह सत्य मान रहा होता है, ऐसे में उसके मन को सपना चोट पहुंचाता है, खासतौर से ऐसे सपने उसे अक्सर आते हैं तो मन को चोट बार-बार पहुंचती है। उन्होंने बताया कि इसी प्रकार बहुत से लोगों को भ्रम होता है कोई उनके पीछे खड़ा है, अंधेरे में कोई खड़ा है उन पर हमला न कर दे। डॉ गौरांग कहते हैं कि ये सभी अवस्थाएं मन को चोट पहुंचाती हैं।

डॉ गौरांग ने कहा कि ब्रेन एक ऐसा चौराहा है ​जहां से सभी अंगों के रास्ते जाते हैं। ये दो प्रकार के होते हैं एंडो न्यूरोलॉजिकल पाथवे व एंडो क्राइनोलॉजिकल या हॉर्मोनल पाथवे, मन को चोट पहुंचने से मस्तिष्क से स्राव होते हैं, ये स्राव जब एंडो न्यूरोलॉजिकल पाथवे व एंडो क्राइनोलॉजिकल या हॉर्मोनल पाथवे से होकर शरीर के जिस अंग में पहुंचते हैं, उनमें बीमारी पैदा हो जाती है।

उन्होंने बताया कि इस स्टडी के लिए हमने दस प्रकार की बीमारियों से ग्रस्त मरीजों को चुना। इनमें महिलाओं को होने वाली बीमारियों के साथ ही दूसरी तरह की बीमारियों को शामिल किया गया। कुल दस प्रकार की बीमारियों, 33 मरीज और तीन वर्ष तक आकलन के साथ यह स्टडी की गयी। जिन बीमारियों को इस स्टडी में शामिल किया गया, उनमें यूटेराइन फायब्रॉयड, ओवेरियन सिस्ट, पीसीओएस, फाइब्रोडेनोमा ऑफ ब्रेस्ट, बीपीएच, हाईपोथायरॉयडिज्म, रूमेटाइड आर्थराइटिस, विटिलिगो, सोरायसिस और लायकेन प्लेनस शामिल थीं।

कैसे​ किया आकलन

डॉ गौरांग ने बताया कि शारीरिक व मानसिक लक्षणों के लिए 0 से 5 का स्कोर निर्धारित किया गया, इसमें 0 का मतलब लक्षण की तीव्रता सबसे कम तथा 5 का मतलब लक्षण की तीव्रता की चरम स्थिति। इसमें इलाज से पहले और इलाज के बाद का स्कोर अंकित कर उसका आकलन किया गया। चार्ट के जरिये डॉ गौरांग ने दिखाया कि मरीजों का कुल मेंटल स्कोर जो शुरुआत में 4.2 था वह उपचार के बाद 1.3 पहुंच गया यानी 2.8 का अंतर आया इसी प्रकार फिजिकल स्कोर 3.5 से 0.9 पहुंच गया यानी इसमें भी 2.6 की कमी आयी।

स्टडी के परिणाम के बारे में डॉ गौरांग ने बताया कि कुल 33 मरीजों में 13 यानी 39 प्रतिशत की बीमारी पूरी तरह ठीक हो गयी जबकि शेष 20 मरीजों यानी 61 फीसदी लोगों की स्थिति में सुधार जारी था। डॉ गौरांग ने बताया कि इस तरह से डॉ हैनिमैन के इस सिद्धांत को वैज्ञानिक रूप से सिद्ध किया जा सका कि बहुत सी शारीरिक बीमारियों की वजह मन पर होने वाला असर है तथा मन की स्थिति को ठीक करने से शारीरिक बीमारियां भी ठीक हुईं या उनमें सुधार हुआ। अपने व्याख्यान में डॉ गौरांग ने तीन मॉडल केस भी प्रस्तुत किये।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Time limit is exhausted. Please reload the CAPTCHA.