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अल्‍जाइमर से होने वाले प्रभावों को कम करने की क्षमता है होम्‍योपैथिक दवाओं में

-वृद्धावस्‍था में भूलना स्‍वाभाविक प्रक्रिया, लेकिन प्रक्रिया सीवियर होने पर बन जाती है अल्‍जाइमर बीमारी

डॉ गिरीश गुप्‍त

सेहत टाइम्‍स ब्‍यूरो

लखनऊ। वृद्धावस्‍था में जिस प्रकार से सभी अंग कमजोर पड़ने लगते हैं, उसी प्रकार से मस्तिष्‍क की कोशिकायें भी डिजेनरेट यानी कमजोर पड़ने लगती हैं, यह एक स्‍वाभाविक प्रक्रिया है, लेकिन जब यह प्रक्रिया पांच गुनी बढ़ जाती है यानी सीवियर डिजेनरेशन होने लगता है तो यह अल्‍जाइमर बीमारी कहलाती है। अगर इस बीमारी के उपचार की बात करें तो होम्‍योपैथिक दवाओं से इन कोशिकाओं के डिजेनरेट होने के चलते होने वाले लक्षणों को जरूर कम किया जा सकता है, इसका पूर्ण उपचार किसी पद्धति में उपलब्‍ध नहीं है।

यह कहना है राजधानी लखनऊ स्थित गौरांग क्‍लीनिक एंड सेंटर फॉर होम्‍योपैथिक रिसर्च के संस्‍थापक होम्‍योपैथिक विशेषज्ञ डॉ गिरीश गुप्‍त का। वर्ल्‍ड अल्‍जाइमर्स डे के मौके पर सेहत टाइम्‍स से विशेष बातचीत में डॉ गुप्‍ता ने बताया मस्तिष्‍क की कोशिकाओं का डिजेनरेट होना एक स्‍वाभाविक प्रक्रिया है, इसमें व्‍यक्ति बातों को भूलने लगता है, लेकिन कोशिकाओं के डिजेनरेट होने की गति जब सामान्‍य से पांच गुना ज्‍यादा हो जाती है तो मस्तिष्‍क के हायर फंक्‍शंस खत्‍म होने लगते हैं, और व्‍यक्ति की मेमोरी लॉस होने लगती है। ऐसे में खाना खाने के बाद भी भूल जाना, रास्‍ता भटक जाना, कान में आवाजें आना, आवाज आने का भ्रम होना, बच्‍चों जैसा व्‍यवहार करना, जिद करना, रोने लगना जैसे लक्षण होते हैं। उन्‍होंने बताया कि मस्तिष्‍क की कोशिकाओं के डिजेनरेशन की शुरुआत  60 वर्ष से हो जाती है तथा 70 वर्ष से 90 वर्ष तक ज्‍यादा हो जाती है।  उन्‍होंने कहा कि अल्‍जाइमर सभी को हो यह जरूरी नहीं है।

डॉ गिरीश गुप्‍ता कहते हैं कि कोशिकाओं का डिजेनरेट होना चूंकि एक स्‍वाभाविक प्रक्रिया है इसलिए इसका पूर्ण उपचार किसी भी चिकित्‍सा पद्धति में नहीं है। जहां तक होम्‍योपैथी की बात है तो इसमें भी इसके उपचार की दवा तो नहीं है, लेकिन इतना अवश्‍य है कि इस प्रक्रिया से होने वाले प्रभाव की रफ्तार को धीमा किया जा सकता है। होम्‍योपैथिक दवायें डीजेनरेशन के प्रॉसेस को धीमा कर देती हैं। साधारण तरीके से कहा जाये तो अल्‍जाइमर के चलते पड़ने वाले प्रभाव की गति को कम किया जाना संभव है। इसके अतिरिक्‍त होम्‍योपैथिक दवाओं के लाभ ये भी हैं कि इसे बच्‍चा हो या बुजुर्ग आराम से खा सकता है क्‍योंकि मीठी गोलियां लेना आसान है, इसका साइड इफेक्‍ट नहीं होता है, सस्‍ती पड़ती है।