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गेहूं, जौ, राई व ओट्स में पाया जाने वाला ग्‍लूटन दे सकता है गंभीर बीमारी

-सीलिएक एक गंभीर ऑटोइम्यून डिसऑर्डर, 100 में 1 व्‍यक्ति इसका शिकार

-लोहिया आयुर्विज्ञान संस्‍थान मना रहा 8 से 14 मई तक सीलिएक जागरूकता सप्ताह

सेहत टाइम्‍स  

लखनऊ। सीलिएक एक गंभीर ऑटोइम्यून डिसऑर्डर है, जो आनुवंशिक रूप से अति संवेदनशील लोगों में हो सकता है। आनुवंशिकी इस स्थिति के प्रसार में एक प्रमुख भूमिका निभाती है, इसलिए यह समस्या बच्चों में भी हो सकती है। गेहूं, जौ, राई व ओट्स में पाये जाने वाले एक प्रोटीन (ग्लूटन) से होने वाले रोग सीलिएक के कारण पेट से संबंधित जैसे दस्त, पेट दर्द, पेट फूलना, उल्टी होना के अलावा शरीर का विकास न होना शरीर का वजन कम होना और कुछ अन्य अंगो से संबंधित जैसे लि‍वर की बीमारियां, हडि्डयों की बीमारी, दांत में एनामिल की दिक्कत, अनीमिया (खून की कमी), बार-बार गर्भपात, शरीर में दाने कमजोरी की शिकायत इत्यादि शामिल हैं।

यह जानकारी डॉ राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान के पीडियाट्रिक गैस्ट्रोएंटेरोलॉजिस्ट और हेपेटोलॉजिस्ट  डॉ पीयूष उपाध्याय ने दी। ज्ञात हो संस्‍थान में 8 से 14 मई तक सीलिएक जागरूकता सप्ताह के रूप में मनाया जा रहा है। इस अवसर पर संस्थान की निदेशक प्रो सोनिया नित्यान्नद ने बताया कि दुनिया की आबादी का लगभग 0.7 प्रतिशत हिस्सा सीलियक रोग से प्रभावित है। वहीं भारत में इस बीमारी से करीब 60 से 80 लाख लोगों के ग्रसित होने का अनुमान है। ताजा आंकड़ों के मुताबिक, उत्तर भारत में प्रति 100 में एक व्यक्ति इस बीमारी से जूझ रहा है।

डॉ पीयूष उपाध्याय ने बताया, यदि आपको और आपके बच्चे को पेट दर्द या दस्त की शिकायत रहती हैं? आपका बच्चा क्लास में सबसे छोटे कद का है, अक्सर थकान महसूस करता है? आपका लि‍वर ठीक काम नहीं कर रहा है? जरा सा मुड़ने पर आपके पैर की हड्डी टूट गई है? इन सबका एक कारण हो सकता है सीलिएक रोग। उन्होंने आगे बताया कि 10-15 वर्ष पहले जिस बीमारी के बारे में सुना भी नहीं जाता था, आज अनुमान है कि करीब 80 लाख(लगभग 1 प्रतिशत ) लोग इस बीमारी से ग्रस्त हैं। उन्‍होंने बताया कि सीलिएक रोग में ग्लूटन खाने से छोटी आंतों को नुकसान होता है। शरीर को पौष्टिक तत्व नहीं मिल पाते हैं जिसके परिणाम स्वरूप कई रोग और लक्षण सामने आते हैं।

उन्‍होंने कहा कि यकीन करना मुश्किल है लेकिन जहां-जहां गेहूँ का सेवन किया जाता है वहीं यह रोग पाया जाता हैं। हमारे देश के उत्तरी राज्यों में जहाँ गेहूँ का प्रयोग ज्यादा होता है सीलिएक रोग ज्यादा पाया जा रहा है। उन्‍होंने कहा कि यह एक आनुवंशिक रोग है और करीब एक तिहाई जनसंख्या में इसका कारक जीन पाया जाता है। गेहूँ और ग्लूटन युक्त अन्य अनाजों का उपयोग करने से इनमे कुछ लोगों में सीलिएक रोग किसी भी उम्र में (6 महीने से लेका 90 वर्ष तक) सक्रिय को सकता है।

बच्चों में लक्षण

पेट में दर्द ,मतली, भूख की कमी,उल्टी ,दस्त,चिड़चिड़ापन,कम वृद्धि,विलंबित यौवन,पीली त्वचा,ऐंठन,मुंह के कोनों पर अल्सर का फट जाना,

वयस्कों में लक्षण

सूजन, गैस, दस्त, वजन घटना, भूख कम होना, थकान, पेट में दर्द, हड्डी का दर्द, व्यवहार में परिवर्तन, मांसपेशियों में ऐंठन और जोड़ों का दर्द, ऐंठन, चक्कर आना, त्वचा में लाल चकत्ते आना,  दंत समस्याएं, माहवारी में दिक्‍कत, बांझपन, हाथ-पांव में उत्तेजना में परिवर्तन।

डॉ पीयूष उपाध्याय ने आगे बताया कि एंटी टीटीजी टेस्ट व इंडोस्कोपी के जरिए बीमारी की अवस्था का पता लगाकर समय पर इलाज शुरू कर दें तो बच्चे को बीमारी के दुष्प्रभावों से बचाया जा सकता है।

क्‍या खा सकते हैं और क्‍या नहीं

उन्होंने बताया कि इस रोग में आटा, ब्रेड, मिठाई, सूजी, केक, ओटस से बने खाद्य पदार्थ खाना मना होता है, जबकि, चावल, बेसन, दूध व दूध से बने खाद्य पदार्थ, दालें, इडली, सांबर, आलू, चाय, कॉफी, जैम, शहद से बने खाद्य पदार्थ खाए जा सकते हैं।

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