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तीन दशकों में हृदय की प्रमुख धमनी की बीमारी के 300 प्रतिशत रोगी बढ़े हैं भारत में

हृदयाघात प्रबंधन के बारे में विस्तार से जानकारी दी जाएगी दो दिवसीय ‘स्टेमी इंडिया 2018’ में

 

 लखनऊ. हृदय की प्रमुख धमनी (कोरोनरी धमनी) की बीमारी (जिसे ‘कोरोनरी आर्टरी डिजीज’ कहते हैं) भारत में सबसे आम असंक्रामक बीमारी है. इस रोग से होने वाली रुग्णता तथा मृत्यु दर भारतवासियों में सबसे अधिक है. यह जानकारी हृदय रोग विशेषज्ञ तथा स्टेमी इंडिया के डायरेक्टर डॉ थॉमस एलेग्जेंडर, ने यहाँ 30 जून और 1 जुलाई को होने वाले कोर्स ‘स्टेमी इंडिया 2018’ के बारे में बताते हुए शुक्रवार को एक पत्रकार वार्ता में दी. इस कोर्स में स्टेमी इंडिया द्वारा विकसित किये गए हृदयाघात प्रबंधन के बारे में विस्तार से जानकारी दी जाएगी.

 

आपको बता दें कि सबसे घातक दिल के दौरे, (जिसे ST Elevation Myocardial Infarction अथवा STEMI/ ‘स्टेमी’ के नाम से जाना जाता है) के प्रबंधन के बारे में जानकारी देने के लिए स्टेमी इंडिया द्वारा दो दिवसीय कार्यशाला ‘स्टेमी इंडिया 2018’ का आयोजन यहाँ लखनऊ में गोमती नगर स्थित इंदिरा गाँधी प्रतिष्ठान में किया जा रहा है. स्टेमी इंडिया ने हृदयाघात प्रबंधन हेतु एक अनूठे ‘मॉडल ऑफ़ केयर’ को विकसित  किया है, जिसके कार्यान्वयन के लिए  राज्य सरकारों, निर्धन रोगियों के लिए स्वास्थ्य बीमा सेवाओं और राजकीय एम्बुलेंस सेवाओं में परस्पर सहयोग आवश्यक है.

 

डॉ. थॉमस जो इस कोर्स के डायरेक्टर एवं कोवई मेडिकल सेंटर एंड हॉस्पिटल कोयम्बटूर के कार्डियोलॉजी डिवीजन के प्रमुख भी हैं, ने बताया कि पिछले तीन दशकों में भारत में इस रोग की प्रचलन दर में 300% की बढ़ोतरी हुई है: ग्रामीण क्षेत्रों में 2% से बढ़कर 6%, तथा शहरी क्षेत्रों में 4% से बढ़कर 12%. विश्व स्वास्थ्य संगठन के आंकड़ों का हवाला देते हुए डॉ एलेग्जेंडर ने यह भी बताया कि कोरोनरी आर्टरी डिजीज रोग से पीड़ित भारतीयों की अनुमानित संख्या 6 करोड़ है, जिनमें 2 करोड़ रोगी, 40 वर्ष से कम आयु के हैं तथा 1 करोड़ 30 वर्ष से कम आयु के हैं. इस रोग से प्रति वर्ष मरने वालों की अनुमानित संख्या 29 लाख हैं जिनमें 10 लाख लोग, 40 वर्ष से कम आयु के हैं.

 

उन्होंने कहा कि कोरोनरी आर्टरी डिजीज रोग से होने वाली सबसे चुनौतीपूर्ण आपात स्थितियों में से एक है दिल का दौरा, परन्तु समय रहते उचित इलाज मिलने पर इसके द्वारा हुई मृत्यु दर तथा दीर्घकालीन रुग्णता को काफी हद तक कम किया जा सकता है। उन्होंने बताया कि स्टेमी इंडिया 2018 कार्यक्रम दिल के दौरे की नवीनतम प्रबंधन प्रणाली पर चर्चा करेगा तथा डॉक्टरों, अस्पतालों, एम्बुलेंस नेटवर्कों तथा अन्य हितधारकों को एक साथ लाकर स्टेमी के कुशल प्रबंधन हेतु एक आपातकालीन प्रबंधन प्रणाली को विकसित करेगा.

 

मद्रास मेडिकल मिशन चेन्नई के कार्डियोलॉजी के डायरेक्टर डॉ अजित मुल्लासरी  ने कहा कि इस मीटिंग का उद्देश्य है भारत में दिल के दौरे से सम्बंधित नवीनतम चिकित्सकीय कार्य, शोध और प्रबंधन प्रोटोकॉल की जानकारी दी जाएगी। इसमें भाग लेने वाले अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञ, विश्व के विभिन्न देशों में हो रहे दिल के दौरे के आपातकाल प्रबंधन से जुड़ी हुईं प्रख्यात हस्तियाँ हैं। भारत के अनेक प्रदेशों से आये विशेषज्ञ, इस कार्यक्रम में दिल के दौरे के रोगी की देखभाल में भूमिका निभाने वाले सभी व्यक्तियों, जैसे कि, इमरजेंसी रूम डॉक्टर, हृदय रोग विशेषज्ञ,  कार्डियक कैथीटेराइज़ेशन तकनीकि टीम, नर्स, आदि, को व्यापक प्रशिक्षण दिया जायेगा ताकि रोगी को दिए जाने वाले उपचार में कोई विलम्ब न हो तथा समोचित समन्वयन के द्वारा, इलाज के अनुकूल परिणाम मिल सकें।

 

किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय (केजीएमयू) लखनऊ के हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ ऋषि सेठी ने बताया कि इस सम्मेलन का एक और प्रमुख उद्देश्य है उत्तर प्रदेश राज्य में ‘हार्ट अटैक टीम’ की मदद से हृदयाघात प्रबंधन कार्यक्रम लागू करना। इस कार्यक्रम का नाम है स्टेमी इंडिया मॉडल तथा यह सभी निम्न और मध्य आय वर्ग देशों के लिए प्रामाणिक रूप से एक आदर्श कार्यक्रम माना जाता है। इस बैठक में विश्व के विभिन्न देशों से आये हुए विशेषज्ञ, स्टेमी इंडिया के सदस्य तथा सरकारी अधिकारी इस कार्यक्रम को यूपी में लागू करने की योजना पर विचार करेंगे।

 

स्टेमी इंडिया 2018 के कोर्स समन्वयक और किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के हृदय रोग विशेषज्ञ, डॉ अक्षय प्रधान और डॉ प्रवेश विश्वकर्मा ने स्पष्ट किया कि यह मीटिंग केवल डॉक्टरों के लिए ही नहीं है, बल्कि ‘हार्ट अटैक टीम’ के सभी सदस्यों के लिए है जो दिल के दौरे के रोगी की आपातकालीन देखभाल में योगदान देते हैं जैसे कि नर्स, कैथ लैब तकनीकि विशेषज्ञ, एम्बुलेंस के चिकित्सा सहायक, आदि। इन सभी का रोगी की जान बचाने में एक महत्वपूर्ण योगदान होता है।

 

केजीएमयू के हृदय रोग विभाग के प्रमुख डॉ वीएस नारायण ने कहा कि इस सम्मलेन में 750 से अधिक प्रतिनिधि भाग लेंगे जिन्हें हृदयाघात के रोगी की देखभाल सम्बन्धी पूरा प्रशिक्षण दिया जायेगा। उन्होंने कहा कि इस सम्मलेन को भारत  ही नहीं वरन अनेक एशियाई और अफ़्रीकी देशों से भी ज़बरदस्त समर्थन प्राप्त हुआ है। इन देशों के प्रतिनिधि इस सम्मलेन में भाग लेकर स्टेमी इंडिया मॉडल के बारे में जानकारी प्राप्त करेंगें ताकि वे इसे अपने देशों में भी लागू कर सकें. पत्रकार वार्ता में किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ एसके द्विवेदी एवं डॉ मोनिका भंडारी भी मौजूद थीं.

 

 

 

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