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लोहिया संस्‍थान में डेंगू पीडि़त मरीज को नहीं मिला इलाज, मौत

-मरीज के परिजन ने की मुख्‍यमंत्री से शिकायत, कहा, बेड होने के बाद भी नहीं किया भर्ती

सेहत टाइम्‍स

लखनऊ। डॉ राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान लखनऊ में डेंगू पीड़ित मरीज को संवेदनहीनता का परिचय देते हुए डेंगू पीड़ित मरीज को भर्ती कर इलाज न दिए जाने के चलते मौत होने का मामला सामने आया है इस मामले में मरीज के परिजनों ने मुख्यमंत्री से शिकायत की है।

मुख्‍यमंत्री के ग्रीवांस सेल में आज 8 नवंबर को दर्ज शिकायत में ऋषि शुक्ला की ओर से कहा गया है कि आज प्रातः करीब 5:09 पर वह अपनी बहन आकृति बाजपेई को लेकर लोहिया अस्पताल की इमरजेंसी वार्ड में पहुंचे थे, उनकी बहन को डेंगू हो गया था। उन्होंने बताया है कि डेंगू के साथ ही ब्लड प्रेशर बहुत कम होने से बहन की हालत बहुत गंभीर हो रही थी। अपनी शिकायत में ऋषि शुक्ला ने कहा है कि जब वह लोहिया अस्पताल पहुंचे तो वहां मौजूद व्यक्ति ने रिपोर्ट देखकर कहा कि यह नहीं बचेगी, इसका बचना बहुत ही ज्यादा मुश्किल है, ऋषि शुक्ला का कहना है कि यह सुनकर मैं दंग रह गया कि डॉक्टर ने मेरी बहन को अभी छुआ तक नहीं और इसने बहन के मरने की भविष्यवाणी कर दी। आवेदन पत्र में कहा गया है कि जब उसने इसका कारण पूछा तो उन्होंने कहा कि यहां पर आईसीयू और वेंटिलेटर अभी नहीं है और यहां रखोगे तो मर जाएगी उसने बताया कि जब उसने बहुत आग्रह किया तो उस व्यक्ति ने कहा यहीं लिटा दो पर बच नहीं पाएगी।

पत्र में कहा गया है कि इसके बाद जब पूछा गया कि क्या मैं इसको प्राइवेट अस्पताल में ले जाऊं तो वह बोला हां जान बचानी है तो उसको प्राइवेट अस्पताल तुरंत ले जाओ। आवेदक ने कहा है कि इसके बाद वह वहीं अस्पताल में 1 घंटे भटकता रहा लेकिन बहन का इलाज नहीं हुआ इसके बाद वह उसको प्राइवेट अस्पताल लेकर गया जहां बहन की मौत हो गई। ऋषि शुक्ला की शिकायत है कि मेरी बहन बेहोशी की हालत में पड़ी रही पर किसी ने इलाज नहीं किया उसका यह भी कहना है कि उसं अंदर से पता चला कि बेड तो खाली है पर उसके लिए ऊपर से कहलवाना पड़ेगा। आवेदक ने अपने पत्र में अनुरोध किया है कि‍ मैं अपनी बहन को तो नहीं बचा पाया किंतु आपसे आग्रह है कि इस मामले में सख्त व आवश्यक कार्रवाई करें जिससे और किसी मरीज की इस तरह से मृत्यु न हो।

यहां सवाल यह उठता है कि जब मरीज इतनी देर तक अस्‍पताल परिसर में रहा तो आखिर उसका इलाज क्‍यों नहीं शुरू हो पाया। इस सम्‍बन्‍ध में निदेशक डॉ सोनिया नित्‍यानंद से बात करने के मोबाइल पर फोन मिलाया तो फोन रिसीव नहीं हुआ।

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