नींद नहीं हो रही थी पूरी, शारीरिक क्षमता पर पड़ रहा था असर

सेहत टाइम्स ब्यूरो
लखनऊ। मोबाइल गेम की लत बच्चों ही नहीं बड़ों को भी प्रभावित करती है, इसी के चलते केंद्रीय रिजर्व पुलिस फोर्स (सीआरपीएफ) ने अपने जवानों को एक चर्चित स्मार्टफोन गेम पबजी PUBG (प्लेयर अननोन्स बैटेलग्राउन्ड्स) खेलने पर प्रतिबंध लगा दिया है। ऐसा एक रिपोर्ट के बाद किया गया है।
मीडिया रिपोर्टस में सीआरपीएफ अधिकारी के हवाले से बताया गया है कि कमांडिंग अधिकारियों को प्रतिबंध को लागू करने के लिए कहा गया है। क्योंकि PUBG की लत ने जवानों की परिचालन क्षमताओं को प्रभावित किया था। बताया जाता है कि इसमें छोटे सैनिकों ने इस खेल में लिप्त होने के कारण साथी जवानों के साथ बातचीत और मिलना-जुलना बंद कर दिया है। यही नहीं अधिक समय तक इसे खेलने के कारण जवानों की शारीरिक क्षमता प्रभावित हुई है।
मई माह में जारी आदेश में कहा गया है कि फ़ौजियों को इसकी लत लग रही है और यह “उन्हें बहुत हद तक व्यस्त कर रहा है जो उनके ऑप्स प्रदर्शन, आक्रामक और व्यवहारिक मुद्दों को प्रभावित कर रहा है”।
इसलिए, तत्काल प्रभाव से, सभी उप निरीक्षक-जनरलों को यह सुनिश्चित करना होगा कि उनकी संबंधित इकाइयों में किसी भी जवान ने अपने स्मार्टफोन में गेम इंस्टॉल नहीं किया है। यह सुनिश्चित करने के लिए कि इसका पालन किया जाता है, कंपनी कमांडरों से कहा गया है कि वे जवानों के स्मार्टफ़ोन का बेतरतीब ढंग से निरीक्षण करें।
आपको बता दें कि ऐसा पहली बार नहीं है जब खेल को भारत में प्रतिबंधित किया गया है। जनवरी में, गुजरात ने आधिकारिक तौर पर छात्रों को स्कूल में PUBG खेलने से प्रतिबंधित कर दिया। इसके बाद, राजकोट जिला प्रशासन ने सार्वजनिक स्थानों पर लोगों को खेल खेलने से प्रतिबंधित कर दिया। राजकोट में आदेशों का पालन नहीं करने पर दस लोगों को गिरफ्तार भी किया गया था।
अहमदाबाद पुलिस ने भी एक समान प्रतिबंध लागू किया था ताकि छात्र परीक्षा के मौसम में अपनी पढ़ाई पर बेहतर ध्यान केंद्रित कर सकें। परीक्षा खत्म होने के बाद इसे हटा लिया गया था। इसी खेल के बारे में कुछ दिन पहले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बच्चों और उनके अभिभावकों के साथ मन की बात में भी जिक्र किया था।
भारत एकमात्र ऐसा देश नहीं है जहां इस खेल को कई लोगों द्वारा देखा जाता है। इराक और नेपाल सरकारों ने अपने संबंधित नागरिकों को PUBG खेलने से प्रतिबंधित कर दिया है।

इस बारे में मानसिक स्वास्थ्य प्राधिकरण उत्तर प्रदेश के नोडल ऑफीसर डॉ सुनील पाण्डेय बताते हैं कि मनोरंजन करना खराब बात नहीं है लेकिन वही मनोरंजन जब आपके कार्यों में बाधा डालने लगे तब वह लत की श्रेणी में आ जाता है। यह लब बड़े हो बच्चे किसी को भी हो सकती है। उन्होंने कहा कि आत्मशक्ति से इसे दूर किया जा सकता है, इसके लिए यदि व्यक्ति खुद नहीं छोड़ पा रहा है तो उसकी काउंसलिंग करके और जरूरत पड़ने पर दवा देकर उपचार कर ठीक किया जा सकता है।

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