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कोरोना से जंग : केजीएमयू को मिला दसवां प्‍लाज्‍मा दान, कैफ बने प्रथम रिपीट डोनर

-केजीएमयू को प्‍लाज्‍मा तकनीक से इलाज की आईसीएमआर ने दी है अनुमति

-दूसरी बार प्‍लाज्‍मा दान करने वाले कैफ ने भी कोरोना सर्वाइवर्स ने की प्‍लाज्‍मा दान की अपील  

सेहत टाइम्‍स ब्‍यूरो

लखनऊ। किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय को आज दसवां प्‍लाज्‍मा दान मिला, खास बात यह है कि आज जिन दो दानकर्ताओं ने अपना प्‍लाज्‍मा दान किया है उनमें एक 21 वर्षीय सैय्यद कैफ अली ने एक माह बाद दोबारा प्‍लाज्‍मा दान किया है, इस तरह वह पहले रिपीट प्‍लाज्‍मा डोनर बन गये हैं, कैफ ने दूसरे कोरोना सर्वाइवर्स से अपील भी की वे अपना प्‍लाज्‍मा दान कर दूसरों को संक्रमण मुक्‍त करने में अपना योगदान दें।

केजीएमयू के मीडिया प्रवक्‍ता डॉ सुधीर सिंह द्वारा जानकारी देते हुए बताया गया है कि पूर्व में कोरोना संक्रमित, इंदिरा नगर निवासी 21 वर्षीय सैय्यद कैफ अली तथा 36 वर्षीय गुजरात से आए अप्रवासी मूलत: लखनऊ निवासी द्वारा उपचार उपरांत पूर्ण स्वस्थ होने पर बुधवार को अपना प्लाज्मा डोनेट किया गया। खास बात यह है कि कैफ ने विगत एक माह के अंदर दूसरी बार अपना प्लाज्मा दान किया है। इस अवसर पर चिकित्सा विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो0 एमएलबी भट्ट द्वारा उनका आभार प्रकट करते हुए कहा कि कोरोना संक्रमण से जारी युद्ध में दानकर्ता केजीएमयू के लिए भविष्य में एक प्रेरणास्रोत्र के रूप में पहचाने जाएंगे।

कुलपति ने बताया कि प्लास्माफेरेसिस की प्रक्रिया पूर्णतयः सुरक्षित एवं हानिरहित है। इस प्रक्रिया में दानकर्ता का ब्लड प्लास्माफेरेसिस मशीन में डाला जाता है तथा केवल वहीं ब्लड प्रयोग में लाया जाता है जिसमें कोरोना संक्रमण से लड़ने की एंटी बॉडी होती है। एक आम इंसान में सामान्यत: पांच से छह लीटर रक्त होता है। जबकि इस प्रक्रिया के लिए  मात्र 400 से 500 मिली लीटर प्लाज्मा ही लिया जाता है तथा रक्त का अवशेष भाग प्लास्माफेरेसिस मशीन द्वारा शुद्ध करके पुनः दानकर्ता के शरीर में पहुंचा दिया जाता है।

कुलपति ने बताया कि प्लाज्मा दान करने से पूर्व दानकर्ता की विभिन्न जांचें जैसे एचआईवी, हिमोग्लोबिन, मलेरिया, हिपेटाइटिस-बी, हिपेटाइटिस-सी, सेफलिश एवं कम्पलीट ब्लड काउंट की जांच कराई जाती है तथा पूर्ण रूप से स्वस्थ व्यक्ति का प्लाज्मा ही लिया जाता है। इस अवसर पर कुलपति द्वारा दोनों दानकर्ताओं को कोरोना योद्धा होने एंव जरूरतमंद कोरोना संक्रमित मरीजों की सहायता के लिए आगे आने के लिए प्रमाणपत्र देकर सम्मानित किया गया।

इस अवसर पर ट्रांसफ्यूजन मेडिसिन विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ तूलिका चन्द्रा ने बताया कि प्लाज्मा दानकर्ता सैय्यद कैफ अली जो विगत एक माह पूर्व छठे प्‍लाज्मा दाता थे, उन्होंने फिर से कोरोना संक्रमित रोगियों के लिए प्लाज्मा दान किया और केजीएमयू में प्लाज्मा का दसवां दानकर्ता बन गये। उन्होंने बताया कि चिकित्सा विश्वविद्यालय को आई0सी0एम0आर0 द्वारा क्लिनिकल परीक्षण के तहत नामांकित किया गया है और कई कोरोना संक्रमित रोगियों को प्लाज्मा ट्रांसफ्यूजन किया जा चुका है। उन्होंने बताया कि वर्तमान समय में प्लाज्मा की कमी है और कोरोना संक्रमित रोगियों की संख्या काफी है। इस महामारी में सैय्यद कैफ ने एक महीने के बाद दूसरे प्लाज्मा दान के लिए आने का साहस दिखाया जो कि अन्य लोगों के लिए प्रेरणा का काम करेगा।

उन्होंने बताया कि यह केजीएमयू के पहले रिपीट प्लाज्मा डोनर है। दूसरे प्लाज्मा दाता गुजरात के एक अप्रवासी हैं, जो अपने गृहनगर लखनऊ लौटने पर कोरोना पॉजिटिव पाए गए थे। उन्‍हें 24 मई को के0जी0एम0यू0 में भर्ती किया गया था और 3 जून को सफल उपचार उपरांत डिस्चार्ज कर दिया गया था। प्रो.तूलिका चन्द्रा ने बताया कि आठ डोनेशन के बाद, डोनेशन कार्य थम सा गया था, जबकि हमे प्लाज्मा डोनेशन की नितांत आवश्यकता है, क्योंकि अस्पताल में मरीज बहुत हैं। डॉ तूलिका चन्द्रा ने बताया कि यह प्रक्रिया किसी भी तरह हानिकारक नहीं है। इसका उदाहरण आज के दसवें दानकर्ता सैय्यद कैफ हैं जो दूसरी बार अपना प्लाज्मा दान कर अन्य लोगों को भी इसके प्रति प्रेरणास्रोत्र का कार्य करेंगे।

के0जी0एम0यू0 के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक प्रो0 एस0एन0 संखवार ने दोनों दानकर्ताओं की सराहना करते हुए उनका आभार प्रकट करते हुए कहा कि आज के दोनों दानकर्ताओं से प्रेरणा लेते हुए अन्य लोग भी प्लाज्‍मा दान के लिए आगे आएंगे और कोरोना संक्रमण से जारी जंग जीतने में अपना सहयोग प्रदान करेंगे।

देखें वीडियो : कोरोना को मात दे चुके 21 वर्षीय सैय्यद कैफ ने एक माह बाद दोबारा अपना प्‍लाज्‍मा दान किया और इसके लिए अपील भी की

इस अवसर पर दानकर्ता सैय्यद कैफ अली ने आमजन से बड़ी संख्या में प्लाज्मा दान करने का अनुरोध करते हुए कहा कि यह काफी सुरक्षित प्रक्रिया है और कोरोना संक्रमण से जंग जीत चुके ज्यादा से ज्यादा लोगों  को अपना प्लाज्मा दान कर इस संक्रमण को हराने में अपना सहयोग देना चाहिए।