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कोरोना योद्धा कर्मचारियों की दिक्‍कतों को उठाने पर कर्मचारी नेताओं पर दबाव बनाने का प्रयास

-राज्‍य कर्मचारी परिषद ने कहा, उत्‍पी‍ड़नात्‍मक कार्यवाही बर्दाश्‍त नहीं करेंगे

-बलरामपुर अस्‍पताल में आयोजित बैठक में समस्‍याओं पर हुआ विचार-विमर्श

-बलरामपुर अस्‍पताल में स्‍थायी निदेशक की नियुक्ति की प्रमुख सचिव से मांग

सेहत टाइम्‍स ब्‍यूरो

लखनऊ। राज्‍य कर्मचारी संयुक्‍त परिषद ने कहा है कि कोरोना योद्धाओं के ड्यूटी व संक्रमित होने के दौरान पदाधिकारियों द्वारा अधिकारियों के समक्ष समस्या को प्रकाश में लाने पर उसके हल के बजाय पदाधिकारियों पर दबाव बनाने का प्रयास हो रहा है। इस तरह की उत्पीड़नात्मक कार्यवाही की गई तो परिषद किसी भी दशा में बर्दाश्त नहीं करेगी।

स्वास्थ्य कर्मियों की स्थानीय समस्याओं को लेकर बलरामपुर चिकित्सालय में राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के संगठन प्रमुख डॉ के के सचान की अध्यक्षता में एक बैठक संपन्न हुई। इसकी जानकारी देते हुए प्रवक्‍ता अशोक कुमार ने बताया कि बैठक में स्वास्थ्य कर्मियों को पर्याप्त सुरक्षा उपकरण उपलब्ध कराये जाने, चिकित्सालय में स्वास्थ्य कर्मियों के लिए अलग से वार्ड आरक्षित किए जाने की मांग के साथ ही बलरामपुर चिकित्सालय में स्थायी निदेशक की नियुक्ति किये जाने की भी मांग उठी।

बैठक में परिषद के महामंत्री अतुल मिश्रा, प्रमुख उपाध्यक्ष सुनील यादव, परिषद के प्रवक्ता एवं राजकीय नर्सेज संघ के महामंत्री अशोक कुमार, ऑप्टोमेट्रिस्ट एसोसिएशन के अध्यक्ष सर्वेश पाटिल, परिषद के मीडिया प्रभारी व लैब टेक्नीशियन एसोसिएशन के प्रवक्ता सुनील कुमार, एक्स- रे एसोसिएशन के महामंत्री आर के पी सिंह, परिषद के जिला अध्यक्ष सुभाष श्रीवास्तव, कपिल वर्मा सहित विभिन्न संघों के पदाधिकारी उपस्थित थे।

अशोक कुमार ने बताया कि चर्चा के दौरान यह मामला उठाया गया कि जनपद में चिकित्सा कर्मियों द्वारा अपनी जान की परवाह किए बगैर कोविड-19 उपचार एवं उसके बचाव के लिए योद्धा के रूप में कार्य किया जा रहा है, परंतु विभिन्न संवर्गों की समस्याएं लंबित हैं।

बैठक में संगठन प्रमुख के के सचान ने कहा कि स्थानीय स्तर पर अक्सर यह समस्या आती है कि स्वास्थ्य कर्मियों के गंभीर संक्रमण के समय भी उन्हें सरकारी चिकित्सालय में आवश्यक चिकित्सा के लिए अनेक परेशानियां उत्पन्न होती हैं, बार-बार मांग करने के बावजूद चिकित्सा कर्मियों के लिए चिकित्सालय में बेड या वार्ड आरक्षित नहीं किए गए हैं।

इस बैठक में महामंत्री अतुल मिश्रा ने कहा कि वर्तमान में तमाम चिकित्सा कर्मी संक्रमित होकर या तो शहीद हो चुके हैं या अनेक कर्मी अपना इलाज करा रहे हैं, ऐसे समय में उनका मनोबल बढ़ाने के लिए चिकित्सालयों में उचित चिकित्सा व्यवस्था की गारंटी होनी चाहिए। परिषद के संज्ञान में यह भी आया है कि कोरोना योद्धाओं के ड्यूटी व संक्रमित होने के दौरान पदाधिकारियों द्वारा यदि समस्या को प्रकाश में लाया जा रहा है तो विभागीय व प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा उनके विरुद्ध कार्यवाही करने का दबाव बनाकर समस्याओं को निस्तारण के स्थान पर दबाने का प्रयास किया जा रहा है जो कदापि उचित नही है। श्री मिश्रा ने प्रमुख सचिव चिकित्सा स्वास्थ्य से मांग की है कि कोरोना योद्धाओं की समस्याओं को प्राथमिकता के आधार पर निस्तारण करने का निर्देश जारी करे व संघ के पदाधिकारियों के विरुद्ध यदि बिना किसी ठोस आधार के उत्पीड़नात्मक कार्यवाही की गई तो परिषद किसी भी दशा में बर्दाश्त नहीं करेगी। उन्होंने बलरामपुर चिकिसालय के कर्मियों की मांग पर प्रभावी कार्यवाही करने का अनुरोध किया।

परिषद के नेताओं ने कहा कि बलरामपुर चिकित्सालय में पिछले 1 वर्ष पूर्व से सेवा विस्तार पर निदेशक की नियुक्ति के बाद चिकित्सालय में कर्मचारियों के प्रति उनका रवैया अत्यंत खराब रहा है जिससे लगभग सभी संवर्गों के कर्मचारी लगातार अपनी नाराजगी जताते रहे हैं। कई बार आंदोलन भी हुए। वहीं संविदा कर्मचारियों का वेतन रोका गया। वर्तमान सेवा विस्तारित निदेशक के व्यवहार की भी अनेक शिकायतें कर्मचारियों द्वारा की जाती हैं इसलिए महानिदेशक से परिषद ने अनुरोध किया कि चिकित्सालय को गुणवत्ता युक्त बनाने के लिए यहां पर किसी स्थायी निदेशक की नियुक्ति कर दी जाए जिससे कर्मचारियों में असंतोष ना रहे, साथ ही कर्मचारियों की स्थानीय समस्याओं का भी समाधान किया जाए।

प्रमुख उपाध्यक्ष सुनील यादव ने कहा कि कोविड संक्रमण की बढ़ती गति को देखते हुए अभी से मानव संसाधन बढ़ाये जाने की जरूरत है। जनपद में बड़ी संख्या में आर आर टी टीमें गठित की गई हैं, जिसमें एक फार्मेसिस्ट, एक लैब टेक्नीशियन या सहायक, एक स्टाफ नर्स को रखा गया है जो होम आइसोलेशन में रह रहे संक्रमित मरीजों के संपर्क में रहकर उन्हें आवश्यक औषधियां, उपचार व सलाह उपलब्ध करा रहे हैं, जनहित में उठाया गया यह कदम बहुत ही स्वागत योग्य है परंतु इसमें अधिकांश चिकित्सालयों के उक्त कर्मी लग जाने से चिकित्सालयों की सामान्य सेवाओं पर प्रभाव ना पड़े इसलिए अस्थाई/ स्थाई नियुक्तियों के लिए विचार किया जाना आवश्यक है, क्योंकि बिना मानव संसाधन इलाज असंभव है।