-इंडो-गल्फ क्रेनियोफेशियल सोसाइटी गठित, डॉ राजीव अग्रवाल बने अध्यक्ष
-इंडो-गल्फ क्रेनियोफेशियल हैन्ड्स ऑन वर्कशॉप में देश-विदेश के प्रतिभागियों ने लिया प्रशिक्षण
सेहत टाइम्स
लखनऊ। अत्यन्त जटिल सर्जरी मानी जाने वाली क्रेनियोफेशियल सर्जरी के एक्सपर्ट भारत में बहुत कम हैं, इसके कई कारण हैं, इन कारणों में एक बड़ा कारण भारत में इसकी ट्रेनिंग न मिलना है। इस दिशा में जागरूकता बढ़ाने के लिए भारत और गल्फ देशों के विशेषज्ञों ने एक सोसाइटी का गठन किया है। इंडो-गल्फ क्रेनियोफेशियल सोसाइटी नाम से गठित इस सोसाइटी का अध्यक्ष संजय गांधी पीजीआई के प्लास्टिक सर्जरी विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो राजीव अग्रवाल को बनाया गया है, जबकि सोसाइटी के सदस्यों में डॉ अनिल मोरारका, डॉ अतुल पाराशर, डॉ तैमूर, डॉ टगरीड रियाद अल्हम्सी, डॉ मोहम्मद अब्दुल्ला अल-मुहार्रकी शामिल हैं। यह सोसाइटी अपने सदस्यों की संख्या बढ़ाने के साथ ही भारत और गल्फ देशों में इस विधा को सीखने के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए समय-समय पर कॉन्फ्रेंस, मीटिंग का आयोजन करेगी।
यह जानकारी आज यहां होटल क्लार्क्स अवध में इंडियन सोसाइटी ऑफ क्लेफ्ट लिप पैलेट एंड क्रेनियाफेशियल एनोमलीज और ओमानी सोसाइटी ऑफ प्लास्टिक रीकन्स्ट्रक्टिव एंड ऐस्थेटिक सर्जरी के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित ‘इंडो गल्फ क्रेनियोफेशियल हैन्ड्स ऑन वर्कशॉप ऑन क्रेनियल वॉल्ट रीमॉडलिंग एंड ऑस्टियोसिंथेसिस’ के मौके पर वर्कशॉप के आयोजन अध्यक्ष प्रो राजीव अग्रवाल ने दी। उन्होंने बताया इस वर्कशॉप में देश-विदेश से आये प्रतिभागियों को क्रेनियोफेशियल सर्जरी के बारे में लेक्चर और मॉडल स्कल पर प्रैक्टिकल करते हुए प्रशिक्षण दिया गया। उन्हें बताया गया कि किस प्रकार इम्प्लांट का प्रयोग किया जाता है। प्रशिक्षण देने वालों में डॉ राजीव अग्रवाल के साथ ही कोर्स डाइरेक्टर (ओमान सल्तनत) डॉ तैमूर अल बुलुशी, कोर्स डाइरेक्टर (सऊदी अरब) डॉ टगरीड अल हम्सी, डॉ अतुल पाराशर, डॉ अनिल मुरारका आदि शामिल रहे।
निदेशक एसजीपीजीआई डॉ आरके धीमन ने की सराहना
इस कार्यशाला का उद्घाटन मुख्य अतिथि के रूप में एसजीपीजीआई के निदेशक डॉ आरके धीमन को भौतिक रूप से उपस्थित होकर करना था, लेकिन अचानक उनके कहीं और व्यस्त होने के कारण उन्होंने अपना वीडियो संदेश भेजा, जिसे समारोह में दिखाया गया। प्रो धीमन ने अपने संदेश में इस जटिल सर्जरी के प्रशिक्षण देने के लिए कार्यशाला आयोजित करने के लिए प्रो राजीव अग्रवाल को बधाई देते हुए कहा कि क्रेनियोफेशियल सर्जरी बहुत ही चुनौती पूर्ण प्रक्रिया है तथा इसके लिए क्रेनियोफेशियल सर्जरी की उच्चतम डिग्री की आवश्यकता होती है, क्योंकि इसमें अत्यन्त उच्चकोटि की दक्षता की आवश्यकता होती है, यही नहीं सर्जरी के दौरान मरीज की जिंदगी को भारी जोखिम होने के कारण ही सीखने वाला क्रेनियोफेशियल सर्जन लम्बे समय तक दक्षता हासिल करने के बाद ही लाइव सर्जरी करना शुरू कर पाता है।
ज्यादातर प्लास्टिक सर्जन्स क्यों नहीं सीखना चाहते हैं क्रेनियोफेशियल सर्जरी
20 वर्ष पूर्व अमेरिका से दो साल प्लास्टिक सर्जरी व एक साल क्रेनियोफेशियल सर्जरी का प्रशिक्षण लेने के बाद से भारत आने के बाद डॉ राजीव अग्रवाल साल में एक बार क्रेनियोफेशियल सर्जरी वर्कशॉप का आयोजन करते आये हैं। भारत में क्रेनियोफेशियल के प्रशिक्षण की सुविधा न होने के कारणों के बारे में डॉ राजीव ने बताया कि पहली बात इसका प्रशिक्षण प्लास्टिक सर्जन्स को ही दिया जाता है, इसके साथ ही यह सर्जरी अत्यन्त कठिन और जोखिम भरी होती है इसलिए भी इस सर्जरी को सीखने के इच्छुक सर्जन्स की संख्या कम है, जटिल प्रक्रिया होने के कारण इस सर्जरी को करने में वक्त बहुत लगता है जबकि पैसे उस हिसाब से नहीं मिलते हैं। डॉ राजीव अग्रवाल ने कहा कि लेकिन दूसरी ओर देखा जाये तो अगर इस सर्जरी का प्रशिक्षण नहीं लेंगे तो इस सर्जरी की जरूरत वाले मरीजों का इलाज कैसे होगा, अगर एक बच्चा ऐसी विकृति का शिकार हो जाता है तो उसके परिवार का दर्द क्या होता है, यह वही समझता है, इसलिए डॉक्टरों को ऐसे लोगों के प्रति ध्यान देना चाहिये। उन्होंने कहा कि इसलिए हमें समाज के प्रति अपने दायित्व का ध्यान रखते हुए भी कार्य करना चाहिये, इसलिए ऐसी सर्जरी को सीखने वाले डॉक्टरों को इसके प्रति अपना रुझान दिखाना होगा।
हड्डी की विकृति को किया जाता है ठीक
डॉ राजीव ने बताया कि स्कल्प (खोपड़ी) में पांच परतें होती हैं, सबसे ऊपर की परत होती है स्किन, इसके बाद सब्क्यूटेनियस टिश्यू फिर एपोन्यूरोसिस, फिर लूज एरोलर टिश्यूज, जो कि फैट होता है और फिर पांचवीं परत पैरिक्रेनियम होती है। इसके बाद हड्डी शुरू होती है, हड्डी की भी तीन परतें होती हैं आउटर लेअर, स्पॉन्जी लेअर और इनर लेअर। इसके बाद ड्यूरामेटर लेअर होती है, और उसके नीचे ब्रेन होता है। खोपड़ी के सूचर फ्यूज होने के कारण हड्डी में विकृति आ जाती है।
उन्होंने बताया कि चूंकि विकृति हड्डी में होती है इसलिए क्रेनियोफेशियल सर्जरी में खोपड़ी की ऊपर की पांचों परतें उतारने के बाद हड्डी को भी उतार कर उसकी विकृति को ठीक किया जाता है, तथा इसके बाद वापस फिट किया जाता है।