गुरुग्राम की घटना के बाद यूआईडीएआई ने साफ किया

लखनऊ. स्वास्थ्य सेवाएं हों या फिर कुछ और सिर्फ इसलिए सुविधाओं से वंचित नहीं किया जा सकता है कि व्यक्ति के पास आधार कार्ड नहीं है. यूआईडीएआई ने एक बार फिर से साफ किया है कि आधार न होने पर आवश्यक सुविधाएं देने से किसी को भी इनकार नहीं किया जा सकता है। जब पिछले दिनों गुड़गांव में महिला को आधार कार्ड नहीं होने की वजह से अस्पताल में भर्ती नहीं किया गया. उसके बाद से एक बार फिर से सवाल खड़े होने लगे हैं कि क्या आधार कार्ड लोगों की जान से भी ज्यादा जरूरी है ?
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार यूआईडीएआई ने साफ किया है कि आधार एक्ट में यह प्रावधान है कि आधार कार्ड नहीं होने व बूढ़े होने के कारण बायोमेट्रिक्स नहीं मिलने पर सुविधाओं को रोका नहीं जा सकता है। यूआईडीएआई की ओर से बयान जारी करके कहा गया है कि भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण ने सरकारी ने तमाम सरकारी विभागों, मंत्रालयों को कहा गया है कि वह जरूरी सर्विस या सब्सिडी का लाभ देने के लिए आधार को बाधा नहीं बनने दें और उसे उसके सही हकदार तक पहुंचने दें।
यूआईडीएआई ने 24 अक्टूबर 2017 को जारी हुए सर्कुलर का हवाला देते हुए कहा कि आधार न होने पर या आधार सत्यापन किसी वजह से सफल नहीं होता है तो ऐसी स्थिति में क्या किया जाए यह पहले ही साफ किया जा चुका है। सभी राज्यों के मुख्य सचिवों को आधार एक्ट 2016 के सेक्शन 7 को लागू करने के लिए एक पत्र भेजा जा रहा है, जिसमे साफ किया गया है कि अगर किसी के पास आधार नहीं है तो उसे जरूरी सुविधाओं से वंचित नहीं किया जा सकता है।
ज्ञात हो कि महिला ने 2 घंटे तक दर्द से तड़पने के बाद हॉस्पिटल की पार्किंग में एक बच्ची को जन्म दिया। वहां बैठी कुछ महिलाओं ने शॉल की आड़ में डिलीवरी कराई। शीतला कॉलोनी निवासी मुन्नी के पेट में दर्द होने पर शुक्रवार सुबह जिला नागरिक अस्पताल लाया गया। महिला मूल रूप से मध्य प्रदेश की रहने वाली है, उसके पति बबलू ने ओपीडी में रजिस्ट्रेशन कराने के बाद डॉक्टर को दिखाया, जहां उससे महिला का अल्ट्रासाउंट कराने के लिए कहा गया, लेकिन आधार कार्ड नहीं होने की वजह से महिला को भर्ती नहीं किया गया और फाइल बनाने से इनकार कर दिया गया था.

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