Friday , October 13 2023

निजी जिंदगी की दिक्‍कत का हल भी निकलेगा अस्‍पताल के मन कक्ष में

लोहिया संयुक्‍त चिकित्‍सालय में मनोचिकित्‍सक और काउं‍सलर निकालेंगे परेशानी का हल, शुरू हुआ मन कक्ष 

 

लखनऊ। तनाव, उलझन, घराहट आदि भी मानसिक रोग की श्रेणी में आते हैं पर, मरीज मानसिक रोग विशेषज्ञ के पास आने में घबराते हैं, लेकिन मानसिक रोगियों को अपनी परेशानी बताते में अब झिझक महसूस करने की जरूरत नहीं है। ओपीडी में डॉक्टर के सामने लाइन लगाने की भी जरूरत नहीं है। मरीजों की सहूलियत के लिए अस्पतालों में मन कक्ष बनाया गया है। यह बात यहां गोमती नगर स्थित डॉ राम मनोहर लोहिया संयुक्‍त अस्पताल में बुधवार को मन कक्ष का शुभारंभ करते हुए अस्‍पताल के निदेशक डॉ डीएस नेगी ने कही। यह मन कक्ष प्लास्टर रूम के निकट बनाया गया है।

 

डॉ. नेगी ने कहा कि मानसिक रोगी लगातार बढ़ते जा रहे हैं। तनाव, उलझन, घराहट आदि भी मानसिक रोग की श्रेणी में आते हैं पर, मरीज मानसिक रोग विशेषज्ञ के पास आने में घबराते हैं। ऐसे रोगियों के लिए मन कक्ष मददगार साबित होगा।

खुलकर बताएं मन कक्ष में अपनी समस्या

मानसिक रोग विभाग के अधीन मन कक्ष का संचालन किया जाए। मानसिक रोग विशेषज्ञ डॉ. देवाशीष शुक्ला ने बताया कि रोगियों को दवाओं के साथ काउंसलिंग की जरूरत होती है। मन कक्ष में मर्ज की पहचान, इलाज व काउंसलिंग तीनों की सुविधा होगी। इसमें दो काउंसलर प्रियंका और कल्याणी तैनात हैं। जो मानसिक रोगियों की दिमागी स्तर का पता लगाएंगी और काउंसलिंग करेंगी।

झोलाछाप के पास जाने से होता है नुकसान

मन कक्ष में इलाज का बंदोबस्त सप्ताह के सभी कार्यदिवसों में रहेगा। इसमें काउंसलर मरीज की मनोस्थिति का पता लगाएंगी। डॉ. देवाशीष ने कहा कि शादी ब्याह के बाद निजी जिंदगी में तमाम सारी दिक्कतें आती हैं। मरीज इन्हें छुपाते हैं। लोग झोलाछाप के पास इलाज के लिए जाते हैं। फायदे के बजाए मरीजों को नुकसान उठाना पड़ता है। ऐसे लोग मन कक्ष में आकर उचित सलाह पा सकते हैं।

बच्चों की मानसिक उलझन होगी दूर

लोहिया अस्पताल के मन कक्ष में बच्चों की मानसिक उलझनों को दूर करने की खास व्यवस्था है। काउंसलर बच्चों की मनोदशा को समझने और पढ़ने की खास महारथ हासिल है। प्रियंका बताती बच्चो में चिड़चिड़ापन बढ़ जाए। बच्चा गुमसुम रहने लगे तो संजीदा हो जाना चाहिए। विशेषज्ञ की सलाह लेनी चाहिए। काउंसलर कल्याणी बताती हैं कि समय पर इलाज व काउंसलिंग से काफी हद तक बीमारी से छुटकारा पाया जा सकता है।