तीन चरणों में हुई सर्जरी

लखनऊ। किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के पीडियाट्रिक सर्जरी डिपार्टमेंट के डाक्टरों ने दो साल के बच्चे की एक ऐसी सर्जरी करने में सफलता प्राप्त की है जो बेहद जटिल सर्जरी है। जन्म से ही आहार नली न होने के कारण तीन चरणों में सर्जरी करके बच्चे की खाने की थैली से ही आहार नली बनायी गयी है।

डॉ जेडी रावत और उनकी टीम ने इस सफल सर्जरी को किया। डॉ रावत ने बताया कि यह दिक्कत दस हजार बच्चों में किसी एक बच्चे को होती है। डॉ रावत ने बताया कि शिशु के जन्म से ही आहार नली विकसित नहीं थी। शिशु को दूध पिलाने पर फेफड़ो में जा रहा था और इस कारण उसे खांसी आ जाती थी। डाक्टरों ने मामले की गंभीरता को देखते हुए केजीएमयू में रेफर किया गया।
उन्होंने बताया कि झांसी निवासी अरविन्द यादव के बच्चे के जन्म लेने के बाद ही दूध पीने में दिक्कत आने पर डाक्टरों ने आहारनली न होने की आशंका जाहिर करते हुए उसे केजीएमयू रेफर कर दिया । केजीएमयू के बाल शल्य विभाग पहुंचने के बाद यहां डा. रावत ने सर्जरी करते हुए खाने की ऊपरी नली को गर्दन से निकाला गया, ताकि फेफड़ों में दूध न जाए, इसके साथ पेट से दूध देने की नली डाली गई। लगभग दो वर्ष तक शिशु को पेट में पड़ी नली के माध्यम से दूध पिलाया गया, शिशु का दूसरी बार आपरेशन सात मार्च को हुआ, इसमें खाने की थैली से कुछ भाग को काटकर अलग किया। इसके बाद उसी विशेष उपकरणों की मदद से आहार नली बनाई गई।

इसके बाद 26 जुलाई को उसका तीसरा बार सर्जरी करते हुए डा. रावत की टीम ने मुहं की नली को आहार नली से सफलता पूर्वक जोड़ दिया। अब शिशु को पहली बार दूध सफलता पूर्वक पिलाया गया । उन्होंने बताया कि यह सर्जरी इस लिए जटिल व विशेष है क्योंकि आमतौर पर इस बीमारी में आईसीयू एवं वेन्टीलेटर की आवश्यकता पड़ती है, जबकि इस विधि से आपरेशन में बिना वेन्टीलेटर के सफलता पूर्वक तीनों आपरेशन किये गये।
यही नहीं निजी क्षेत्र के अस्पताल में तीनों सर्जरी में लगभग तीन लाख रुपए खर्च होते जबकि यहां कुल 30 हजार रुपये में तीनों सर्जरी हो गईं। डाक्टरों की आपरेशन टीम में प्रो. जे.डी. रावत के साथ डा. सुधीर सिंह, डा. गुरमीत सिंह ऐनस्थीसिया में डा. सरिता सिंह मौजूदओ.टी. स्टाफ सिस्टर वन्दना, संजय सिंह, सिस्टर पुष्पा मौजूद थीं।

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