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आर्थराइटिस का सर्वोत्तम व सुरक्षित उपचार होम्योपैथी में

-अंतर्राष्ट्रीय जर्नल्स में छपे डॉ गिरीश गुप्ता के शोध खुद-ब-खुद बयां कर रहे सफलता की कहानी

-विश्व आर्थराइटिस दिवस (12 अक्टूबर) 2025 पर विशेष

#डॉ गिरीश गुप्ता

सेहत टाइम्स

लखनऊ। आर्थराइटिस यूं तो कई प्रकार की होती है लेकिन ज्यादा पायी जाने वाली आर्थराइटिस रिह्यूमेटॉयड, गाउट, रिह्यूमेटिक और ऑस्टियो आर्थराइटिस Rheumatoid, Gout, Rheumatic and Osteoarthritis  हैं। होम्योपैथी में आर्थराइटिस का इलाज सर्वोत्तम है, क्योंकि यह स्थायी होने के साथ ही अपेक्षाकृत काफी सस्ता और बिना साइड इफेक्ट वाला है। लखनऊ में इस पर विस्तृत शोध हो चुका है, शोधकर्ता व वरिष्ठ होम्योपैथिक चिकित्सक डॉ गिरीश गुप्ता द्वारा अपने गौरांग क्लीनिक एंड सेंटर फॉर होम्योपैथिक रिसर्च में रिह्यूमेटिक आर्थराइटिस, रिह्यूमेटॉयड आर्थराइटिस और गाउट पर किये गये तीन शोधों को अंतर्राष्ट्रीय जर्नल एशियन जर्नल ऑफ होम्योपैथी में प्रकाशित भी किया जा चुका है।

शोधों का प्रकाशन

आज विश्व आर्थराइटिस दिवस के मौके पर इस विषय पर डॉ गिरीश गुप्ता ने उपरोक्त जानकारी देते हुए बताया कि व्यक्ति का स्वभाव, उसकी पसंद-नापसंद, बर्दाश्त करने वाला, ज्यादा भावुक होने की प्रवृत्ति, शीघ्र गुस्सा आना ऐसी अनेक बातें हैं जो प्राकृतिक और परिस्थितिवश प्रत्येक मनुष्य में एक सी नहीं होती हैं, ऐसे में यदि एक प्रकार का आर्थराइटिस रोग कई व्यक्तियों को होता है तो उस रोग होने के कारण भी सभी मरीजों में पृथक-पृथक हो सकते हैं, बल्कि होते ही हैं। होम्योपैथी का सिद्धांत रोग को जड़ से समाप्त करना है, इसलिए दवा का प्रहार भी जड़ों यानी कारणों पर होता है। रोगी के शारीरिक और मन से जुड़े लक्षणों के आधार पर अलग-अलग मरीज के लिए अलग-अलग दवाओं का चुनाव किया जाता है। फिर जब कारण समाप्त तो रोग समाप्त।

गाउट

डॉ गिरीश ने बताया‍ कि गाउट जिसे गठिया भी कहते हैं, यह एक मेटाबोलिक डिस्‍ऑर्डर है इसमें यूरिक एसिड बढ़ जाता है जो जोड़ों के पास इकट्ठा होकर सूजन पैदा करता है, जिससे तेज दर्द होता है। इसमें रक्‍त में यूरिक एसिड की जांच करायी जाती है। यूरिक एसिड की नॉर्मल रेंज 7mg% तक होती है। इलाज करने से पूर्व और इलाज के बाद यूरिक एसिड टेस्ट कराया जाता है। इस पर किये गये शोध की स्टडी एशियन जर्नल ऑफ़ होम्‍योपैथी के फरवरी 2011 से अप्रैल 2011 के अंक में प्रकाशित की गई है।

रिह्यूमेटिक आर्थराइटिस

रिह्यूमेटिक आर्थराइटिस या रिह्यूमेटिक हार्ट डिजीज टॉन्सिल में बीटा हेमोलिटिक स्ट्रेप्टोकोकस बैक्टीरिया (Beta haemolytic streptococcus bacteria) इन्‍फेक्‍शन से होता है। इन्‍फेक्‍शन के कारण ऐसे टॉक्सिन निकलते हैं जो कुछ समय बाद जोड़ों और हार्ट के वॉल्‍व में सूजन पैदा कर देता है। इसके उपचार के लिए ब्‍लड में एएसओ टाइटर का लेवल देखने के लिए जांच करायी जाती है। एएसओ टाइटर की नॉर्मल रेंज 0-200 mg% है। यह स्टडी भी एशियन जर्नल ऑफ़ होम्योपैथी के मई 2010 से जुलाई 2010 के अंक में प्रकाशित हुई है।

रि‍ह्यूमेटाइड आर्थराइटिस

रि‍ह्यूमेटाइड आर्थराइटिस एक ऑटो इम्‍यून डिजीज है, इसमें इम्‍यून सिस्‍टम, जो कि रोगों से लड़ने के लिए एंटी बॉडीज बनाता है, अपने ही अंगों को नुकसान पहुंचाना शुरू कर देता है, इससे शरीर में आरए फैक्‍टर की मात्रा बढ़ जाती है, आरए फैक्‍टर की नॉर्मल रेंज 24 IU तक है। इस रेंज से ऊपर होने पर जोड़ों में दर्द और सूजन पैदा हो जाती हैं, जिससे जोड़ों की परतें खराब होने लगती हैं। इसके होम्‍योपैथिक दवा से उपचार की स्टडी भी एशियन जर्नल ऑफ़ होम्योपैथी के फरवरी 2014 से अप्रैल 2014 के अंक में छपी है।

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