Saturday , October 4 2025

बच्चों को कफ सिरप देने पर एडवाइजरी जारी की केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने

-मध्य प्रदेश और राजस्थान में कफ सिरप से मौत की आशंकाओं के बीच जारी की गयी एडवाइजरी

-केंद्र एवं राज्य स्तरीय टीमों की जांच में कहा गया कि कोई भी जहरीला तत्व नहीं पाया गया

सेहत टाइम्स

लखनऊ/नई दिल्ली। मध्य प्रदेश और राजस्थान में खांसी की दवाओं (कफ सिरप) के सेवन से बच्चों की मौत की आशंका को लेकर उठ रहे सवालों के बीच केंद्र सरकार ने 3 अक्टूबर, 2025 को एडवाइजरी जारी की है। केंद्र सरकार ने कहा है कि बच्चों में कफ सिरप का अंधाधुंध उपयोग खतरनाक साबित हो सकता है। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के डीजीएचएस ने बच्चों को कफ सिरप देने में सावधानी बरतने की सलाह दी है। सरकार ने कहा है कि बच्चों में कफ सिरप का अंधाधुंध उपयोग खतरनाक साबित हो सकता है। दूसरी ओर मध्य प्रदेश और राजस्थान में जिस कफ सिरप मेें जहरीले रसायन होने का संदेह जताया जा रहा था कि केंद्र और राज्य एजेंसियों ने संयुक्त रूप से जांच भी की. जांच में इस बात की पुष्टि हुई है कि सिरप में जहरीले रसायन मौजूद नहीं हैं।

डीजीएचएस डॉ. सुनीता शर्मा की ओर से जारी की गयी इस एडवाइजरी में कहा गया है कि राज्य प्राधिकरणों की मदद से कई सैंपल एकत्र किए गए, जिनमें विभिन्न कंपनियों के कफ सिरप भी शामिल थे परीक्षण रिपोर्ट के अनुसार, किसी भी नमूने में डीईजी या ईजी की मौजूदगी नहीं पाई गई. वहीं, मध्य प्रदेश राज्य खाद्य एवं औषधि प्रशासन (एसएफडीए) ने भी तीन नमूनों की जांच कर इसकी पुष्टि की है

स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय, स्वास्थ्य सेवा महानिदेशालय भारत सरकार ने राज्यों के स्वास्थ्य विभाग को एडवाइजरी जारी की है जिसमें कहा गया है कि दो वर्ष की आयु तक के बच्चों को बाल चिकित्सा देखभाल में दवाओं के तर्कसंगत उपयोग और रोगी सुरक्षा सुनिश्चित करने के हमारे निरंतर प्रयासों में, यह परामर्श बच्चों के लिए कफ सिरप के विवेकपूर्ण निर्धारण और वितरण पर ज़ोर देता है। एडवाइजरी में कहा गया है कि बच्चों में अधिकांश तीव्र कफ रोग स्वतः ठीक हो जाते हैं और अक्सर औषधीय हस्तक्षेप के बिना ठीक हो जाते हैं। पर्याप्त जलयोजन और आराम जैसे गैर-औषधीय उपाय प्राथमिक उपचार होने चाहिए।

एडवाइजरी में यह भी कहा गया है कि 2 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को खांसी और जुकाम की दवाएँ निर्धारित या वितरित नहीं की जानी चाहिए। आमतौर पर 5 वर्ष से कम और उससे अधिक उम्र के बच्चों के लिए इनकी अनुशंसा नहीं की जाती है। किसी भी उपयोग से पहले सावधानीपूर्वक चिकित्सीय मूल्यांकन, कड़ी निगरानी और उचित खुराक, न्यूनतम प्रभावी अवधि और कई दवाओं के संयोजन से बचने का कड़ाई से पालन किया जाना चाहिए। इसके अलावा, डॉक्टरों द्वारा निर्धारित निर्देशों का पालन करने के संबंध में जनता को भी जागरूक किया जा सकता है।

सभी स्वास्थ्य सेवा केंद्रों और नैदानिक ​​प्रतिष्ठानों को अच्छी विनिर्माण प्रथाओं के तहत निर्मित और फार्मास्युटिकल-ग्रेड एक्सीपिएंट्स से तैयार उत्पादों की खरीद और वितरण सुनिश्चित करना चाहिए। देखभाल के इन मानकों को बनाए रखने के लिए सार्वजनिक और निजी क्षेत्रों में चिकित्सकों और औषधि प्रदाताओं का संवेदीकरण आवश्यक है। एडवाइजरी के ​व्यापक प्रचार-प्रसार के लिए कहा गया है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Time limit is exhausted. Please reload the CAPTCHA.