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आरएमएलआई के निदेशक प्रो सीएम सिंह को स्वामीनाथन ओरेशन अवॉर्ड

-प्री-कॉन्फ्रेंस लाइव सर्टिफिकेशन वर्कशॉप्स एवं आईएसएमएन अवार्ड्स व फेलोशिप सेरेमनी में मिला सम्मान

सेहत टाइम्स

लखनऊ। डॉ. राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान (आरएमएलआईएमएस), लखनऊ के निदेशक प्रो. सी.एम. सिंह को एम.एस. स्वामीनाथन ओरेशन अवॉर्ड 2025 से सम्मानित किया गया। यह सम्मान 21 सितम्बर को कलाम सेंटर, किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (केजीएमयू), लखनऊ में आयोजित प्री-कॉन्फ्रेंस लाइव सर्टिफिकेशन वर्कशॉप्स एवं आईएसएमएन अवार्ड्स व फेलोशिप सेरेमनी के दौरान प्रदान किया गया, जो कि 5वें वर्ल्ड कांग्रेस ऑन मेडिकल फूड एंड न्यूट्रिशन (WCMN 2025) का हिस्सा था।

यह विशिष्ट सम्मान प्रो. सिंह के मेडिकल फूड एवं न्यूट्रिशन के क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान को मान्यता प्रदान करता है और हमारे संस्थान के लिए गौरव का क्षण है। यह पुरस्कार भारत के महान कृषि वैज्ञानिक और भारत में हरित क्रांति के जनक डॉ. एम.एस. स्वामीनाथन की स्मृति को समर्पित है। उनके क्रांतिकारी शोध ने भारत को खाद्य-अभावी देश से खाद्य-सुरक्षित राष्ट्र बनाया और पोषण, खाद्य सुरक्षा एवं सतत विकास को एक-दूसरे से जोड़ा। उनके नाम पर दिया जाने वाला यह ओरशन अवार्ड वैज्ञानिकों और नीति-निर्माताओं को भूख और कुपोषण उन्मूलन के लिए निरंतर प्रेरित करता है।

अपने मुख्य व्याख्यान (Oration) में प्रो. सिंह ने भारत में कुपोषण की गंभीर समस्या पर प्रकाश डाला और एनएफएचएस-5 के आंकड़ों का हवाला देते हुए बच्चों में ठिगनापन (Stunting), क्षीणता (Wasting) और कम वजन (Underweight) की चिंताजनक दरों का उल्लेख किया। उन्होंने “दोहरी चुनौती” (Double Burden) – अर्थात् अल्पपोषण के साथ-साथ बढ़ते मोटापे और एनीमिया – से निपटने की आवश्यकता पर बल दिया।

प्रो. सिंह ने एकीकृत बाल विकास सेवा (ICDS), पोषण अभियान, मध्याह्न भोजन योजना एवं प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना (PMMVY) जैसी सरकारी योजनाओं को और सशक्त बनाने की महत्ता पर जोर दिया ताकि माताओं और बच्चों के पोषण संबंधी भविष्य को सुरक्षित किया जा सके।

उनका संबोधन वैज्ञानिक समुदाय के बीच गहराई से प्रतिध्वनित हुआ, जिसमें उन्होंने कहा कि कुपोषण केवल स्वास्थ्य समस्या नहीं बल्कि राष्ट्रीय विकास की चुनौती है, और इसके समाधान के लिए बहुआयामी प्रयास, जनजागरूकता और ठोस हस्तक्षेप आवश्यक हैं, ताकि भारत डब्ल्यूएचओ और यूनिसेफ द्वारा निर्धारित 2030 के पोषण लक्ष्यों को प्राप्त कर सके।

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