-सीडीआरआई गर्भाशय ग्रीवा कैंसर पर महिला स्वास्थ्य जागरूकता कार्यक्रम में निदेशक ने दी जानकारी
-सर्वाइकल कैंसर को रोकने के लिए एचपीवी टीकाकरण आज की जरूरत बतायी डॉ रेखा सचान ने

सेहत टाइम्स
लखनऊ। अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर, सीएसआईआर-केंद्रीय औषधि अनुसंधान संस्थान लखनऊ द्वारा मार्च माह में महिलाओं के स्वास्थ्य एवं कल्याण को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न कार्यक्रमों की शृंखला का आयोजन किया जा रहा है। इस पहल के अंतर्गत, सीएसआईआर-सीडीआरआई ने केजीएमयू, लखनऊ के सहयोग से महिलाओं के मुफ्त स्वास्थ्य जांच एवं गर्भाशय ग्रीवा कैंसर (सर्वाइकल कैंसर) जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन संस्थान परिसर में किया गया।

कार्यक्रम में सीएसआईआर-सीडीआरआई की निदेशक डॉ. राधा रंगराजन ने मुख्य अतिथियों, डॉ. रेखा सचान, वरिष्ठ स्त्री रोग विशेषज्ञ, केजीएमयू एवं डॉ. मालती मौर्य, विशेषज्ञ पैथोलॉजिस्ट, केजीएमयू का स्वागत किया। डॉ. राधा ने बताया कि गर्भाशय ग्रीवा का कैंसर, दुनिया भर में महिलाओं की मृत्यु के प्रमुख कारणों में से एक है। उन्होंने सूचित किया कि सीएसआईआर-सीडीआरआई की वैज्ञानिक डॉ. मोनिका सचदेवा और उनकी टीम ने गर्भाशय ग्रीवा कैंसर के प्रारंभिक निदान के लिए संभावित बायोमार्कर की पहचान की है, जो कि इस बीमारी के निदान के लिए एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है। जिसके माध्यम से सर्वाइकल कैंसर की प्रारंभिक जांच किट तैयार की जा रही है। डाॅ राधा ने इस जागरूकता कार्यक्रम के आयोजन के लिए डॉ. मोनिका और उनकी टीम के प्रयासों की सराहना की और सभी प्रतिभागियों से स्वास्थ्य जांच में सक्रिय रूप से भाग लेने का आग्रह किया, जिससे चल रहे अनुसंधान अध्ययनों को समर्थन मिलेगा।
कार्यक्रम में एक जानकारीपूर्ण स्वास्थ्य जागरूकता व्याख्यान और मुफ्त स्वास्थ्य जांच सेवाएं शामिल थीं। जागरूकता व्याख्यान के दौरान डॉ. रेखा सचान ने सर्वाइकल कैंसर के जोखिम कारकों, लक्षणों और निवारक उपायों पर प्रकाश डाला। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि नियमित जांच के माध्यम से शीघ्र पता लगाने से उपचार के परिणामों में काफी सुधार हो सकता है। प्रमुख जोखिम कारकों में कम उम्र में विवाह, एकाधिक यौन साथी, खराब जननांग स्वच्छता, बार-बार बच्चे का जन्म, कुपोषण, धूम्रपान और एचआईवी-एड्स जैसी प्रतिरक्षा दमनकारी बीमारियाँ शामिल हैं। डॉ. रेखा सचान ने सर्वाइकल कैंसर की रोकथाम के लिए एचपीवी टीकाकरण के महत्व के बारे में भी विस्तार से बताया, खासकर अगर इसे यौन गतिविधि की शुरुआत से पहले लगाया जाए। डॉ. सचान ने इस बात पर जोर दिया कि सर्वाइकल कैंसर भारत में महिलाओं में होने वाले कैंसर का दूसरा सबसे आम रूप है, लेकिन अगर नियमित जांच के माध्यम से जल्दी पता चल जाए तो इसका इलाज संभव है।
डब्ल्यूएचओ (2022) के अनुसार, वैश्विक स्तर पर अनुमानित 604,000 महिलाओं में सर्वाइकल कैंसर का निदान किया गया, जिसमें लगभग 342,000 मौतें दर्ज की गईं। टीकाकरण ह्यूमन पेपिलोमावायरस (एचपीवी) के कारण होने वाले संक्रमण को रोकने में मदद करता है, जो सर्वाइकल कैंसर का एक प्रमुख कारण है।
डॉ. मालती मौर्य ने पैप स्मीयर टेस्ट (एलबीसी) के माध्यम से असामान्य कोशिकाओं का पता लगाने के लिए नमूना संग्रह की प्रक्रिया एवं इसमें उपयोग किए जाने वाले उपकरणों की विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने उपकरणों का प्रदर्शन किया और बताया कि असामान्य कोशिकाओं की पहचान कैसे की जाती है, जो पूर्व-कैंसर परिवर्तनों का संकेत दे सकती हैं।
व्याख्यान के बाद, प्रतिभागियों की मुफ्त स्वास्थ्य जांच की गई, जिसमें कम्प्लीट ब्लड काउंट (CBC) एवं पैप स्मीयर टेस्ट नमूना संग्रह शामिल था। इस कार्यक्रम में 150 से अधिक महिलाओं ने भाग लिया। स्वास्थ्य शिविर के दौरान एकत्रित आंकड़े बायोमार्कर के विकास और सत्यापन तथा गर्भाशय ग्रीवा कैंसर के प्रारंभिक निदान के लिए डायग्नोस्टिक किट के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे। सीएसआईआर-सीडीआरआई महिलाओं के स्वास्थ्य में जागरूकता बढ़ाने और अनुसंधान को आगे बढ़ाने, जीवन के लिए खतरा पैदा करने वाली बीमारियों का शीघ्र पता लगाने एवं रोकथाम के मिशन में योगदान देने के लिए प्रतिबद्ध है।

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