
सर्दी के अवकाश के कारण नहीं मिल सकती समुचित व्यवस्था
प्राथमिक उपचार के सहारे हृदय रोगियों का इलाज
पद्माकर पांडेय
लखनऊ। केजीएमयू, डॉ. राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान एवं संजय गांधी आयुर्विज्ञान संस्थानो में शीतकालीन अवकाश के दुष्प्रभाव हार्ट रोगियों को भुगतने पड़ रहे हैं। एक तरफ भीषण सर्दी की वजह से इमरजेंसी व ओपीडी में हार्ट अटैक के मरीजों की संख्या बढ़ी है। वहीं इन संस्थानों के कार्डियोेलॉजी विभागों में इलाज करने की क्षमता सामान्य दिनों की अपेक्षा आधी हो चुकी है। वजह, स्पष्ट है कि संस्थानों में 5०-5० % शिक्षकों का 15-15 दिनी शीतकालीन अवकाश पर जाना। नतीजतन प्रतिदिन औसतन 4०-45 एंजियोप्लास्टी करने वाले लारी कार्डियोलॉजी विभाग अब वर्तमान में मात्र 15 से 18 एंजियोप्लास्टी ही कर रहे हैं, यही हाल लोहिया इंस्टीट्यूट का है जिसमें मात्र 1०-12 एंजियोप्लास्टी ही हो रही हैं जबकि सामान्य दिनों में संख्या 25 से 3० की रहती है। यही हाल पीजीआई में है। लिहाजा हार्ट-अटैक मरीजों को इमरजेंसी में उचित इलाज के लिए निजी हास्पिटल की शरण मे जाना पड़ता है। यह स्थिति दिसंबर अंत से शुरू होती है और जनवरी अंत तक रहती है,यही दौर होता है जब कड़ाकें की ठंड में मरीजों की संख्या में बेतहाशा वृद्धि होती है।
भीषण सर्दी में विशेषकर बुजुर्गो को अपनी सेहत का खुद ख्याल रहना होगा क्योकि यदि आप को अचानक हार्ट अटैक पड़ गया तो ध्यान रखिये राजधानी के सरकारी अस्पतालों में समुचित इलाज नही मिल पायेगा। कहने को तो राजधानी के किग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय , बलरामपुर अस्पताल एवं डॉ.श्यामा प्रसाद मुखर्जी चिकित्सा विश्वविद्यालय समेत अन्य अस्पतालों में हृदय रोग संबधी समस्त उपचार हैं मगर विशेषज्ञों द्बारा सही एवं पूर्ण इलाज केवल लारी, लोहिया इंस्टीट्यूट और संजय गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान (पीजीआई) में ही उपलब्ध है। वर्तमान में इन संस्थानों में शीतकालीन अवकाश की वजह से कार्य करने की क्षमता लगभग आधी हो चुकी है। यह स्थिति आगामी 3० दिन तक बनी रहेगी। प्राप्त जानकारी के अनुसार लारी कार्डियोलॉजी में नौ शिक्षक हैं, छुट्टी पर गये तीन शिक्षकों की वापसी मंगलवार को हो चुकी है, विभागाध्यक्ष समेत अन्य पांच शिक्षक अवकाश पर चले गये। अनुमान है कि एंजियोप्लास्टी की संख्या और कम होगी, हलांकि विभागाध्यक्ष प्रो.वीएस नारायण का कहना है कि शिक्षकों की कमी से मौजूद शिक्षकों पर वर्क लोड बढ़ गया है, मगर मरीजों के इलाज में कमी नहीं आती है। वहीं लोहिया इंस्टीट्यूट के प्रो.भुवन चंद्र तिवारी का कहना है कि पांच शिक्षकों की फैकल्टी में स्वयं समेत तीन शिक्षक अवकाश से शुक्रवार को वापस आ चुके हैं, अभी तक दो शिक्षकों से ओपीडी , इमरजेंसी चल रही थी। वर्तमान में हम तीन पर पूरे विभाग का लोड रहता है। प्रो.तिवारी का मानना है कि शिक्षक कम होने की वजह से स्वाभाविक हैं कि सामान्य दिनों की अपेक्षा कम कार्य होगा। अस्पताल में केवल हृदय रोग विभाग में 32 बेड हैं, जिनकी वजह से मरीजों की भर्ती करने की संख्या भी सीमित रहती है।
हार्ट अटैक के कारण :-
सर्दी के दिनों में खून गाढ़ा होने से शरीर का रक्तचाप बढ़ जाता है और कभी -कभी खून के थक्के भी जम जाते है जिससे व्यक्ति में हार्ट अटैक की संभावना बढ़ जाती है। यह प्रक्रिया खास कर बुजुर्गो में तड़के सुबह होती है। ऐसी स्थिति में पहले तो परिवार-जन बीमारी की गंभीरता को समझ नही पाते और जब तक समझतें हैं बीमारी गंभीर हो जाती है। अवगत कराना है कि धमनियों की खून के धक्के जमने से पड़ने वाले हार्ट अटैक के दौरान व्यक्ति में एंजियोग्राफी कर एंजियोप्लास्टी करना बेहतर होता है । अन्य सरकारी अस्पतालों में हृदय रोग के इलाज के नाम पर केवल आईसीयू की सुविधा है और कुछ विशेष दवाओं के द्बारा उपचारित कर ही स्थिति नियंत्रण में करने की कयावद की जाती है। इसलिए ध्यान रखें कि अपनी दिनचर्या ऐसी व्यस्थित रखें कि हार्ट अटैक की स्थिति का सामना न करना पड़ें।
कैसे बचें सर्दियों से –
शरीर को गर्म रखने वाले ऊनी कपड़े अधिक से अधिक पहनें।
शरीर को पूरा ढ़क कर रखें।
सुबह बिस्तर से उठनें के बाद तत्काल बाहर न निकलें।
कमरें से बाहर निकलनें के पहले शरीर को पूरा ढ़कने वाले ऊनी कपड़े जरुर पहन लें।
गर्म भोजन का प्रयोग करें लेकिन चिकनाई युक्त भोजन से परहेज करें।
 
 

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