-राष्ट्रीय बालिका दिवस पर आयोजित गोष्ठी में बोले पीसीपीएनडीटी एक्ट के नोडल अधिकारी

सेहत टाइम्स
लखनऊ। गर्भधारण पूर्व और प्रसवपूर्व निदान तकनीकी (लिंग चयन प्रतिषेध ) अधिनियम (पीसीपीएनडीटी एक्ट ) के नोडल अधिकारी डॉ.के.डी.मिश्रा ने कहा कि बेटियां बेटों से कम नहीं हैं, वह हर क्षेत्र में अपना परचम लहरा रही हैं । सरकार द्वारा बालिकाओं को शिक्षा, स्वास्थ्य, सुरक्षा और सामाजिक सुरक्षा दिलाने के लिए सरकार द्वारा अनेक कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं ।
डॉ मिश्रा ने यह बात आज सोमवार को यहां बक्शी का तालाब (बीकेटी) सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) पर राष्ट्रीय बालिका दिवस पर आयोजित गोष्ठी में कही । उन्होंने कहा कि लिंग समानुपात व बालिकाओं की बेहतर शिक्षा और स्वास्थ्य को लेकर हर वर्ष 24 जनवरी को राष्ट्रीय बालिका दिवस मनाया जाता है।
डा. मिश्रा ने कहा – हमें लड़का –लड़की में किसी भी प्रकार का भेदभाव नहीं करना चाहिए। सरकार ने भ्रूण हत्या को रोकने के लिए पीसीपीएनडीटी अधिनियम लागू किया है। गर्भस्थ शिशु / भ्रूण के लिंग की जांच कराना या जांच करना दोनों कानूनी अपराध है, इसलिए “गर्भधारण एवं प्रसव पूर्व निदान तकनीकि (लिंग चयन प्रतिषेध) अधिनियम 1994” प्रदेश में प्रभावी तरीके से वर्तमान में लागू है । लिंग निर्धारण के लिए प्रेरित करने तथा अधिनियम के प्रावधानों / नियमों के उल्लंघन के लिए कारावास एवं सजा का प्रावधान है । ऐसा गैर कानूनी कार्य करवाने वाले व्यक्ति को पांच वर्ष का कारावास एवं एक लाख रुपए तक का जुर्माना हो सकता है तथा ऐसा गैर कानूनी करने वाले को पांच वर्ष का कारावास एवं पचास हजार रुपये तक का जुर्माना हो सकता है ।
इस अवसर पर बालिका इंटर कॉलेज, बक्शी का तालाब की छात्राओं को शिक्षा एवं खेलकूद में अच्छा प्रदर्शन करने के लिए पुरस्कृत भी किया गया।
इस मौके पर सीएचसी बीकेटी के चिकित्सा अधीक्षक डा. जे.पी. सिंह, स्वास्थ्य शिक्षा अधिकारी सुनीता, ब्लॉक प्रोग्राम मैनेजर (बीपीएम) पूनम शुक्ला, ब्लॉक समुदाय प्रक्रिया प्रबंधक (बीसीपीएम) अजीत कुमार यादव, पीसीपीएनडीटी के विधिक सलाहकर प्रदीप मिश्रा सहित पीसीपीएनडीटी सेल के अन्य सदस्य, बीकेटी के बाल विकास परियोजना अधिकारी जय प्रताप सिंह, सीएचसी के अन्य कर्मचारी, आशा और आंगनबाड़ी कार्यकर्ता तथा वात्सल्य संस्था से अंजू मौर्य उपस्थित रहीं ।

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