58वें राष्ट्रीय फार्मासिस्ट सप्ताह के दौरान देश भर में हुए दवा सेवन संबंधित जागरूकता कार्यक्रम आयोजित

सेहत टाइम्स ब्यूरो
लखनऊ। फार्मेसिस्ट- आपका दवा परामर्शदाता विषय के साथ 17 नवम्बर से चल रहा 58वें राष्ट्रीय फार्मेसिस्ट सप्ताह कल समाप्त हुआ। इस दौरान देश के अनेक शिक्षण संस्थानों, राज्य फार्मेसी कौंसिल और फार्मेसिस्ट संगठनों ने अनेक जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किये।
इस आशय की जानकारी देते हुए राजकीय फार्मेसिस्ट महासंघ के अध्यक्ष सुनील यादव ने बताया कि औषधियों के प्रभाव के लिए मरीज के साथ फार्मासिस्ट की कॉउंसलिंग बहुत आवश्यक एवं असर डालने वाली है। उन्होंने बताया कि दवा का सेवन करना ही सिर्फ महत्वपूर्ण नहीं है, बल्कि किस तरह सेवन करना है, किन बातों को ध्यान में रखना है, यह जानना भी मरीज और उनके परिजनों के लिए आवश्यक है। उन्होंने बताया कि बहुत से अस्पतालों में फार्मासिस्ट मरीज को इस बारे में बताते हैं, लेकिन जहां यह जानकारी नहीं दी जाती है, वहां दी जानी चाहिये।

सुनील यादव ने कहा कि जिन महत्वपूर्ण बातों को लेकर मरीज ओर परिजनों की काउंसलिंग की जानी चाहिये उनमें दवाओ का ट्रेड नाम, जेनेरिक नाम, प्रयोग, असर, लाभ, दवा के कार्य करने का तरीका, अगर काम न कर रही हो तो क्या करें? दवा कैसे-किस रूप में लेना है, कितनी मात्रा में लेना है? जीवन शैली का स्वास्थ्य पर क्या प्रभाव होता है? अगर कोई दवा भूल गए तो क्या करना चाहिए? दवा लेते समय क्या सावधानी रखनी है? दवाओं के विपरीत प्रभाव को कम कैसे किया जाए या क्या करें? स्वयं की मॉनिटरिंग कैसे करें? औषधि का अन्य औषधि के साथ, औषधि का भोजन के साथ, औषधि का रोग के साथ क्या प्रभाव है या क्या दुष्प्रभाव है?

दवा का Proper रखरखाव कैसे करना है, बची हुई औषधियों को कैसे नष्ट करें या कहाँ प्रयोग करें ? इस सभी प्रश्नों को जानकर स्वास्थ्य की रक्षा बेहतर ढंग से की जा सकती है, और जानकारी से औषधियों का सही प्रभाव प्राप्त कर किया जा सकता है, इसलिए उत्तम स्वास्थ्य के लिए मरीजों की काउन्सलिंग बहुत आवश्यक है, स्वास्थ्य सुरक्षा के लिए फार्मेसिस्ट मरीजों की बेहतर कॉउंसलिंग करता है।
ओपीडी मरीजो की कॉउंसलिंग के साथ, इनडोर मरीज एवं घर पर चिकित्सा ले रहे मरीज सभी को भी कॉउंसलिंग की आवश्यकता होती है।
राजकीय फार्मेसिस्ट महासंघ के जनपद अध्यक्ष एस एन सिंह ने फार्मासिस्ट्स का आह्वान किया कि सोशल मीडिया के युग में फार्मासिस्ट्स द्वारा दवा, उपचार आदि के बारे में ट्विटर, व्हाट्सएप और फेसबुक आदि के माध्यम से जनता को शिक्षित करना करना चाहिए। उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य शिक्षा में फार्मासिस्ट की भूमिका को दर्शाते हुए, वैज्ञानिक लेख जनता को विभिन्न जानकारी से अवगत करा सकते हैं।

अक्सर ऐसा होता है कि वरिष्ठ नागरिक कई दवाएं एक साथ लेते हैं; परिणामस्वरूप दवा भूलने की संभावना रहती है। ज्यादा या कम खुराक चिकित्सीय परिणाम को प्रभावित कर सकती है, इसलिए फार्मासिस्ट और उनके संगठनों को जेरिएट्रिक आबादी की काउंसलिंग के लिए विशेष कार्ययोजना तैयार करनी चाहिए।
महासंघ में महामंत्री अशोक कुमार ने अपील की कि फार्मासिस्टों को भी नियमित रूप से निरंतर शिक्षा लेनी चाहिए, वर्तमान अपडेट जानने के लिए जर्नल, लेख, नवीनतम पुस्तकें पढ़ना चाहिए या वैज्ञानिक संगोष्ठी में भाग लेना चाहिए। इससे उनके खुद के ज्ञान में सुधार होगा और वो मरीजों की अच्छी कॉउंसलिंग कर सकेंगे।

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