दिल्ली के धर्मशिला नारायणा हॉस्पिटल के डॉ सुपर्णो चक्रवर्ती ने हासिल की बड़ी सफलता

सेहत टाइम्स ब्यूरो
लखनऊ। ब्लड कैंसर से ग्रस्त मरीजों, जिन्हें चिकित्सक ने बोन मैरो ट्रांसप्लांट की सलाह दी है, के लिए एक बड़ा सहारा बनकर कार्य कर रहा है दिल्ली का धर्मशिला नारायणा सुपरस्पेशियलिटी हॉस्पिटल। यहां के सीनियर कन्सल्टेंट डॉ सुपर्णो चक्रवर्ती ने अपने शोध से हाफ मैच बोन मैरो का भी ट्रांसप्लांट करने में सफलता हासिल की है, बीते दस वर्षों में इस विधि से वह अब तक 125 लोगों की बोन मैरो ट्रांसप्लांट कर चुके हैं, और मरीज की लॉन्ग टर्म सरवाइवल की सफलता का प्रतिशत 75 है।
यह जानकारी शनिवार को यहां आईएमए भवन में आयोजित पत्रकार वार्ता में कन्सल्टें डॉ सुपर्णो चक्रवर्ती ने दी। इस उपलब्धि के बारे में उन्होंने बताया कि कोई भी ल्यूकेमिया या लिम्फोमा (ब्लड कैंसर) जो कीमोथेरेपी से नहीं ठीक हो पाता है, उसके इलाज के लिए बोन मैरो ट्रांसप्लांट की सलाह दी जाती है, और इसके लिए आमतौर पर फुल मैच बोन मैरो की आवश्यकता होती है, लेकिन फुल मैच बोन मैरो वाले व्यक्ति मिलना मुश्किल होता है, यहां तक कि मरीज के घर-परिवार में भी 90 प्रतिशत लोगों का हाफ बोन मैरो ही मैच करता है।
डॉ सुपर्णो ने बताया कि भारत में सालाना 10,000 से अधिक बच्चों में ल्यूकेमिया के मामले सामने आते हैं। उन्होंने बताया कि नेशनल रजिस्ट्री फॉर चाइल्डहुड ल्यूकेमिया के होने के बाद भी इसके प्रति जागरूकता की कमी की वजह से इसका कम संख्या में रिपोर्ट किया जाना और बीमारी को जल्दी डायग्नोज न किया जाना और अधिकतर आधारभूत संरचना में कमी जैसी चुनौतियां सामने हैं।
हाफ मैच्ड बोन मैरो से सफल बोन मैरो ट्रांसप्लांट के बारे में बताते डॉ सुपर्णो चक्रवर्ती
डॉक्टर सुपर्णो ने बताया कि जिन मरीजों के लिए बोर मैरो ट्रांसप्लांट की सलाह दी जाती है, उनके घरवाले इसके लिए फुल मैच्ड बोन मैरो वाले व्यक्ति को ढूंढते हैं, यह दुर्भाग्य है इस देश के अधिकतर लोग अपने इस देश में हाफ मैच बोन मैरो ट्रांसप्लांट की सुविधा के बारे में जागरूक नहीं है और अधिकतर की मृत्यु मैच्ड डोनर ना मिलने की वजह से हो जाती है जबकि ऐसी जिंदगियों को बचाया जा सकता है।
पत्रकार वार्ता में आईएमए लखनऊ के सचिव डॉ जेडी रावत भी उपस्थित थे, उन्होंने कहा कि ब्लड कैंसर जैसी बीमारी के अनुवांशिक कारण हो सकते हैं। ऐसे में बीमारियों को लेकर अपनी फैमिली हिस्ट्री को जरूर देखें और अपने टेस्ट करवाएं। उन्होंने कहा साथ ही यह भी जरूरी है कि इसकी इलाज प्रक्रिया के प्रति भी लोगों को अधिक से अधिक जागरूक किया जाए जिनमें से बोन मैरो ट्रांसप्लांट एक है।

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