सिर्फ मशीन के सहारे पैथोलॉजी जांच न करायें, जांच रिपोर्ट में योग्य पैथोलॉजिस्ट की भी अहम भूमिका

सेहत टाइम्स ब्यूरो
लखनऊ। पैथोलॉजी जांच में बस एक जरा सी चूक मरीज के इलाज की दिशा बदल सकती है, यह चूक मरीज की जान पर भारी पड़ सकती है। इसलिए मरीज के हित में यह आवश्यक है कि जांच ऐसी पैथोलॉजी में करायें, जहां योग्य पैथोलॉजिस्ट यानी रोग परीक्षण विशेषज्ञ हों, इस बारे में सुप्रीम कोर्ट का भी स्पष्ट आदेश है कि पैथोलॉजी रिपोर्ट पर दस्तखत एमबीबीएस के साथ पैथोलॉजी में पीजी या उसके समकक्ष योग्यता रखनेे वाला डॉक्टर ही करे। जाँच वहीं करानी चाहिये जहाँ पैथोलोजिस्ट डॉक्टर मशीन के साथ-साथ माइक्रोस्कोप द्वारा ब्लड काउंट और प्लेटलेट्स कॉउंट की जाँच करते हैं जिससे आजकल मौसमी बुखार के समय सटीक रिपोर्ट मिल सके और इलाज की दिशा तय हो सके।
यह बात इंडियन मेडिकल एसोसिएशन लखनऊ के पूर्व अध्यक्ष व लखनऊ एसोसिएशन ऑफ पैथोलोजिस्ट्स एंड माइक्रोबायोलॉजिस्ट्स के प्रवक्ता डॉ पीके गुप्ता ने ‘सेहत टाइम्स’ से विशेष वार्ता में कही। उन्होंने कहा कि पैथोलॉजी में होने वाली जांच के महत्व का अंदाज इसी बात से लगाया जा सकता है कि गंभीर से गंभीर बीमारियों के इलाज की दिशा पैथोलॉजी में होने वाली जांच रिपोर्ट ही तय करती है। उदाहरण के लिए अगर मरीज को किसी रोग विशेष से निपटने में कोई दवा फायदा नहीं कर रही है तो जांच रिपोर्ट में यह तक आ जाता है कि अमुक-अमुक दवाओं के प्रति मरीज रेजिस्टेंट है यानी ये दवायें मरीज को फायदा नहीं करेंगी, ऐसे में डॉक्टर उन दवाओं के अतिरिक्त दूसरी दवाओं पर अपना ध्यान केंद्रित करता है।

उन्होंने कहा कि यही नहीं अनेक बार चिकित्सक को मरीज की डायग्नोसिस बनाते समय भी पैथोलॉजिस्ट से डिस्कस करना होता है, ऐसे में अगर योग्य पैथोलॉजिस्ट होगा तो वह पूरी जिम्मेदारी के साथ चिकित्सक से संवाद स्थापित कर सकता है। उन्होंने कहा कि इस बारे में जनता को भी जागरूक होना चाहिये। उन्होंने बताया कि एसोसिएशन ने इस बारे में अभियान भी चलाया है, जिसका नाम है ‘नो योर पैथोलॉजिस्ट‘ यानी ‘अपने पैथोलॉजिस्ट को जानिये’। उन्होंने बताया कि अभियान के तहत लोगों को जागरूक बनाने के लिए एसोसिएशन की ओर से सलाह दी गयी है कि ऐसी पैथोलॉजी में जांच करायें जहां पोस्ट ग्रेजुएट पैथोलॉजिस्ट, माइक्रोबायोलॉजिस्ट या बायोकेमिस्ट डिग्रीधारक डॉक्टर का बोर्ड लगा हो, तथा उनकी वहां उपलब्धता भी हो।
उन्होंने कहा कि जनता के बीच जागरूकता फैलाना इसलिए जरूरी है क्योंकि पैथोलॉजिस्ट के नाम पर सुप्रीम कोर्ट से तय की गयी योग्यता से कम योग्य व्यक्ति धड़ल्ले से पैथोलॉजी चला रहे हैं। यही नहीं लोगों को यह भी समझाना है कि आजकल ऑनलाइन पैथोलोजी चल रही हैं, इनके चक्कर में न पड़ें, जांच के लिए नमूना खुद लैब में जाकर दें, इससे गुणवत्ता बनी रहती है।

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