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6 जून को बंद रहेंगे क्लीनिक, नर्सिंग होम, डायग्नोस्टिक सेंटर

प्रेस वार्ता के दौरान एकत्रित चिकित्सक, हम एक हैं

चिकित्सक अपनी मांगों को लेकर दिल्ली में निकालेंगे मार्च, करेंगे सत्याग्रह

लखनऊ। अस्पताल में तोडफ़ोड़ के साथ ही हिंसा करने वालों के खिलाफ सख्त कानून बनाने, जेनेरिक दवाओं को लिखने की बाध्यता न रखने, एकल विंडो से रजिस्ट्रेशन होने, आवासीय क्षेत्र में चलने वाले चिकित्सा प्रतिष्ठानों को लैंड सीलिंग से मुक्त रखने समेत 14 मांगों को लेकर इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के आह्वान पर चिकित्सकों ने आगामी 6 जून को दिल्ली में सत्याग्रह एवं मार्च का रास्ता अपनाने का निर्णय लिया है। इस दिन सभी क्लीनिक, नर्सिंग होम एवं डायग्नोस्टिक सेंटर बंद रखे जायेंगे। इस आंदोलन में देशभर से चिकित्सक भाग लेंगे, लखनऊ से भी आंदोलन में भाग लेने के लिए अनेक चिकित्सक रवाना होंगे।
यह जानकारी 3 जून को यहां आईएमए भवन पर बुलायी एक पत्रकार वार्ता में दिया गया। आईएमए उत्तर प्रदेश शाखा की कार्यवाहक अध्यक्ष डॉ रुखसाना खान के साथ ही आईएमए लखनऊ शाखा के अध्यक्ष डॉ पीके गुप्ता, उपाध्यक्ष डॉ रमा श्रीवास्तव, मंत्री डॉ जेडी रावत, प्रेसीडेंट इलेक्ट डॉ सूर्यकांत, लीगल सेल के हेड डॉ उपशम गोयल, डॉ देवेश मौर्या, डॉ अनूप अग्रवाल, डॉ अलीम सिद्दीकी, डॉ मनोज अस्थाना, डॉ सुमित सेठ, डॉ राकेश सिंह, डॉ संदीप तिवारी सहित अनेक पदाधिकारियों, सदस्यों ने कहा है कि देश भर के चिकित्सक 6 जून को प्रात: 8 बजे राजघाट पर एकत्र होंगे, सफेद एप्रेन पहने ये डॉक्टर वहां से इन्दिरा गांधी इनडोर स्टेडियम पहुंचेंगे। वहां पर आईएमए के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ केके अग्रवाल तथा राष्ट्रीय सचिव डॉ वीएन टंडन सभा को सम्बोधित करेंगे। इस प्रोटेस्ट मार्च में विश्व हिंदू परिषद के अध्यक्ष डॉ प्रवीन तोगडिय़ा भी चिकित्सक होने के नाते भाग लेंगे।

ये हैं चिकित्सकों की मांगें

डॉ रुखसाना खान ने कहा कि हम चिकित्सक अपनी मांगों को लेकर कई बार विरोध प्रदर्शन कर चुके हैं लेकिन सरकार ने मांगों पर ध्यान नहीं दिया, इसीलिए दिल्ली में सत्याग्रह एवं मार्च करने का निर्णय लिया गया है। आईएमए की मांगों में अस्पताल में तोडफ़ोड़ के साथ ही हिंसा करने वालों के खिलाफ सख्त कानून बनाने, जेनेरिक दवाओं को लिखने की बाध्यता न रखने, एकल विंडो से रजिस्ट्रेशन होने, आवासीय क्षेत्र में चलने वाले चिकित्सा प्रतिष्ठानों को लैंड सीलिंग से मुक्त रखने, जांच व इलाज में लापरवाही की शिकायत थाने में न होकर सीएमओ या एमसीआई में होने, एमसीआई को भंग न करने, नेशनल एक्जिट टेस्ट की जगह एक एमबीबीएस की परीक्षा कराने, इलाज व जांच की पेशेवर स्वायत्तता मिलने, जेनेरिक व ब्रान्डेड दवाओं के दामों में ज्यादा अंतर न होने, एलोपैथिक दवा लिखने का अधिकारी सिर्फ एलोपैथिक डॉक्टरों को मिलने, हेल्थ बजट को 1 प्रतिशत से बढ़ाकर 2.5 प्रतिशत करने, प्रस्तावित क्लीनिकल इस्टेब्लिशमेंट एक्ट को खारिज कर वर्तमान सीएमओ रजिस्ट्रेशन व्यवस्था को ऑनलाइन करने, पीसीपीएनडीटी एक्ट में लिपिकीय त्रुटि को अपराध की श्रेणी से बाहर करने, छह हफ्ते के अंदर मिनिस्ट्रीयल कमेटी की रिपोर्ट को लागू करने की मांगें शामिल हैं।

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