
हाई कोर्ट के आदेश के अनुपालन में लिया निर्णय
लखनऊ। अपर मुख्य सचिव, चिकित्सा शिक्षा डॉ. अनिता भटनागर जैन ने कहा है कि राम दिवाकर बनाम भारत संघ की रिट याचिका में गत 29 मई को उच्च न्यायालय द्वारा पारित आदेश के अनुपालन हेतु आदेश जारी किया गया है। उक्त आदेश द्वारा राजकीय मेडिकल कालेजों/विश्वविद्यालयों/संस्थानों और एएमयू तथा बीएचयू में पीजी नीट 2017 की अब तक की गयी काउन्सलिंग के स्थान पर री-काउन्सिलिंग करायी जायेगी।
डॉ. जैन ने बताया कि उच्च न्यायालय द्वारा चिकित्सा स्वास्थ्य विभाग की पीएचएमएस नीति के सम्बन्ध में व उनको दी गयी एनओसी को संशोधित करते हुये यह आदेशित किया गया है कि प्रदेश के बाहर के एमबीबीएस/बीडीएस की डिग्री के आधार पर राजकीय मेडिकल कॉलेजों/विश्वविद्यालयों/संस्थानों और एएमयू तथा बीएचयू में प्रवेश हेतु पात्र नहीं होगें। अत: ऐसे सभी अभ्यर्थी जिन्हे पीजीनीट 2017 में अब तक इन संस्थानों में प्रवेश दिया गया है, का प्रवेश निरस्त किया जाता है।
अपर मुख्य सचिव ने बताया कि उच्च न्यायालय द्वारा यह आदेशित किया गया है कि प्रदेश में स्थित सभी राजकीय मेडिकल कॉलेजों/विश्वविद्यालयों/संस्थानों और एएमयू तथा बीएचयू व अन्य सभी में प्रदेश से एमबीबीएस/बीडीएस डिग्री प्राप्त अभ्यर्थी प्रवेश के लिए अर्ह होगें। पूर्व में एएमयू व बीएचयू में प्रवेश उनके ही छात्रों को मेरिट सूची के आधार पर दिया गया था।
डॉ. जैन ने बताया कि उच्च न्यायालय के गत 29 मई के आदेश के अनुपालन में नई मेरिट सूची बनाकर समस्त को अवगत कराते हुये काउन्सलिंग, उच्चतम न्यायालय द्वारा निर्धारित तिथि 31 मई तक कराना संभव नहीं है। अत: उच्चतम न्यायालय से अवधि विस्तारण हेतु अनुरोध किया जा रहा है। 31 मई को एसजीपीजीआई में निर्धारित मॉप-अप राउण्ड की काउन्सलिंग फिलहाल स्थगित की जा रही है। अग्रिम सूचना वेबसाइट पर उपलब्ध है।
अपर मुख्य सचिव ने यह भी अवगत कराया कि पीएमएचएस के प्रवेशित अभ्यर्थी जो उच्च न्यायालय के आदेश के क्रम में अब अर्ह नहीं है, उनके द्वारा जमा करायी गयी फीस निर्धारित समयावधि में उनके द्वारा पंजीकरण के समय दिये गये बैंक खाते में वापस हस्तान्तरित कर दी जायेगी। जिन अभ्यर्थियों की री-काउन्सलिंग करायी जायेगी उनके द्वारा पूर्व में जमा की गयी फीस का समायोजन री-काउन्सलिंग के आधार पर आवंटित होने वाली सीट के सापेक्ष कर लिया जायेगा।
