Wednesday , October 11 2023

जब वेंटीलेटर भी न करे काम, तो जान बचा सकती है इकमो मशीन

-अब लोहिया संस्‍थान में इकमो मशीन की सुविधा, तीन दिवसीय सम्‍मेलन इकमोकॉन-2019 शुरू
-देश-विदेश के करीब 200 विशेषज्ञ भाग ले रहे हैं इस अंतरराष्ट्रीय कार्यशाला में

सेहत टाइम्‍स ब्‍यूरो

लखनऊ। जब शरीर के महत्वपूर्ण अंग जैसे दिल, फेफड़े काम करना बंद कर देते हैं तो मरीज को आईसीयू में वेंटीलेटर पर भर्ती किया जाता है लेकिन इनमें भी 10 फ़ीसदी मरीजों पर वेंटिलेटर भी फेल हो जाता है ऐसे में इकमो मशीन की मदद से इनमें से तीन फीसदी मरीजों की जिंदगी बचाई जा सकती है। उत्‍तर प्रदेश में पहली बार इकमो मशीन की सुविधा राजधानी लखनऊ स्थित डॉ राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान में प्रारंभ हो गई है। इस मशीन से कार्य का प्रशिक्षण लेने व इस बारे में और अधिक जानकारी के मद्देनजर संस्‍थान में आज शुक्रवार से तीन दिवसीय सम्‍मेलन ECMOCON-2019 प्रारम्‍भ हुआ।

यह जानकारी देते हुए संस्‍थान के प्रो दीपक मालवीय ने बताया‍ कि तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय कार्यशाला में देश विदेश के करीब 200 विशेषज्ञ भाग ले रहे हैं। संस्थान के एनेस्थीसियोलॉजी एंड क्रिटिकल केयर मेडिसिन विभाग द्वारा आयोजित इस सेमिनार के पहले दिन की शुरुआत प्रोफेसर दीपक मालवीय के व्‍याख्‍यान से हुई। उन्‍होंने बताया कि यूनाइटेड किंगडम में एक ट्रेनिंग के बाद डॉ राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान लखनऊ में इकमो मशीन ली गयी और इसका उत्तर प्रदेश में पहली बार प्रयोग लोहिया संस्थान में किया गया जो कि सफल रहा।

दिल्ली के गंगाराम अस्पताल से आए डॉ विनय ओझा ने इकमो के इतिहास के बारे में जानकारी दी, जबकि डॉ विनोद सिंह ने बताया कि इकमो मशीन का इस्तेमाल कहां और किस तरह के मरीजों में किया जाता है। इस सम्मेलन में विशिष्ट कोर्स का भी आयोजन किया गया है इस कोर्स के तहत एनेस्थीसिया व क्रिटिकल केयर विशेषज्ञों को पूर्ण जानकारी एवं फेलोशिप प्रदान की जाएगी।

ECMOCON-2019 का उद्घाटन उत्तर प्रदेश के चिकित्सा शिक्षा, वित्त एवं संसदीय कार्य मंत्री सुरेश कुमार खन्ना ने किया। समारोह के विशिष्ट अतिथि के रूप में उत्तर प्रदेश यूनिवर्सिटी ऑफ मेडिकल साइंसेज सैफई, इटावा के पूर्व कुलपति ब्रिगेडियर प्रभाकर उपस्थित थे। इसके अलावा संस्थान के निदेशक डॉ एके त्रिपाठी, कॉन्फ्रेंस के संरक्षक प्रोफेसर दीपक मालवीय, इकमो सोसाइटी ऑफ इंडिया के अध्यक्ष डॉ अर्पण चक्रवर्ती सोसायटी के सचिव डॉ प्रनय ओझा, डीएमसी लुधियाना के डॉ विवेक गुप्ता, यूएसए से डॉक्टर लक्ष्मी रमन, यूके के डॉक्टर सचिन शाह, इजिप्ट के डॉक्टर अहमद रावी और श्रीलंका से तुलु हरिश्‍चन्‍द्रा  भी दीप प्रज्ज्वलन में शामिल रहे।

सम्मेलन के आयोजन सचिव डॉ पीके दास ने जानकारी देते हुए बताया की इको मशीन से सीवियर निमोनिया, डेंगू शॉक सिंड्रोम, स्वाइन फ्लू, एआरडीएस जैसी बीमारियों में क्रिटिकल स्थिति को संभाला जा सकता है।

कैसे काम करती है मशीन

डॉक्टर दास ने बताया की दिल और फेफड़े जब काम करना बंद कर देते हैं तो मरीज को इस मशीन पर शिफ्ट किया जाता है, ऐसी स्थिति में फेफड़ा काम न करने पर नस से जो रक्त इस मशीन में जाता है वह वहां से ऑक्सीजनयुक्‍त होकर फिर से नस द्वारा ही शरीर में पहुंच जाता है। इसी प्रकार जब दिल नहीं काम करता है तो नस से खून इस मशीन में जाता है और फिर धमनियों के जरिए शरीर में जाता है। उन्होंने कहा कि इस मशीन से ही खून को ऑक्सीजनयुक्‍त किया जाता है। उन्‍होंने बताया कि इस बीच दिल या फेफड़ा जो भी खराब होता है उसे उपचारित करने का प्रयास किया जाता है और जब ये अंग ठीक हो जाते हैं तो इस मशीन को हटा लिया जाता है,  और फिर प्राकृतिक तरीके से खून में ऑक्सीजन मिलाने का काम शरीर के अंदर ही हो जाता है।