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गंभीर चोट लगे तो क्‍या करें, कैसे सुरक्षित तरीके से पीड़ि‍त को डॉक्‍टर तक पहुंचायें

-प्रो विनोद जैन की आठवीं पुस्‍तक ट्रॉमा बचाव उपचार एवं प्रबंधनहिन्‍दी भाषा में प्रकाशित

-चिकित्‍सक से लेकर आमजन तक के लिए जानकारियां दी गयी हैं पुस्‍तक में

सेहत टाइम्‍स ब्‍यूरो

लखनऊ। किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी के सर्जरी विभाग के प्रोफेसर, निदेशक, स्किल इंस्टीट्यूट वह डीन पैरामेडिकल प्रो विनोद जैन की लिखी पुस्तक ‘ट्रॉमा बचाव उपचार एवं प्रबंधन’ उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान द्वारा प्रकाशित की गई है। प्रो जैन की लिखी यह आठवीं पुस्‍तक है।

पुस्‍तक के प्रकाशक उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान के निदेशक श्रीकांत मिश्रा का कहना है कि ट्रॉमा यानी घातक चोट की घटनाएं बहुत अधिक बढ़ती जा रही हैं भारत में ट्रॉमा संबंधी दुर्घटनाओं में प्रतिवर्ष लगभग 3 प्रतिशत की वृद्धि होती है गंभीर चोट से युवा वर्ग, कामकाजी पुरुष तथा महिलाएं विशेष रूप से संकट ग्रस्त होते हैं। इससे उन्हें तो दिक्कत होती ही है उनके परिवारों में भी अप्रत्याशित संकट आ जाते हैं इस तरह की घटनाओं को जहां रोकने के लिए कदम उठाने जरूरी हैं वही यह भी आवश्यक है कि ट्रॉमा से पीड़ित व्यक्ति को और अधिक नुकसान से बचाने के लिए किस प्रकार प्रबंधन किया जाए। श्रीकांत मिश्रा का कहना है कि चिकित्‍सक से लेकर आमजन तक प्रबंधन के बारे में जानकारी पहुंचे इसके लिए इस पुस्तक का प्रकाशन किया जा रहा है। मैं समझता हूं डॉक्टर जैन की यह पुस्तक जन उपयोगी पुस्तक होगी और इससे लोग लाभान्वित होंगे।

इस बारे में प्रोफ़ेसर विनोद जैन ने बताया कि इस पुस्तक को लिखने का मेरा उद्देश्य दुर्घटनाओं को रोकने,  दुर्घटना होने की स्थिति में गहन चोट से पीड़ित व्यक्ति को किस प्रकार दुर्घटना स्थल से सुरक्षित तरीके से उठाकर चिकित्सक तक पहुंचाएं, अगर रक्तस्राव हो रहा है तो उसे कैसे रोका जाए, जैसी बातों का वर्णन इस पुस्तक में किया गया है जो आमजन के लिए तो उपयोगी हैं ही, नर्स, पैरामेडिकल स्टाफ तथा चिकित्‍सकों के लिए भी उपयोगी सिद्ध हो सकती है। प्रो जैन ने कहा कि विश्व में प्रतिवर्ष ट्रॉमा के कारण 10 से 15 लाख व्‍यक्ति काल के गाल में समा जाते हैं कथा 3 से 5 करोड़ लोग विकलांग हो जाते हैं इनमें से लगभग 50% लोग 15 से 44 वर्ष की आयु के होते हैं सड़क हादसे में होने वाली मृत्यु में लगभग 73% पुरुष होते हैं मरने वालों में अधिकांश अपने भविष्य का निर्माण कर रहे होते हैं।

उन्‍होंने कहा कि यदि आम जनता तक इसकी जानकारी होगी तो ऐसी दुर्घटनाओं के शिकार होने वालों की, न सिर्फ जान बचाया जाना संभव होगा बल्कि उनको उस चोट से होने वाले नुकसान को भी कम किया जा सकता है।

डॉक्टर जैन ने बताया कि इस पुस्तक में ट्रॉमा के मुख्य कारणों, चिकित्सालय पहुंचने से पूर्व प्राथमिक उपचार, चिकित्सकों एवं नर्सों के लिए ट्रॉमा प्रशिक्षण, एटीएलएस एवं एटीसीएल प्रशिक्षण लागू करने में आरंभिक चुनौतियां, चिकित्सालय को पूर्व सूचना एवं संबंधित तैयारी, चिकित्सालय में देखभाल, रोगी का अन्य चिकित्सालय में स्थानांतरण, पुनर्वास केंद्र की जरूरत, विशेष परिस्थितियों में विशेष सावधानियां आदि विषयों पर विस्तार से जानकारी दी गई है। प्रो जैन ने कहा कि मुझे उम्मीद है कि‍ हिंदी भाषा में सरल तरीके से लिखी गई यह पुस्तक समाज के लिए उपयोगी सिद्ध होगी।