Wednesday , October 11 2023

…तो दवायें जीवन की सुरक्षा नहीं करेंगी, बल्कि नुकसान पहुंचायेंगी

फार्मासिस्‍ट दिवस की पूर्व संध्‍या पर फार्मासिस्‍ट व आम जनता से सुनील यादव का आह्वान

सेहत टाइम्‍स ब्‍यूरो

लखनऊ। फार्मेसिस्ट औषधियों का विशेषज्ञ होता है, फार्मेसिस्ट की जिम्मेदारी है कि आम जन को सुरक्षित और प्रभावी औषधि मिले, इसलिए अंतरराष्ट्रीय फेडरेशन ऑफ फार्मासिस्ट ने इस वर्ष विश्व फार्मेसिस्ट दिवस की थीम  “Safe and effective medicines for all” (“सभी के लिए सुरक्षित और प्रभावी दवाएं ”) निर्धारित की है। वास्तव में दवाओ की खोज, विनिर्माण, सही रखरखाव और सही वितरण जनता के स्वस्थ जीवन के लिए आवश्यक है। जीवन की रक्षा औषधियां करती हैं लेकिन अगर औषधियां सही, सुरक्षित और प्रभावी न हों तो जीवन की सुरक्षा की जगह हानि की संभावना होती है। वास्तव में यह विषय अल्मा-अता घोषणा का प्रवेश द्वार है, जहाँ ‘सभी के लिए स्वास्थ्य^ (Health for All) की परिकल्पना की गई है। अल्मा-अता की घोषणा को अल्माटी, कजाकिस्तान में 6-12 सितंबर 1978 को अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन में अपनाया गया था।

उत्तर प्रदेश फार्मेसी कॉउंसिल के पूर्व चेयरमैन और राजकीय फार्मेसिस्ट महासंघ के अध्यक्ष, सुनील यादव ने फार्मेसिस्ट दिवस की पूर्व संध्या पर देश के 12 लाख फार्मेसिस्टों को बधाई देते हुए आज फार्मेसिस्टों और आम जनता के नाम अपने संदेश में यह बात कही है। सुनील यादव ने कहा कि भारत में लगभग कुल 12 लाख डिप्लोमा, बैचलर, मास्टर, पीएचडी फार्मेसी के साथ फार्मा डी की शिक्षा प्राप्त फार्मेसिस्ट हैं। लेकिन उनकी शिक्षा का उचित उपयोग नही हो पा रहा है। फार्मेसी चिकित्सा व्यवस्था की रीढ़ होती है, औषधि की खोज से लेकर, निर्माण, भंडारित करने वितरित करने की पूरी व्यवस्था एक तकनीकी व्यवस्था है, जो फार्मेसिस्ट द्वारा ही की जाती है। चिकित्सालयों में अभी तक भर्ती मरीजों के लिए व्यावहारिक रूप से फार्मेसिस्ट के पद सृजित नही हो रहे हैं। उन्‍होंने कहा कि 100 बाह्य मरीज (OPD), और 50 बेड पर 1 फार्मेसिस्ट के मानक के अनुसार होना चाहिये लेकिन वर्तमान में आवश्‍यक पदों के बजाय इसकी संख्या एक तिहाई है ।

उन्‍होंने कहा‍ कि ओपीडी में भी मानकों का पालन नहीं हो रहा । फार्मास्यूटिकल लैब नाम मात्र के हैं, औषधियों के निर्माणशालाओं में भी फार्मेसी प्रोफेशनल के स्थान पर अप्रशिक्षित लोगो से काम लिया जाता है । ड्रग की रेगुलेटरी बॉडी बहुत कमजोर है, मानव संसाधन कम हैं, जिसे मजबूत करने की आवश्यकता है । इसलिए लोगो को सुरक्षित और प्रभावी दवाए देने के लिये फार्मेसी को उचित स्थान दिया जाना आवश्यक है।

‘फार्मेसी’लोगों के जिंदगी से जुड़ी है, इसलिए इसे मजबूत किया जाना चाहिए। फार्मेसिस्टों को क्रूड ड्रग का अध्ययन भी कराया जाता है, शरीर क्रिया विज्ञान, फार्माकोलॉजी, विष विज्ञान, ड्रग स्टोर मैनेजमेंट, माइक्रोबायोलॉजी सहित फार्मास्युटिक्स, फार्मक्यूटिकल केमिस्ट्री सहित विभिन्न विषयों का विस्तृत अध्ययन फार्मेसिस्ट को कराया जाता है। औषधि की खोज से लेकर, उसके निर्माण, भंडारण, प्रयोग , कुप्रभाव, दवा को ग्रहण करने, उसके पाचन, प्रभाव और उत्सर्जन (ADME) की पूरी जानकारी केवल फार्मेसिस्ट को होती है, इसलिए औषधियों के विशेषज्ञ के रूप में आज फार्मेसिस्ट, जनता को सेवा दे रहा है।

आम जनता को औषधि की जानकारी फार्मेसिस्ट से ही लेनी चाहिए । जनता को पारिवारिक चिकित्सक की तरह पारिवारिक फार्मेसिस्ट भी रखना चाहिए जिसके पास आपकी पूरी जानकारी होगी। उन्‍होंने कहा कि प्रदेश के उप केंद्रों और अस्पताल के वार्डो में फार्मेसिस्ट की नियुक्ति की जानी चाहिए । जिससे गुणवत्तापूर्ण औषधियां मरीजो तक पहुँच सके ।

उन्‍होंने कहा कि बहुत से विकसित देशों जैसे यूके, यूएस, ऑस्ट्रेलिया आदि में चिकित्सकों पर कार्य के दबाव को देखते हुए फार्मेसिस्ट को नुस्खा लिखने का कुछ अधिकार दिया गया है, भारत सरकार ने अपनी राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति में इसे कहा है लेकिन लागू नहीं किया है। उन्‍होंने कहा कि दवा व्यवसाय जनता के स्वास्थ्य, जीवन, मरण से जुड़ा है इसलिये नियमो और मानक का पालन सख्ती से होना अनिवार्य है।