हरी-भरी चीजें खायें, सफेद खाने से बचें, डॉ सूर्यकांत ने बताये जीवन में स्वस्थ रहने के गुर
लखनऊ। स्वस्थ रहने के लिए क्या खाना-पीना चाहिये, क्या नहीं, इसके बारे में आसानी से याद रखने के लिए किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्व विद्यालय के पल्मोनरी विभाग के हेड डॉ सूर्यकांत सीधा फॉर्मूला बताते हैं, उनका कहना है कि यह याद रखने में काफी सरल है, उनके अनुसार प्राकृतिक रूप से जो चीजें रंगीन हैं वे सब खायें और जो सफेद चीजें हैं उन्हें जहां तक हो बचना चाहिये।
डॉ सूर्यकांत ने पिछले दिनों लखनऊ विश्व विद्यालय में लगे राष्ट्रीय सुरक्षा योजना के शिविर में छात्र-छात्राओं को सम्बोधित करते हुए स्वस्थ रहने के लिए प्राणायाम या व्यायाम करने को जरूरी बताया वहीं खाने-पीने के लिए क्या ठीक है और कया नहीं, इस बारे में जानकारी दी। एनएसएस शिविर में आयोजित कार्यक्रम मे प्रोग्राम ऑफीसर डॉ अल्का मिश्र के अनुसार डॉ सूर्यकांत ने खाने-पीने के विषय में बताया कि स्वस्थ रहने के लिए अगर भारतीय थाली की बात करें तो रोज 8-10 लीटर पानी पीयें, हरी सब्जी खायें जितनी रंगीन चीजें प्रकृति ने बनायी हैं वे सब खाइये, हरे रंग के अंगूर खायें, ऑरेंज कलर का संतरा खायें, लाल रंग की गाजर खायें, पीले रंग का नाशपाती और सेब खायें। इसके साथ ही उन्होंने बताया कि तीन-चार सफेद चीजें हैं उनसे बचना है। उन्होंने कहा कि सफेद चीजें जिनसे बचना है उनमें चीनी, नमक, घी, मैदा, ये चार सफेद चीजें ज्यादा खायेंगे तो बीमार पड़ जायेंगे। उन्होंने विद्यार्थियों को सरल तरीके से याद रखने के लिए कहा कि यानी हरा-भरा रंगीन शाकाहारी चीजें खाइये, सफेद चीजों से बचिये।
उन्होंने स्वस्थ जीवन जीने के गुर बताते हुए कहा कि दिमाग ठंडा, पेट नरम, पैर गरम रखेंगे तो जीवन भर स्वस्थ रहेंगे। उन्होंने कहा कि दिमाग को रखिये ठंडा का अर्थ है कि लड़ाई-झगड़े मे विश्वास मत रखिये, एक-दूसरे को गाली-गलौज करना मत सीखिये, एक-दूसरे के खिलाफ षड़यंत्र बनाना मत सीखिये और हो सके तो अगर दूसरे की भी गलती है तो भी उसे आप स्वयं ही ‘सॉरी’ बोल दीजिये, इसमें क्या बड़ी बात है। इस तरह से तनाव से बचने की कोशिश कीजिये। उन्होंने कहा कि हालांकि तनाव कम करिये, कहना आसान है, लेकिन कोशिश तो की ही जा सकती है। इस तरह से दिमाग को ठंडा रखिये। उन्होंने कहा कि इसी तरह पेट को रखिये नरम, उन्होंने कहा कि इसका अर्थ है कि खाना हम पेट के लिए खाते हैं लेकिन कुछ लोग इसे गले तक भर कर खा लेते हैं, ऐसा मत करिये, एक चौथाई पेट खाली रखिये इस तरह से पेट को नरम रखिये और पैर को गरम रखिये। पैर को गरम रखने का अर्थ यह नहीं है कि पैर को हीटर के आगे गरम कर लीजिये, इसका सही अर्थ है कि ज्यादा से ज्यादा चलिये, जब चलेंगे तो जो आपके शरीर को गर्मी मिलेगी, वह अत्यंत लाभकारी है।
कार्यक्रम के आने के लिए डॉ अल्का मिश्र ने डॉ सूर्यकांत को धन्यवाद देते हुए कहा कि डॉ सूर्यकांत ने अपने व्यस्त समय में से एनएसएस के शिविर में आकर विद्यार्थियो को जो स्वस्थ जीवन जीने के गुर बताये, उसके लिए हम आभारी हैं। उन्होंने आशा व्यक्त की कि भविष्य में भी डॉ सूर्यकांत विद्यार्थियों को स्वास्थ्य से सम्बन्धित महत्वपूर्ण जानकारियां देते रहेंगे।